राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : यह तस्वीर बहुत खास इसलिए भी है..
30-Mar-2022 5:54 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : यह तस्वीर बहुत खास इसलिए भी है..

यह तस्वीर बहुत खास इसलिए भी है..

संसद के सेंट्रल हॉल में दो चर्चित और मशहूर चेहरों के पीछे बैठे छत्तीसगढ़ के रायपुर के सांसद सुनील सोनी। सनी देओल और हेमा मालिनी की साथ बैठी हुई यह तस्वीर इस मायने में भी दिलचस्प है कि दोनों भाजपा के सांसद भी हैं, और सौतेले मां-बेटे भी हैं। सुनील सोनी की इस तस्वीर को देखकर यह याद पड़ता है कि किस तरह बरसों तक लोकसभा में लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज के पीछे बैठे हुए रायपुर के ही सांसद रमेश बैस का चेहरा दिखता था, और लोग टीवी पर मोटे तौर पर रमेश बैस को उसी तरह देख पाते थे। अब सुनील सोनी का यह पहला ही कार्यकाल है इसलिए लोकसभा में तो उन्हें सामने बैठने की जगह नहीं मिलती कि वे भाजपा के सबसे वरिष्ठ लोगों के ठीक पीछे दिखते रहें, लेकिन सेंट्रल हॉल से यह एक बहुत ही खास तस्वीर सामने आई जिसमें देश के दो सबसे चर्चित सौतेले मां-बेटे भी दिख रहे हैं।

साम्प्रदायिकों के मुंह से पुलिस की तारीफ!

छत्तीसगढ़ में तथाकथित धर्मांतरण को भाजपा ने एक बड़ा मुद्दा बना रखा है। ऐसे में गांव-गांव में अल्पसंख्यक तबकों की होने वाली घरेलू प्रार्थना सभा पर उग्रवादी हिन्दू संगठनों के हमले हो रहे हैं। और फिर प्रदेश की कांग्रेस सरकार की मातहत पुलिस भी हिन्दू संगठन की तरह काम करते दिखती है। अभी सरगुजा के जशपुर जिले में थाना कांसाबेल के तहत ग्राम रजौरी भालूटोली में एक ईसाई परिवार में घर पर प्रार्थना सभा की जा रही थी। इस पर कांसाबेल के थाना प्रभारी ने इस परिवार को एक नोटिस भेजा है, और कहा है कि आपके घर में ईसाई समुदाय के द्वारा गांव के लोग से मिलकर प्रार्थना का संचालन किया जा रहा है। इस घर में प्रार्थना संचालन करने के संबंध में आपके पास कोई वैध लाइसेंस/दस्तावेज उपलब्ध हैं तो तत्काल प्रस्तुत करें। थाने ने लिखा है कि क्या आपके द्वारा प्रार्थना सभा किए जाने के संबंध में प्रशासन या सक्षम अधिकारी को सूचित किया गया था, बताने का कष्ट करें।

अब प्रदेश की कांग्रेस सरकार की पुलिस से यह पूछा जाना चाहिए कि क्या दूसरे धर्मों की प्रार्थना किसी घर में होती है, तो उसके लिए हिन्दू या जैन या सिक्ख या बौद्ध कोई लाइसेंस लेते हैं? इन सभी धर्मों में कई घरों पर धार्मिक आयोजन होते हैं, हिन्दू परिवारों में तो कई-कई दिन चलने वाली अखंड रामायण भी चलती है, भागवत का आयोजन होता है, रात-रात भर कीर्तन चलता है, इन सबके लिए किस तरह का लाइसेंस लिया जाता है?

आक्रामक धार्मिक, धर्मान्ध, और साम्प्रदायिक संगठनों के दबाव में छत्तीसगढ़ पुलिस जगह-जगह ऐसी कार्रवाई कर रही है कि साम्प्रदायिक संगठन उसकी सार्वजनिक रूप से तारीफ भी कर रहे हैं। क्या सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी के भीतर कोई पुलिस के ऐसे धार्मिक होने के खतरे समझ रहे हैं?


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