राजपथ - जनपथ
बैस की संभावनाएं
पूर्व राज्यपाल रमेश बैस ने फिर से भाजपा की सदस्यता ले ली है। वो सक्रिय सदस्य बन गए हैं। बैस सक्रिय राजनीति में लौटना भी चाहते हैं। पार्टी के कुछ नेताओं ने उन्हें सलाह भी दी है कि वो कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में नियमित रूप से बैठें, और कार्यकर्ताओं की समस्याओं का निराकरण भी करें।
चर्चा थी कि बैस को कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में कमरा अलाट होने वाला है। मगर यह अभी तक नहीं हुआ है। उनके पुराने जान पहचान के लोग ही मिल रहे हैं। पदाधिकारी, और जन प्रतिनिधि तो उनसे दूरी बनाए हुए हैं। सुनते हैं कि बैस रायपुर के एक विधायक को तीन बार फोन कर चुके हैं, और मिलने के लिए बुला चुके हैं। मगर विधायक अभी तक बैसजी से मिलने के लिए टाइम नहीं निकाल पाए हैं। ऐसी स्थिति में बैस जी पहले जैसे सक्रिय रहेंगे, इसकी संभावना कम दिखती है।
चार सीटों का मेयर या विधायक
भाजपा से रायपुर दक्षिण के लिए दावेदारी करते रहे मृत्युंजय दुबे, केदार गुप्ता, मीनल चौबे, सुभाष तिवारी, अंजय शुक्ला, रमेश ठाकुर और अन्यान्य से यही कहा जा सकता है- हार्ड लक, बेटर ट्राय नेक्स्ट टाइम। वैसे यह सभी त्रिकोण में फंसकर, असमंजस में ही दावेदारी कर रहे थे, कि दक्षिण या मेयर, या फिर निगम-मण्डल। और अब पार्टी को भी आसान हो जाएगा, नाम छांटने में कि कौन मेयर, सभापति और कौन निगम मंडल।
अब दरअसल, बृजमोहन अग्रवाल के इस्तीफे के बाद से ये सभी प्रबल दावेदार रहे हैं, लेकिन तय नहीं कर पा रहे थे किसकी दावेदारी करें। इसमें एक पेंच और है। महापौर का पद आरक्षण से तय होगा। वर्तमान में महापौर का पद अनारक्षित है। ऐसे में संभव है कि यह पद पिछड़ा वर्ग या फिर महिला के लिए आरक्षित हो सकता है। इन सबके चलते भी कई की दावेदारी स्वाभाविक तौर पर खत्म हो जाएगी।
दूसरी तरफ, महापौर या विधायक के पद, कार्यक्षेत्र ये नजरिए से देखें तो महापौर ही बड़ा पद। फिर इस बार पार्षदों से नहीं सीधे जनता से चुना जाना है। बहुमत का टेंशन नहीं। 70 वार्डों में कहीं का गड्ढा कहीं पट जाएगा। उसके बाद तो व्हाइट हाउस की छत से शहर देखकर कहा जा सकता है -अगले पांच साल ये शहर मेरा है। और बजट देखे तो दो करोड़ की विधायक निधि, सांसद-सरकार और निगम पर निर्भर रहना होगा । महापौर मतलब चारों विधानसभा क्षेत्र, 70 वार्ड, 2 हजार करोड़ का बजट, बड़े-बड़े बिल्डर डेवलपर से वास्ता। इन दोनों चुनाव में जेब खर्च होने के बाद भी जीत की गारंटी 50-50। हींग लगे न फिटकरी वालों के लिए निगम मंडल ही बेहतर।
वंदेभारत का भविष्य वहां है...
यह तस्वीर आज सफर करने वाले यात्री ने भेजी है...
