राजपथ - जनपथ

छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अंत्येष्टि तभी, जब दाग मिटे
10-Mar-2022 6:12 PM
छत्तीसगढ़ की धड़कन और हलचल पर दैनिक कॉलम : राजपथ-जनपथ : अंत्येष्टि तभी, जब दाग मिटे

अंत्येष्टि तभी, जब दाग मिटे

हाल ही में नारायणपुर जिले के बंडा गांव में डीआरजी बल के जवान रेनू राम नरेटी के भाई मानूराम की पुलिस की गोलियों से मौत हो गई। बार-बार पुलिस यह साबित करने की कोशिश कर रही थी कि वह नक्सली था और मुठभेड़ में मारा गया। पर ग्रामीण उसे बेकसूर बताते रहे और सबूत भी दिए कि वह तो बस्तर फाइटर्स (आरक्षक) में भर्ती की तैयारी कर रहा था। आखिरकार पुलिस ने माना मृतक मानु राम के नक्सली होने का कोई प्रमाण नहीं है। अब इस तथ्य के सामने आने के बाद मानूराम के भाई उसकी पत्नी और परिवार को इंसाफ मिलेगा या नहीं, यह भविष्य के गर्भ में है।

पर यह अकेला एक मामला नहीं है। कितने ही मुठभेड़ों को बस्तर के आदिवासी फर्जी बताते और न्याय की गुहार लगाते रहे हैं।

किरंदुल के गामपुर में 19 मार्च 2020 की सुबह छत्तीसगढ़ पुलिस की एक गश्ती टीम ने 22 साल के बदरू मंडावी को नक्सली बताकर मार गिराया। औपचारिकताएं पूरी करने के बाद उसका शव परिवार को सौंप दिया गया। 23 माह बीत गये। बदरू के परिवार वालों अब तक उसके शव को संभाल कर रखा हुए हैं। एक गड्ढा खोदा गया है, और जड़ी-बूटी शरीर पर लेपकर कपड़े से बांध दिया गया है। बद्री की पत्नी पोदी और मां माधवी मार्को कहती हैं कि जब तक बेकसूर बेटे को मारने वाले पुलिस जवानों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, शव को नहीं दफनाया जाएगा। वे लगातार बुजुर्ग की हत्या की जांच की मांग प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों से कर चुके हैं। कोई सुनवाई नहीं हुई। इन्हें उम्मीद है कि किसी दिन तो उनकी बात सुनी जाएगी और जांच होगी। तब हो सकता है, जांच में इस शव की भी जरूरत पड़े। क्या सरकार में बैठे लोग उनकी फरियाद सुन पा रहे हैं?

पानी भरा रहा तो रेत कैसे निकलेगी?

नदियों से रेत निकालने के लिए जरूरी है कि वह सूखी रहे। पानी भरा रहा तो निकलेगी कैसे? गर्मी के दिनों में जल संकट न हो इसे देखते हुए बालोद जिले में शिवनाथ नदी के खरखरा जलाशय से बीते दिनों पानी छोड़ा गया। इससे कोटनी एनीकट में पानी भर गया। पर ठीक इसी के ऊपर एक रेत खदान का ठेका खनिज अधिकारियों ने दे रखा है। नियम के अनुसार ऐसा किया जाना गलत है। जहां गर्मी के दिनों में जल संकट पैदा होता हो और जलभराव बनाए रखना जरूरी हो वहां पर रेत खदान कैसे खुली?

बहरहाल रेत ठेकेदार यह बर्दाश्त करने के लिए तैयार नहीं है कि उनकी रेत की कमाई पर पानी फिर जाए। इधर एनीकट में पानी, दूसरे दिन उसका गेट टूट गया, या कह लीजिए किसी ने तोड़ दिया। अब ठीक हुआ। पानी बह चुका है।  गर्मी में लोगों को पानी का संकट झेलना पड़े तो पड़े, पर रेत की निकासी में कोई दिक्कत नहीं आएगी।

साइकिल पर स्पिक-मैके फाउंडर

स्पिक मैके को कौन नहीं जानता। बीते 44 वर्षों से भारत की वैभवशाली संस्कृति शास्त्रीय-संगीत, नृत्य, लोककला, चलचित्र, नाटक और योग के माध्यम से युवाओं को जोडऩे वाली इस संस्था के संस्थापक हैं पद्मश्री डॉ. किरण सेठ। छत्तीसगढ़ में इनके अनेक शिष्य हैं। वे कई बार रायपुर, भिलाई और बिलासपुर आए हैं। 73 वर्ष के इस आईआईटी के रिटायर्ड प्रोफेसर को कार या बाइक की जगह साइकिल पर चलना ज्यादा पसंद है। उनका कहना है कि ट्रैफिक, इंधन, स्वास्थ्य और पर्यावरण की बढ़ती समस्या इसका समाधान है। इससे आगे वे यह भी कहते हैं कि साइकिलिंग एक बढिय़ा मेडिटेशन है। 

इस साल 2 अक्टूबर से वे कश्मीर से कन्याकुमारी तक की लंबी साइकिल यात्रा पर निकल रहे हैं। आज उन्होंने दिल्ली के राजघाट से जयपुर साइकिल से ही निकले।

साइकिल यात्रा के माध्यम से वे भारत की सांस्कृतिक विरासत को देश के दूर-दूर तक पहुंचाने का उद्देश्य रखते हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी की उनकी यात्रा में छत्तीसगढ़ पड़ाव होगा या नहीं, अभी यह तय नहीं है। पर, छत्तीसगढ़ के बहुत से युवा और उनके प्रशंसक उनकी यात्रा में अपनी अपनी क्षमता के हिसाब से उनके साथ दूरी तय करना चाहते हैं।

अपने यहां पर्यावरण दिवस या ऐसे ही किसी खास मौके पर साइकिल रैली निकाली जाती है। कभी-कभी कुछ उत्साही युवा ट्रैकिंग पर भी निकलते हैं। वरना, स्कूली बच्चों के हाथ में भी अब बाइक और स्कूटर है।

रायपुर नगर निगम के महापौर ने बीते साल स्वच्छता का संदेश देने के लिए लगातार कुछ दिनों तक लगातार साइकिल चलाई थी। कुछ महीने पहले प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन मरकाम ने साइकिल यात्रा कर केंद्र की महंगाई के खिलाफ आंदोलन किया था। यानी कि जब कोई रस्म हो तब साइकिल याद आती है। यह आदर्श परिवहन का प्रतीक है पर आदत में नहीं है।

वैसे डॉ. किरण सेठ की तरह किसी बड़े उद्देश्य के लिए नहीं, सब्जी बाजार जाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

 


अन्य पोस्ट