राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : महिला कांग्रेस का दफ्तर सील होगा?
22-Jan-2025 3:52 PM
राजपथ-जनपथ :  महिला कांग्रेस का दफ्तर सील होगा?

महिला कांग्रेस का दफ्तर सील होगा?

पूर्व सीएम भूपेश बघेल इस बात से खफा हैं कि रायपुर मेयर, और अन्य कई जगहों पर टिकट के लिए पार्टी नेता अपनी पत्नियों के नाम आगे बढ़ा रहे हैं। पार्टी नेताओं के प्रभाव में जिले के पदाधिकारी भी अपनी 'नेता' पत्नी को ही प्रमोट कर रहे हैं। सुनते हैं कि पूर्व सीएम ने रायपुर जिले के एक प्रमुख पदाधिकारी को फटकार भी लगाई, कि नेताओं की पत्नी को आगे किया जाएगा, तो पार्टी की महिला कार्यकर्ता क्या करेंगी? 

चर्चा है कि पूर्व सीएम ने रायपुर मेयर टिकट के लिए दावेदारों को टटोलने की भी कोशिश की। कुछ नेताओं ने महिला आयोग अध्यक्ष श्रीमती डॉ. किरणमयी नायक का नाम सुझाया। भूपेश ने उन्हें फोन भी लगवाया, लेकिन किरणमयी नायक के अंबिकापुर प्रवास में होने की वजह से चर्चा नहीं हो पाई। इससे परे राजीव भवन में महिला कांग्रेस की पदाधिकारियों ने आपस में बैठक भी की है। कुछ तो नेता पत्नी के नामों को लेकर यह कहते सुने गए, कि  यदि इन्हीं (नेता-पत्नी)में से प्रत्याशी तय किया जाता है, तो महिला कांग्रेस के कार्यालय को सील कर देना चाहिए। चाहे कुछ भी हो, महिला-टिकट मसले पर कांग्रेस में विवाद बढ़ सकता है। 

नई ईवीएम और नई आशंकाएं 

विधानसभा और लोकसभा चुनावों के बाद एक बार फिर ईवीएम सेंटर ऑफ अट्रैक्शन हो गया है। निकाय चुनाव में करीब पांच वर्ष बाद 11 फरवरी को ईवीएम से वोटिंग होगी। नगरीय निकायों के मतदाता एक ही मशीन में एक ही बार में दो बार बीप का बटन दबाएंगे। पहला पार्षद के लिए दूसरा महापौर और पालिका अध्यक्ष के लिए । दो वोटिंग की सुविधा वाली इस एक ही मशीन को तकनीकी रूप से मल्टी वोट मल्टी पोस्ट नाम है। 

यूं तो ईवीएम अपने ईजाद के जमाने से विवाद और अविश्वास से जूझ रही है। और राज्य निर्वाचन आयोग के इस नए नाम से चुनावी मैदान के घाघ एक बार फिर संदेह, आशंका कुशंका के शब्द लेकर उतर गए हैं। अभी यह सब कुछ वाट्सएप ग्रुप में चल रहा है जल्द ही आयोग, हाईकोर्ट तक भी जा सकता है। सशंकित लोगों का कहना है कि भाजपा सुनियोजित रूप से ईवीएम की नई मशीन लेकर आई है जिसमे एक ही मशीन में अध्यक्ष पार्षद के वोट डाले जाएंगे। वीवीपैड की पर्ची भी नहीं मिलेगी। जिस मशीन के बारे में जनप्रतिनिधि न ही आम जनता जानती है।

कई जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारी की भूमिका निभाने वाले अधिकारी जो चुनाव करवाने का अनुभव नहीं रखते ना ही इनको मशीन की पूरी जानकारी है कि कैसे आठ दिन में चुनाव कराना है तो वो मतदाता तक कैसे जानकारी पहुंचा पाएंगे। इसमें भाजपा की पूरी प्लानिंग है इसका विरोध करेंगे। 

वैसे तकनीकी जानकार बताते हैं कि ये मशीन स्टेट इलेक्शन कमीशन की है। इसमें एक सेंट्रल यूनिट में 4 बैलेट यूनिट कनेक्ट किए जा सकेंगे। और एक बीयू में महापौर,अध्यक्ष और पार्षद के 12प्रत्याशियों के नाम हो सकेंगे। हर मशीन में एक बटन, नोटा का होगा।

