राजपथ - जनपथ
किचकिच के बाद एयरपोर्ट का जिम्मा
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा गुरुवार को रायपुर आए, तो एयरपोर्ट में अंदर प्रवेश के लिए पार्टी नेताओं में काफी किचकिच हुई। यह मामला उस वक्त और बढ़ गया जब प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन को छोडऩ़े के लिए एयरपोर्ट पहुंचे महामंत्री (संगठन) पवन साय को बाहर रोक दिया गया। चर्चा है कि इन घटनाक्रमों से नितिन नबीन काफी खफा हैं, और उनके हस्तक्षेप के बाद एयरपोर्ट में स्वागत-सत्कार प्रबंधन की जिम्मेदारी प्रीतेश गांधी को दे दी गई है।
पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के रायपुर आगमन पर एयरपोर्ट में स्वागत-सत्कार आदि की व्यवस्था अब तक प्रदेश कार्यालय मंत्री देखते रहे हैं। प्रदेश कार्यालय मंत्री की शिकायत रही है कि पार्टी दफ्तर से नाम भेजे जाने के बावजूद एयरपोर्ट प्रबंधन अपनी तरफ से कई नाम काट देता है। जिससे वो अंदर प्रवेश करने से वंचित रह जाते हैं। इस मसले पर एयरपोर्ट अधिकारियों के अपने तर्क हैं। उनका कहना है कि नियमों को ताक पर रखकर अधिक संख्या में नेताओं को अंदर प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
विवाद के बाद प्रदेश भाजपा के नेता इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि स्वागत-सत्कार के लिए एयरपोर्ट के अफसरों के साथ तालमेल बिठाकर काम करने की जरूरत है। इसके लिए प्रीतेश गांधी को उपयुक्त पाया गया। प्रीतेश एयरपोर्ट सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे हैं। न सिर्फ रायपुर बल्कि इंदौर एयरपोर्ट के भी सदस्य रहे हैं। उनके एयरपोर्ट अफसरों से अच्छे संबंध बताए जाते हैं। चर्चा है कि अब एयरपोर्ट में अंदर प्रवेश के लिए पार्टी की तरफ से सूची प्रीतेश ही फायनल करेंगे। देखना है कि नई व्यवस्था के बाद स्वागत-सत्कार को लेकर विवाद खत्म होता है या नहीं।
नड्डा से दोस्ती तो ठीक है, लेकिन आगे?
बीजापुर के पूर्व कलेक्टर अनुराग पांडेय गुरुवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा से मिले, तो नड्डा ने उनके साथ अपने पुराने रिश्तों को अन्य नेताओं से साझा किया।
नड्डा 90 के दशक में जेएनयू में एबीवीपी के प्रमुख थे। उस वक्त अनुराग भी वहां अध्ययनरत थे। तब से अनुराग के नड्डा से परिचित हैं। यही नहीं, नड्डा ने उनसे बीजापुर का हाल जाना। इस दौरान वहां मौजूद प्रदेश अध्यक्ष किरणदेव ने अनुराग पांडेय की तारीफ करते हुए कहा कि बहुत कम समय में अंदरूनी इलाकों में अच्छा काम हुआ है। कुछ और नेताओं ने भी किरणदेव के सुर में सुर मिलाया।
ये अलग बात है कि रिटायर होने के बाद अनुराग को कोई जिम्मेदारी नहीं मिली है। सरकार उन्हें कोई दायित्व सौंपती है या नहीं, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
7 दिन में 3 दिन की कमाई ..!
