सारंगढ़-बिलाईगढ़

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सारंगढ़, 25 जुलाई। राजघराने के द्वारा नगर देवता ग्राम देवता ठाकुर देव की पूजा वर्षों से चली आ रही ऐतिहासिक परंपरा के रूप में देखी जा सकती है । गांव देवता ठाकुर देव की पूजा ग्रामीण संस्कृति और लोक आस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है । ठाकुर देव को ग्राम के रक्षक देवता के रूप में पूजा जाता है ।
शहर के ठाकुरदिया घाट के पास अकोल पेड़ के नीचे स्थित ठाकुर देव की मंदिर के बैगा ने बताया कि - मंदिर के नीचे मिट्टी के छोटे घड़े में जल भर कर रखा जाता है । यह जल भरे घड़े को एक वर्ष बाद हरेली अमावस्या के दिन खोला जाता है। अगर उक्त घड़े में जल आधा से ज्यादा बचा हो तो यह भविष्यवाणी बैंगा द्वारा की जाती है कि - क्षेत्र में खेती अच्छी होगी , यहां अकाल नहीं पड़ेगा, ना ही लोग अकाल मौत मरेंगे , गांव में बीमारियों का भी कहर नहीं आएगा , किसान व्यापारी सभी जन साल भर खुश रहेंगे । समलेश्वरी मंदिर के पुजारी दिलीप पुरी गोस्वामी ने बताया कि - ग्राम देवता ठाकुर देव महाराज की पूजा वर्ष में एक बार की जाती है। इनकी पूजा से गांव को बीमारियों , बुरे सपनों , दुख, महामारी और प्राकृतिक आपदाओं से जनमन को बचाता है । अच्छी फसल , शांति और समृद्धि की कामना करना इस पूजा का महत्वपूर्ण उद्देश्य रहा है । गांव के सामूहिक एकता और लोक आस्था को इस पूजा के माध्यम से प्रकट किया जाता है । ठाकुर देव की पूजा ग्राम्य जीवन और प्रकृति से जुड़ी संस्कृति का प्रतीक है । ठाकुर जी पूजा स्थल पर जनता जनार्दन अपनी आस्थाओं के साथ श्रीफल, धूप, अगरबत्ती, मुर्गा और अन्य सामग्री ले जाकर पूजा करते हैं और ग्राम देवता ठाकुर देव को मनाते हैं।