सबसे ज्यादा बधाई मिल रही है ...... को 

नगरीय निकाय, और पंचायत चुनाव की वजह से कैबिनेट का विस्तार टल गया है। फरवरी के आखिरी हफ्ते में विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो सकता है। ऐसे में कैबिनेट विस्तार कब होगा, यह तय नहीं है। मगर भाजपा के छोटे-बड़े नेता पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल को मंत्री बनने की अग्रिम बधाई देते नजर आए। 

सांसद बृजमोहन अग्रवाल के यहां विवाह समारोह में देश-प्रदेश के नेता जुटे थे। सरकार के मंत्री-विधायक, आम लोगों के आतिथ्य सत्कार में लगे थे। पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल भी पूरे समय विवाह समारोह में रहे।  कईयों ने उन्हें बधाई दी, तो वो हंसकर टालते दिखेे। पूर्व स्पीकर धरमलाल कौशिक, अजय चंद्राकर, राजेश मूणत सहित अन्य सीनियर विधायकों का नाम भी भावी मंत्रियों के रूप में लिया जा रहा है, लेकिन बधाइयां तो सबसे ज्यादा अमर को ही मिल रही है। अमर मंत्री बनेंगे या नहीं, यह तो कैबिनेट विस्तार के बाद ही पता चलेगा। 

गया ड्रोन पानी में...

दूरस्थ क्षेत्रों में ड्रोन के माध्यम से दवाएं पहुंचाने और पैथोलॉजी टेस्ट के लिए सैंपल इक_ा करने का महत्वाकांक्षी पायलट प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया है, वह भी स्वास्थ्य मंत्री के अपने क्षेत्र में। नवंबर माह में सरगुजा संभाग के कई स्थानों पर इस योजना का परीक्षण किया गया, जिसमें स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल की उपस्थिति भी रही। सूरजपुर जिले में ड्रोन के जरिए भटगांव सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तक दवाएं भेजी गईं, जबकि मनेंद्रगढ़ से चिरमिरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और बस्तर के कोंडागांव से मर्दापाल तक भी इसी प्रकार का परीक्षण किया गया।

सरगुजा और बस्तर जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति बेहद दयनीय है। मरीजों को इलाज के लिए नदी-नालों को पार कर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ड्रोन के माध्यम से दवाएं पहुंचाने की यह योजना इन दुर्गम इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती थी, क्योंकि इससे आपातकालीन स्थिति में त्वरित उपचार मिल सकता था।

अक्टूबर में मध्य प्रदेश में इस योजना का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भोपाल एम्स में किया गया था। वहां ड्रोन के जरिए सैंपल और दवाएं मंगाने-भेजने का काम हो रहा है। मेघालय जैसे अन्य दुर्गम मार्ग वाले राज्यों में भी यह योजना प्रभावी रूप से लागू हो चुकी है। सरगुजा में नवंबर में जब परीक्षण हुआ, तो एक जगह से दूसरी जगह दवाएं पहुंचाने में केवल 20-25 मिनट लगे, जबकि सडक़ मार्ग से यही दूरी तय करने में डेढ़ से दो घंटे लगते हैं।

मगर, सरगुजा में इस योजना पर अमल नहीं हो पा रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि बजट नहीं मिला। यह संयोग है कि पिछली कांग्रेस सरकार में भी स्वास्थ्य मंत्री सरगुजा संभाग से थे और अब भी वही स्थिति है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की कोई ठोस पहल नजर नहीं आ रही है। योजना का ठंडे बस्ते में चला जाना प्रशासनिक इच्छाशक्ति और प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करता है।

सडक़ बना आशियाना...

अंबिकापुर में महामाया पहाड़ी पर वन विभाग की जमीन पर घर बनाकर रह रहे लोगों को हाईकोर्ट ने अर्जेंट सुनवाई कर फौरी राहत तो दे दी है, पर यह केवल 5 दिन के लिए है। हाईकोर्ट का आदेश आने से पहले ही कई मकान तोड़े जा चुके थे। फिलहाल उनकी स्थिति ऐसी है। जाहिर है कि अफसरों की लापरवाही से जंगल पर कब्जा हुआ। कब्जा होता रहा, देखते रह गए- समय पर कदम नहीं उठाया गया। लोग पूछ रहे हैं कि क्या वन विभाग के अफसरों और कर्मचारियों के खिलाफ भी कोई एक्शन होगा?

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