दुर्ग- विशाखा वंदेभारत एक्सप्रेस को शुरू हुए एक सप्ताह पूरा हो गया । इस दौरान इस द्रुतगामी ट्रेन में सप्ताह भर ड्यूटी करने वाले टिकिट कलेक्टर्स के मुताबिक इन 7 दिनों में तीन दिन का भी आपरेशनल कास्ट नहीं मिला रेलवे को।वैसे इस ट्रेन को अच्छे प्रतिसाद दिलाने वाट्सएप चैटिंग में कुछ का कहना है कि इसका रूट दुर्ग के बजाए कोरबा से चलाने का सुझाव दे रहे हैं। और टाइमिंग भी बता रहे सुबह 5 बजे कोरबा से स्टार्ट किया जाए तो दो बजे विशाखा पहुंचा जा सकता है। इससे कोरबा से विशाखापट्टनम के लिए एक और ट्रेन उपलब्ध रहेगी। दुर्ग से तो विशाखा के लिए समता,भगत की कोठी,साईंनगर एक्सप्रेस और रायपुर आकर रात लिंक एक्स्प्रेस की कनेक्टिविटी है ही।
बताया गया है कि इसके साथ 16 और 20 सितंबर से शुरू हुए नौ अन्य ट्रेनों का भी यही हाल बताया गया है। दिल्ली के एक राष्ट्रीय दैनिक ने दो दिन पहले ही इन ट्रेनों का पैसेंजर रिस्पांस प्रकाशित किया था। सिकंदराबाद- नागपुर जैसे महानगरों को जोडऩे वाली वंदेभारत भी अपनी कुल सीट क्षमता के मुकाबले सिर्फ 20 फीसदी यात्रियों के साथ दौड़ी।यानी यह ट्रेन 80 फीसदी से ज्यादा खाली सीटों के साथ चल रही है। इस पर रेल कर्मियों का कहना है कि शुरू के दो तीन महीने सभी का यही हाल रहता है। आने वाले दिन त्यौहारी, शीतकालीन अवकाश, न्यू ईयर ट्रिप के हैं, भीड़ बढ़ेगी बुकिंग बढ़ेगी।
साइबर ठगी का नया तरीका
साइबर अपराध की एक चाल को लोग समझने की कोशिश करते हैं, तभी दूसरी और तीसरी चालबाजियां सामने आ जाती हैं। हाल ही में इसका एक उदाहरण फर्जी ई-चालान के मेसेज के रूप में देखा जा रहा है। छत्तीसगढ़ के कई शहरों में चौक-चौराहों पर लगे सीसीटीवी कैमरों से सिग्नल तोडऩे पर कंट्रोल रूम में रिकॉर्ड दर्ज होता है, और तुरंत वाहन के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर ई-चालान का मेसेज भेज दिया जाता है। इस प्रक्रिया में ऑनलाइन जुर्माना भरने की सुविधा भी दी गई है।
लेकिन अब इस प्रक्रिया को भी ठगी का जरिया बना लिया गया है। आपके मोबाइल पर चालान का मेसेज आएगा। आपको लगेगा कि आपने अनजाने में कोई ट्रैफिक नियम तोड़ा है। जैसे ही आप लिंक पर क्लिक करेंगे, आप ठगी के जाल में फंस सकते हैं। जालसाजों ने मिलते-जुलते नाम से फर्जी वेबसाइटें भी बना रखी हैं। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (जीपीएम) जिले की पुलिस ने लोगों को इस बारे में सतर्क किया है, लेकिन संभव है कि छत्तीसगढ़ के अन्य जिलों में भी ऐसा हो रहा हो। सभी के लिए यह जानकारी बेहद जरूरी है।
अभिभावकों की चिंता
छत्तीसगढ़ ही नहीं देशभर के स्कूलों से ऐसी खबरें लगातार आ रही हैं जिसने अभिभावकों को अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। मध्यप्रदेश सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी कर सभी निजी और सरकारी स्कूल के टीचिंग, नॉन टीचिंग स्टाफ यहां तक कि अस्थायी रूप से रखे जाने वाले कर्मचारियों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया है। अब ऐसी ही मांग कोरबा से उठी है। बीते दिनों शिक्षा मंत्री टंकराम वर्मा से पैरेंट्स एसोसियेशन ने ऐसा ही प्रावधान छत्तीसगढ़ में भी लागू करने की मांग की। उनका कहना है कि वे विशेषकर छात्राओं को लेकर चिंतित हैं। यदि यह पहल की गई तो यौन शोषण व दुर्व्यवहार की घटनाओं में नियंत्रण रखा जा सकेगा। यह जरूर है कि पुलिस वेरिफिकेशन स्कूलों का माहौल सुधारने के लिए पूरी तरह कारगर नहीं होगा। अनेक शिक्षक तो नशे की हालत में स्कूल पहुंचकर बच्चों का भविष्य खराब कर रहे हैं। उन पर कैसे निगरानी होगी? इसके बावजूद अभिभावकों की मांग गौर करने लायक है। ([email protected])