गैदू का जवाब, और जांच का बढ़ेगा दायरा...
चर्चा है कि ईडी कोंटा, और सुकमा के राजीव भवन के निर्माण में हुए खर्चों की जांच का दायरा बढ़ा सकती है। ईडी को शक है कि आबकारी घोटाले की राशि का एक हिस्सा राजीव भवनों के निर्माण में भी खर्च हुए हैं। घोटाले में फंसे पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा और अन्य लोगों से मिले इनपुट के बाद ही ईडी ने राजीव भवनों के निर्माण के खर्चों की जांच कर रही है।
ईडी ने तो फिलहाल प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री मलकीत सिंह गैदू से पूछताछ की है। हालांकि गैदू का राजीव भवनों के निर्माण कार्यों से सीधे कोई लेना-देना नहीं रहा है। कांग्रेस ने प्रदेश में सरकार बनने के बाद सभी जिलों में राजीव भवन के निर्माण का फैसला लिया था। पार्टी स्तर पर इसके लिए समिति बनाई गई थी। इसके कर्ताधर्ता प्रदेश कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल रहे हैं। इसके अलावा भवन निर्माण समिति में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के करीबी गिरीश देवांगन, और विनोद वर्मा भी थे।
कोल घोटाले में नाम आने के बाद कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल फरार हैं, और उनके दुबई में शिफ्ट होने की खबर आई है। सुनते हैं कि राजीव भवनों के ड्राईंग डिजाइन से लेकर निर्माण कार्य के ठेकों में रामगोपाल अग्रवाल की सीधे तौर पर भूमिका रही है। हालांकि मलकीत सिंह गैदू ने ईडी को कोंटा, और सुकमा के भवन निर्माण में हुए 85 लाख के खर्चों का ब्यौरा दिया है। यह भी कहा है कि भुगतान चेक से किए गए हैं, और भवन निर्माण के खर्चों की राशि की व्यवस्था पार्टी फंड से की गई है।
पार्टी के कई लोग मलकीत सिंह की सराहना भी कर रहे हैं जो कि यह कहकर बच सकते थे कि रामगोपाल अग्रवाल ही इसकी पूरी जानकारी रखते हैं। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, और ईडी को फेस किया। कुछ लोगों का अंदाजा है कि ईडी न सिर्फ कोंटा-सुकमा बल्कि बाकी राजीव भवनों के निर्माण के खर्चों की जांच कर सकती है।
हालांकि पार्टी ने सीधे तौर पर ईडी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, और धरना-प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है। बावजूद इसके मामला थमता नहीं दिख रहा है। कांग्रेस के कुछ पदाधिकारी पार्टी फंड में गड़बड़ी का आरोप पहले लगा चुके हैं, और हाईकमान से लिखित में शिकायत भी कर चुके हैं। ऐसे में चर्चा है कि ईडी की जांच का दायरा बढ़ सकता है। संभव है कि कई और लोग इसके लपेटे में आ सकते हैं। देखना है आगे क्या होता है।
हर आफिस से एक ही जवाब साहब विधानसभा गए हैं
नए वर्ष के संकल्प (रेजुलुशन) के तहत पंचायत से सचिवालय तक राइट टाइम वर्किंग को लेकर बीते दो माह तक भाग दौड़ मची हुई थी। सचिव, कलेक्टर-कमिश्नर, एसपी सभी अपने अपने महकमे के लेट कमर्स की धरपकड़ में लगे हुए थे। कुछेक पकड़े भी गए। इनमें दूर जिलों के एक-दो कलेक्टर भी शामिल रहे । उसके बाद 36 दिन चुनाव में निकल गए। आचार संहिता हटी तो एक बार फिर से पूरा अमला खासकर राजधानी के साहब-बाबू उसी पुराने ढर्रे पर आ गए हैं। वह भी फाइनेंशियल ईयर के अंतिम महीने फरवरी मार्च में। और इसी महीने हर आफिस में आम व्यक्ति को वर्षांत वाले काम निपटाने होते हैं और जब वह आफिस पहुंच रहा है तो बड़े बाबू गायब। 10बजे पहुंचों तो तीन बजे आएंगे और तीन बजे पहुंचों तो आज नहीं आए, का जवाब बाजू में बैठे लोग देते हैं। और बहुतायत के पास तो एक सबसे बड़ा और अहम अनएवायडेबल कारण होता है- विधानसभा गए हैं। चाहे मंत्रालय हो, संचालनालय हो या फिर तहसील और निगम का जोन आफिस। पहले दो तो समझ आता है बाद के दो आफिस के स्टाफ का विधानसभा से क्या काम? लेकिन सुबह आओ हाजिरी रजिस्टर में साइन करो और विधानसभा का बहाना लेकर निकल जाओ। यह सिलसिला अभी अगले पूरे 24 मार्च तक चलेगा। आफिसों में एक बार फिर कुर्सियां बैठने वालों का इंतजार करती रहेंगी। और लोग चक्कर पे चक्कर लगाते रहेंगे। ऐसे में इस वर्ष के काम 1अप्रैल के नए वर्ष में ही हो पाएंगे।
