राजपथ - जनपथ
सुनील सोनी से कहीं ख़ुशी कहीं गम
सुनील सोनी के प्रत्याशी घोषित होने के बाद से भाजपा के अंदरखाने में काफी हलचल है। टिकट के बाकी दावेदार नाखुश हैं। हालांकि सोनी, और अन्य पदाधिकारी उन्हें मनाने की कोशिश में लगे हैं। कुछ ने तो संगठन नेतृत्व से मिलकर खुद के लिए झारखंड, और महाराष्ट्र में चुनाव ड्यूटी मांग ली है।
दरअसल, टिकट से वंचित इन नेताओं को निगम-मंडलों में पद की आस है। इस वजह से ये नेता सार्वजनिक तौर पर प्रतिक्रिया से बच रहे हैं। सांसद बृजमोहन अग्रवाल को टिकट के दावेदारों की नाराजगी का अहसास भी है। यही वजह है कि बृजमोहन खुद नाराज नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। इनमें से एक-दो को तो वो मनाने में कामयाब भी हो चुके हैं। कुछ तो सोनी के साथ फोटो खिंचवा चुके हैं।
टिकट के दावेदारों में एक रमेश ठाकुर ने सुनील सोनी को विजयी बनाने के लिए वाल राइटिंग भी कराना शुरू कर दिया। टिकट के लिए जो मजबूत दावेदार माने जा रहे थे उनमें मनोज शुक्ला हैं। मनोज ने भी फेसबुक पर लिखा है कि कार्यकर्ताओं के मसीहा सुनील सोनी रायपुर दक्षिण के उम्मीदवार, अब की बार एक लाख पार। सुनील सोनी के करीबियों का मानना है कि जल्द ही सभी नेता प्रचार में जुटेंगे। वाकई ऐसा होगा, यह देखना है।
रिकार्ड बनेगा या बदला
दक्षिण के दंगल में रिकॉर्ड बनेगा या बदला यानी (एवज)मिलेगा, यह ठीक एक माह बाद पता चलेगा। यह दोनों तभी संभव है जब कांग्रेस से प्रमोद दुबे को टिकट मिल जाएगी। डिटेल यह है कि 2019 के लोस चुनाव में सुनील सोनी ने प्रमोद दुबे को सवा तीन लाख वोटों से हराया था। और अब दोनों फिर से आमने-सामने होने वाले हैं। सोनी जीते तो एक ही प्रतिद्वंद्वी को दो बार हराने का रिकार्ड बनेगा। यदि प्रमोद जीते तो लोस में हार का विधानसभा में बदला लेंगे।
जैसा पूर्व विधायक, सांसद बृजमोहन अग्रवाल कह रहे हैं कि दक्षिण को दो विधायक मिलेंगे। नतीजे प्रमोद के फेवर में रहे तो वे दो पर जीत दर्ज करेंगे। क्योंकि प्रमोद, बृजमोहन से भी हार चुके हैं। वैसे सोनी एक रिकार्ड और बना सकते हैं, वो यह कि दक्षिण में जीत कर महापौर, सांसद और विधायक तीनों बनेंगे। लेकिन प्रदेश उपाध्यक्ष सोनी, पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सरोज पांडे का रिकॉर्ड नहीं तोड़ पाएंगे। सरोज एक ही कार्यकाल में तीनों पद पर रहीं हैं।
श्रीनिवास की राह आसान नहीं
राष्ट्रीय वन खेल उत्सव का समापन हो गया। यह उत्सव अपने खर्चों के लिए ज्यादा चर्चा में रहा। विभाग के एक बड़े अफसर ने अपने बैचमेट के रुकने-ठहरने की व्यवस्था सबसे महंगे मेफेयर होटल में की थी। जबकि उनसे सीनियर कई अफसर अपेक्षाकृत छोटे होटल में रुकवाया गया था। खेल उत्सव के समापन के बीच हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स वी श्रीनिवास राव ने केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन किया है।
चर्चा है कि राज्य सरकार ने इसकी अनुशंसा भी की है। उनका नाम डीजी फॉरेस्ट के लिए चर्चा में है। हालांकि इस पद के लिए देशभर के कुल 25 आईएफएस अफसर दौड़ में हैं। राव के लिए थोड़ी दिक्कत यह हो सकती है कि आरा मशीन घोटाला प्रकरण में विधानसभा की लोक लेखा समिति उन्हें (राव) बरी करने के खिलाफ राज्य सरकार से कारण पूछ रही है।