रायपुर वाइजैग वंदेभारत को आज एक माह पूरे हो गए। रेलवे के पैसेंजर बिजनेस के हिसाब से यह ट्रेन अब तक नुकसान में ही चल रही है। 16 कोच की ट्रेन में कुल 1128 सीटें हैं और यह ट्रेन इनमें से 37-40 प्रतिशत बुकिंग पर ही चल रही है। यानी आपरेशन कॉस्ट भी नहीं निकल रही। इसे देखते हुए इस ट्रेन के ओनर रायपुर रेल मंडल ने एक माह और आब्जरवेशन आपरेशन करने का फैसला किया है। उसके बाद ट्रेन को बंद तो नहीं करेगा, लेकिन इसके 16 कोच कम किए जा सकते हैं। यानी 8-10 कोच से चलाई जा सकती है। बाकी कोच से रायपुर जबलपुर व्हाया गोंदिया चलाने की चर्चा टीटियों के बीच जमकर है। ऐसा होने से अमरकंटक एक्सप्रेस के सारे यात्री डायवर्ट होंगे और रायपुर रेल मंडल को नया बिजनेस रूट मिलेगा या फिर बिलासपुर- नागपुर वंदेभारत को ही 8 से बढ़ाकर 16 कोच किया जा सकता है। मेन लाइन पर डिमांड बहुत है। इन टीटीई की माने तो दुर्ग वाइजैग तक रेल खंड पर वंदेभारत बिजनेस का अलग अलग है। दुर्ग, रायपुर महासमुंद से वाइजैग तक औसत सीट बुकिंग 180-200 के साथ किसी दिन 300 भी रही। उसके बाद कांटाभांजी टिटलागढ़ केसिंगा, रायगढ़ से वाइजैग अप डाउन दोनों में 250-300। इसके पीछे कारण ओडिशा के इन शहरों-कस्बों के लिए सुबह जाकर शाम 8 बजे वापसी के लिए बेहतर कनेक्टिविटी मिल रही है। इसलिए कहा जा रहा है कि वाइजैग वंदेभारत का भविष्य पश्चिम ओडिशा पर निर्भर रहेगा।
राइट टाइम आवाजाही से ट्रेन पसंद तो की जा रही है। रायपुर से छूटते ही महासमुंद में ब्रेकफास्ट, पार्वतीपुरम के आसपास लंच में रोटी, दो सब्जी, दाल, चावल,दही आचार के साथ क्वालिटी लंच पैक परोसा जाता है। विजयनगरम में आइसमक्रीम की ठंडक का मजा लीजिए। सब कुछ ठीक है मगर भाड़ा महंगा है।
एंटोफगास्ता में लुटने वाले..
एंटोफगास्ता नाम कुछ अजीब है। ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले ऐसे ही अजीबो-गरीब नाम का इस्तेमाल करते हैं। हाल ही में छत्तीसगढ़ के सरगुजा, बलरामपुर और रायगढ़ जिले से खबर आई है कि दर्जनों गांवों के 2-3 हजार लोग इसमें निवेश करके करोड़ों रुपये गंवा बैठे हैं। जिनके रुपये डूबे उनमें से कई लोगों पर लाखों रुपये का कर्ज डूब गया है कई की अचल संपत्ति बिक गई है। कुछ ने महंगे ब्याज पर पैसे लिए, अब चुकाने की सोचकर सिर चकरा रहा है। यह ऐप छोटा-छोटा निवेश करने और जल्दी रिटर्न का झांसा देता था। जैसे 500 रुपये लगाएं, 7 दिन में 50 प्रतिशत रिटर्न पाएं, 14 दिन मं 100 प्रतिशत और एक माह में 200 प्रतिशत रिटर्न। सन् 2021 से चल रहे ऐप में लोगों को पैसे लौटाए भी जा रहे थे। यह धोखाधड़ी का एक तरीका था, जिससे लोगों का विश्वास जम जाए। पर अचानक यह ऐप बंद हो गया। छत्तीसगढ़ ही नहीं, नेट को खंगालने पर पता चलता है कि तमिलनाडु सहित दक्षिण के कई राज्यों में ऐसे निवेश के चक्कर में लोग करोड़ों रुपये डुबा बैठे हैं।