दो संभाग के कमिश्नर, दो विवि के कुलपति भी
रायपुर बिलासपुर संभाग के संयुक्त संभागायुक्त महादेव कावरे अब दो-दो विश्वविद्यालयों के प्रभारी कुलपति होंगे। बिलासपुर स्थित सुंदरलाल शर्मा राज्य मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति रहे वंश गोपाल सिंह का 2 मार्च को अंतिम कार्य दिवस है। इसे देखते हुए कावरे को नई नियुक्ति तक प्रभारी बनाया गया है। इसी तरह से उन्हें कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के भी कुलपति बनाए गए हैं। वर्तमान कुलपति बल्देव भाई शर्मा का कार्यकाल 4 मार्च को पूर्ण होने के बाद कावरे पदभार ग्रहण करेंगे। कावरे को अधिकतम छह माह की अवधि तक के लिए नियुक्त किया गया है । कावरे के नाम पर प्रभारी कुलपति के रूप में रिकॉर्ड भी जुड़ गया है। इससे पहले वे दुर्ग संभाग के कमिश्नर के रूप में भी कामधेनु विवि अंजोरा और हार्टीकल्चर विवि सांकरा के भी प्रभारी कुलपति रह चुके हैं।
देसी स्टाइल का ओपन चैलेंज
कोरबा जिले के उरगा थाना क्षेत्र के नवापारा गांव में हुए मर्डर ने अनोखा मोड़ ले लिया है। यहां रात में घर के बाहर सो रहे एक वृद्ध की हत्या से पूरा गांव सहमा हुआ था ही, लेकिन बात आगे बढ़ गई। हत्यारे ने गांव की दीवारों पर पांच और लोगों को मारने की धमकी लिखकर जबरदस्त खौफ पैदा कर दिया है।
आजकल हम देखते आए हैं कि अपराधी फोन कॉल, सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए धमकियां देते हैं। पुलिस आईपी एड्रेस ट्रेस, कॉल डिटेल एनालिसिस और डिजिटल फोरेंसिक से तुरंत अपराधी तक पहुंच जाती है। मगर, यहां पर अपराधी जरा अलग है। उसने तकनीक को पीछे छोडक़र पुराना हाथ से लिखने वाला तरीका अपनाया है। उसने पुलिस को 90 के दशक वाली जांच करने पर मजबूर कर दिया है।
पुलिस अब संदेहियों की हैंडराइटिंग के सैंपल इक_ा कर रही है और इसे जांच के लिए रायपुर भेजा जा रहा है। यानी, जहां देश के कोने-कोने में बैठे साइबर ठगों को पकडक़र लाने के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल हो रहा है, वहीं इस गांव में, या आसपास के गांव में बैठे अपराधी की उसकी लिखावट से ढूंढने की कोशिश हो रही है। छह दिन बीत गए सुराग मिला नहीं है।
गांव के लोग खौफ में जी रहे हैं। कोई नहीं जानता कि अगला निशाना कौन होगा। पुलिस के लिए यह एक बड़ी चुनौती बन गया है। देखना दिलचस्प होगा कि अपराधी की हाथ की लिखाई उसे जेल की सलाखों तक ले जाती है या फिर पुलिस को अभी और पसीना बहाना पड़ेगा। आपको यह घटना हॉरर कॉमेडी मूवी स्त्री और स्त्री-2 की याद दिला सकती है, जिसमें चुड़ैल से बचने के लिए लोगों ने अपने घर के बाहर दीवार पर लिखा था- ओ स्त्री कल आना।
यातायात सुरक्षा सलाह
यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल है। लोगो से लगता है कि इंडियन एयरफोर्स के इलाके की कोई सडक़ है। बोर्ड तो एक नेक सलाह दे रहा है, मगर इसकी आलोचना करने वाले कम नहीं हैं। जैसे एक ने लिखा है- घर में बीवी हो तो आदमी वैसे भी गाड़ी धीरे चलाता है। शादी-शुदा आदमी को यह बताने की जरूरत नहीं है। नसीहत तो उन लडक़ों को दो जो रफ ड्राइविंग और स्टंटबाजी से बाज नहीं आते।