यही नहीं, हाईकोर्ट ने कुछ दिन पहले राव की हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स की नियुक्ति के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान इस बात पर नाराजगी जताई थी कि सरकार कोई जवाब नहीं दे रही है। अगले महीने इस पर फैसला आ सकता है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।
ग्रह नक्षत्र का चक्कर
प्रदेश में कानून व्यवस्था और प्रशासनिक अराजकता की चर्चाओं के बीच खबर है कि एक वरिष्ठ नेता ने ज्योतिषी और तांत्रिक की राय ली थी। यह खबर थोड़ी पुरानी है। दरअसल, लगातार ऐसी घटनाएं हो रही थीं कि पूरी पार्टी और सरकार पर उंगलियां उठ रही थी। विपक्ष ने भी बड़े जोर शोर से मुद्दा उठाया। ऐसा लग रहा था कि सरकार में बड़ा बदलाव होने वाला ही है। ऐसे में एक नेताजी की पत्नी ने सिद्ध तांत्रिक से बात की। तांत्रिक ने जो भी विधि बताई, उसका असर अब दिख रहा है। विपक्ष के विरोध के केंद्र में अब कोई और है। तंत्र क्रिया के बाद नेताजी सेफ हो गये हैं। अब जो नेता निशाने पर हैं, उन्हें भी अपना ग्रह नक्षत्र एक बार शांत करा लेना चाहिए। क्या पता चुनाव के बाद क्या बदलाव हो जाए।
उड़ान इतनी तेज भी नहीं..
उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) योजना की सातवीं वर्षगांठ पर कल अंबिकापुर के मां महामाया एयरपोर्ट से हवाई सेवा का उद्घाटन कर दिया गया। उद्घाटन पहले हो गया लेकिन नियमित उड़ानों का कोई शेड्यूल जारी नहीं किया गया है। ऐसे उद्घाटन का औचित्य ही लोगों को समझ नहीं आया। हरी झंडी तो तभी दिखाई देनी चाहिए, कोई सुविधा शुरू हो रही हो। मगर शायद वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए ऐसा कर दिया गया। इस मौके पर केंद्र के उड्डयन मंत्रालय ने सात वर्षों की उपलब्धियों का खाका जारी किया है। इसमें बहुत सी उपलब्धियों के साथ बताया गया है कि घरेलू उड़ानों को प्रोत्साहन देने के लिए कितनी तरह की रियायतें दी जा रही हैं। यह भी कहा गया है कि देश में एयरपोर्ट की संख्या दस वर्षों में 74 से बढक़र 157 हो गई है। इनमें बिलासपुर और अंबिकापुर जैसे एयरपोर्ट भी शामिल हैं। अंबिकापुर जहां से यात्री सेवाएं शुरू ही नहीं हुई हैं और उद्घाटन कर दिया गया है। कौन सी उड़ानें, कहां की उड़ानें कब शुरू होंगी पता नहीं है। बिलासपुर से यात्री विमान सेवा चालू है लेकिन यहां से उड़ानों की संख्या इतनी अनियमित है कि बिलासपुर व सरगुजा संभाग के लोग रायपुर से ही फ्लाइट लेना पसंद करते हैं। यहां पर एयरपोर्ट की जमीन का एक बड़ा हिस्सा रक्षा मंत्रालय के कब्जे में है। इसके लिए अदालत से लेकर सडक़ तक लड़ाई लड़ी जा रही है ताकि 3सी और 4सी विमानों को उतारा जा सके। नाइट लैंडिंग की सुविधा पर भी हाईकोर्ट के निर्देश पर काम हुआ है पर इसके उपकरण अब तक नहीं लगे हैं। न बड़े हवाई जहाज यहां से उड़ान भर सकते और न ही रात में ऑपरेशन किया जा सकता। उड्डयन मंत्रालय द्वारा उड़ान योजना का सातवीं वर्षगांठ पर जारी वक्तव्य बताता है कि हवाईअड्डों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई, यात्रियों की संख्या भी दोगुनी हो गई लेकिन कहां-कहां अधूरे काम हैं, जिनके चलते उड़ान की रफ्तार धीमी है, इसका पता नहीं चलता। वैसे, एक सरकारी आंकड़ा यह भी कहता है कि इन 157 हवाई अड्डों में से 131 में ही नियमित उड़ान सेवा इस समय एएआई संचालित कर रहा है। ([email protected])