इतना बड़ा अफ़सर !!
भारतमाला परियोजना में भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं। नेता, और अफसरों के गठजोड़ से करीब साढ़े 3 सौ करोड़ का मुआवजा घोटाला प्रकाश में आया है। इन सबके बीच कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिले के प्रशासनिक मुखिया रहे एक आईएएस अफसर के प्रॉपर्टी डिटेल्स निकाले हैं।
कहा जा रहा है कि अफसर ने एक साल में करीब 50 करोड़ से अधिक की प्रॉपर्टी खरीदी है। यह प्रॉपर्टी अफसर ने अपने नाम पर नहीं बल्कि एक फर्म बनाकर खरीदे हैं, और फर्म के मुखिया खुद एक बिल्डर के यहां सेवारत है। यह प्रॉपर्टी मोवा, अमलीडीह, धरमपुरा आदि इलाके में खरीदी गई है।
सुनते हैं कि अफसर ने अपने कार्यकाल में कई विवादित जमीन प्रकरणों का निपटारा किया, और इसके एवज में काफी कुछ पूंजी बनाई है। अफसर को जेल में बंद एक ताकतवर नेता-कारोबारी का बेहद करीबी माना जाता रहा है। चर्चा है कि पिछली सरकार में भी अफसर के खिलाफ शिकायत हुई थी, तब सरकार के मुखिया ने अफसर को फटकार भी लगाई थी।
मगर कारोबारी के वरदहस्त होने की वजह से अफसर का बाल बांका नहीं हुआ। अब जब भारतमाला परियोजना के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है, तो अफसर भी जांच के घेरे में आ सकते हैं। देखना है आगे क्या होता है।
मुख्य सूचना आयुक्त कब?
प्रदेश के एक और सूचना आयुक्त नरेन्द्र शुक्ला का कार्यकाल 31 मई को खत्म हो रहा है। वर्तमान में शुक्ला के अलावा आलोक चन्द्रवंशी ही सूचना आयुक्त के पद पर हैं। इससे परे 26 तारीख को मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए इंटरव्यू होगा। यह भी चर्चा है कि पीएम नरेन्द्र मोदी के प्रस्तावित बिलासपुर प्रवास के चलते इंटरव्यू की तिथि आगे बढ़ सकती है।
मुख्य सूचना आयुक्त पद के लिए मुख्य सचिव अमिताभ जैन, के अलावा तीन पूर्व डीजी डी.एम.अवस्थी, अशोक जुनेजा, और संजय पिल्ले ने भी आवेदन किए हैं। कुल मिलाकर 33 लोगों को एक ही दिन में इंटरव्यू के लिए बुलाया गया है। हालांकि मुख्य सूचना आयुक्त पद पर किसी नौकरशाह को नियुक्त नहीं करने की मांग की गई है। इस सिलसिले में राज्य वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष वीरेन्द्र पांडेय ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को ज्ञापन भी सौंपा है। देखना है सीएम इस पर क्या निर्णय लेते हैं।
रेल मंत्री को यात्री नहीं भाते..
दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे से रेलवे को सर्वाधिक आमदनी होती है। यह आय मालभाड़े से होती है। यात्री ट्रेनों को लेकर तो यह रेल मंत्री ने कल सदन में बता दिया कि ट्रेन यात्रा की लागत 1.38 रुपये प्रति किलोमीटर है, जबकि यात्रियों से केवल 73 पैसे लिए जाते हैं। यह बिलासपुर जोन के अंतर्गत आने वाली यात्री ट्रेनों पर भी लागू होता है। यह बात अलग है कि ऐसा बयान यात्रियों को यह महसूस कराता है कि वे सरकार पर बोझ हैं, जबकि वे नौकरी, व्यापार और रोजमर्रा की जरूरतों के लिए रेलवे का इस्तेमाल करते हैं, जिससे देश का आर्थिक पहिया चलता है।
अगर नफे-नुकसान के आधार पर ही रेल मंत्री को प्राथमिकताएं तय करनी है तो भाजपा के वरिष्ठ नेता सांसद बृजमोहन अग्रवाल की मांग पर घोषणा करनी चाहिए, जिसमें उन्होंने रीवा बिलासपुर ट्रेन को दुर्ग तक विस्तारित करने की मांग रखी। कोरबा में एशिया की दूसरी सबसे बड़ी कोयला खान है, लेकिन यहां के यात्री कोविड के समय से बंद यात्री ट्रेनों को शुरू करने की मांग करते थक गए। सांसद ज्योत्सना महंत इसके लिए कई बार आवाज उठा चुकी हैं। रेल उपभोक्ता सलाहकार समिति की जोन और मंडल लेवल की होने वाली बैठकें औपचारिकता बनकर रह गई हैं। हाई टी और लंच कराने के बाद रेलवे अधिकारी सदस्यों को विदा कर देता है, यह कहते हुए कि आपकी बातों को मुख्यालय भेज दिया जाएगा, वहां से अनुमति मिलने पर मांगें पूरी होंगी। रेल मंत्री लगे हाथ यह भी बता देते कि यात्री ट्रेनों को रद्द करने का सिलसिला कब थमेगा, ट्रेनों की लेटलतीफी कब खत्म होगी। गुड्स ट्रेनों का परिवहन बिलासपुर जोन से सर्वाधिक है और इन ट्रेनों को आगे बढ़ाने के लिए बीच रास्ते में यात्री ट्रेनों को रोका जाता है। रेल मंत्री यह भी बता सकते थे कि बिलासपुर रेलवे ने इस जोन से मालभाड़े में कितना कमाया और यात्री सुविधाओं पर कितना खर्च किया।
गुमान टूटा टेसू का...
बसंत के आते ही टेसू के फूल शाखों पर आग की लौ बनकर खिल उठते हैं। हल्की सर्दी की ठिठुरन के बाद जब हवाओं में गुनगुनाहट घुलने लगती है, तब ये नारंगी फूल पेड़ों पर इठलाने लगते हैं, मानो धरती पर रंगों की होली शुरू हो गई हो। इनके खिलने का समय ही होली के रंगों का संदेश लाता है, फागुन की मस्ती, चटख रंगों की बहार।
परंतु जैसे ही बसंत विदा होने लगता है और गर्मी की दस्तक सुनाई देती है, पतझड़ की हल्की थपकियों से ही ये कोमल फूल डालियों से टूटकर नीचे बिखरने लगते हैं। जो फूल कल तक आसमान को छूने का सपना देख रहे थे, वे आज जमीन पर बिछ रहे हैं। टेसू के फूलों की यह यात्रा बसंत से ग्रीष्म की ओर समय के बदलाव की कहानी कहती है। (तस्वीर- प्राण चड्ढा)