एंटोफगास्ता चिली गणराज्य का एक हिस्सा है। इस नाम से कॉपर की एक माइनिंग कंपनी भी है। कंपनी ने अपनी वेबसाइट पर लिख रहा है कि हमारे नाम पर कोई निवेश करने के लिए ऑफर देता है तो कानूनी रूप से वे इसके लिए बाध्य नहीं होंगे। यानि यह फ्रॉड अंतरराष्ट्रीय स्तर का भी हो सकता है। यह ऐप पहले कभी गूगल प्ले पर उपलब्ध रहा या नहीं, पर आज मौजूद नहीं है। कुछ साल पहले बिडक्वाइन के नाम से मिलते जुलते वर्चुअल मनी निवेश करने का ऑफर देने वाले दर्जनों ऐप गूगल पर दिखने लगे थे। गूगल ने सबको अपने प्ले स्टोर से हटाया। इसके बावजूद लोग वाट्सएप या टेलीग्राम से मिले लिंक पर जाकर ऐप डाउनलोड करते हैं। दिक्कत यह है कि इस निवेश में फंसने वाले लोग मजदूर, छोटे दुकानदार व सीमित वेतन की प्राइवेट जॉब करने वाले लोग हैं। ज्यादातर लोगों की शिकायत पुलिस तक पहुंची भी नहीं है। इन दिनों पूरे प्रदेश में पुलिस साइबर फ्रॉड से बचने के लिए लोगों के बीच जागरूकता अभियान चला रही है, मगर शातिर ठग अपना काम जारी रखे हुए हैं। लोगों को यह समझना नहीं है कि यदि कोई आपको आपकी शारीरिक दक्षता और तकनीकी दक्षता का उपयोग किये बिना बड़ा और अविश्वसनीय रिटर्न देने की बात करता है तो वह धोखाधड़ी के अलावा कुछ नहीं हो सकता।
करवा चौथ पर मंगल कामना
प्रेम की अभिव्यक्ति के भिन्न भिन्न तरीके हो सकते हैं। बॉलीवुड में हजारों गाने प्रेम दर्शाने पर तैयार हो चुके हैं। पर हर बार कहने का अंदाज नया होता है, इसलिए चल रहे हैं। ऐसे ही अलग अंदाज में मेंहदी रचाकर एक विवाहिता ने अपने पति के लिए जाहिर की है। वैसे ऐसा लगता है कि पति घर जमाई है।
भाई की शिकायत नड्डा से
रायपुर की पूर्व विधायक श्रीमती रजनी ताई उपासने के परिवार का झगड़ा पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं तक पहुंच गया है। रजनी ताई के पुत्र वरिष्ठ पत्रकार जगदीश उपासने ने टिकरापारा स्थित अपने पैतृक निवास की तस्वीर एक्स पर साझा की है, और वहां लूटपाट का आरोप लगाया है। यह आरोप किसी और पर नहीं, बल्कि अपने छोटे भाई सच्चिदानंद उपासने पर लगाया है।
उपासने ने लिखा कि छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार आने के बाद स्थानीय नेताओं की बढ़ती गुंडागर्दी पार्टी को डुबो देगी। प्रदेश भाजपा के स्थानीय दलाल नेताओं की हिम्मत इतनी बढ़ गई कि वे बूढ़ी, बीमार माताओं के घरों में दिन दहाड़े डकैती डालने लगे! कोई बेटा अपनी के घर का ताला तोडक़र उसके घर में दिन दहाड़े डकैती डाल सकता है? हां, जरूर अगर बेटा भाजपा का नेता हो, और उस राज्य में भाजपा की सरकार हो! छत्तीसगढ़ भाजपा के ऐसे ही जमीनों के दलाल और दुर्भाग्य से मेरे छोटे भाई सच्चिदानंद उपासने और उनके साथी आलोक श्रीवास्तव ने अपने साथियों संग हमारी माता, रायपुर की पूर्व विधायक 92 वर्षीय श्रीमती रजनी ताई उपासने के घर-ऑफिस के ताले तोडक़र उसमें रखा सामान लूट लिया।
भाजपा का इस नेता को तीन साल से अपनी बीमार मां से मिलने उसके घर आने की फुर्सत नहीं मिली। लेकिन मां के घर का ताला तोडऩे की फुर्सत मिल गई। नरेन्द्र मोदी की उपलब्धियों पर भाजपा के लोकल नेता किस तरह पानी फेरते हैं यह उसकी एक मिशाल है। छत्तीसगढ़ में अपराधों का ग्राफ ऐसे ही ऊपर नहीं जा रहा! उन्होंने जेपी नड्डा और सीएम विष्णुदेव साय को टैग करते हुए लिखा कि मुझे उम्मीद नहीं कि रायपुर पुलिस इसकी रिपोर्ट दर्ज करेगी। ([email protected])