राजपथ - जनपथ

मुदित कुमार की संभावना...
हर आईएफएस अफसर का सपना होता है कि वह डीजीएफ यानी डायरेक्टर जनरल ऑफ फारेस्ट बनकर रिटायर हो। केंद्र सरकार का यह पद केन्द्र सरकार में विशेष सचिव के समकक्ष होता है। प्रदेश के अब तक किसी भी वन अफसर को डीजीएफ तक पहुंचने का मौका नहीं मिला है। मगर पीसीसीएफ (प्रशासन) से हटाए जाने के बाद मुदित कुमार सिंह इस पद की दौड़ मेें हैं और उनका नाम पैनल में भी आ गया है।
सुनते हैं कि ओडिशा कैडर के अफसर डीजीएफ सिद्धांत दास की नियुक्ति नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में होने के कारण यह पद खाली हुआ है। इसके लिए देशभर के कुल 20 अफसरों ने आवेदन दिया था। इनमें वर्ष 83 बैच से लेकर 89 बैच तक के अफसर हैं। मुदित कुमार सिंह वर्ष-84 बैच के हैं। मुदित कुमार देहरादून वन अकादमी के डीजी पद पर नियुक्ति के लिए प्रयासरत रहे और उनका नाम पैनल में भी था, लेकिन उनकी नियुक्ति नहीं हो पाई। छत्तीसगढ़ में वे वन अनुसंधान संस्थान में हैं, जहां उनके पास कोई ज्यादा कामधाम नहीं रह गया है। ऐसे में वे भारत सरकार में डीजीएफ बनने के लिए भरसक कोशिश कर रहे हैं।
वार्ड चुनाव का जोर
नगरीय निकाय चुनाव में प्रचार तेज हो गया है। रायपुर नगर निगम में तो महापौर पद के मतदाताओं को रिझाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। एक वार्ड में तो पानी की दिक्कतों को दूर करने के लिए पार्षद प्रत्याशी ने सौ से अधिक घरों में पानी के पंप लगवा दिए।
महापौर पद के कुछ दावेदारों ने न सिर्फ अपने वार्ड बल्कि आसपास के वार्डों का भी खर्चा उठाना शुरू कर दिया है। इसके लिए उन्हें पार्टी से आदेश दिया गया है। दोनों ही पार्टियां इस बार अपने प्रत्याशियों पर खर्च नहीं कर रही हैं। उन्हें सिर्फ प्रचार सामग्री उपलब्ध करा रही है। प्रचार सामग्री भी सीमित मात्रा में है। ये बात अलग है कि कुछ मजबूत प्रत्याशियों को बिना मांगे चंदा मिलना शुरू हो गया है। चंदा देने वालों में स्मार्ट सिटी परियोजना से जुड़े और निगम के ठेकेदार, शहर के बड़े बिल्डर, कॉलोनाईजर, अवैध निर्माण करने वाले, अवैध कब्जा कर चुके लोग ज्यादा हैं। कई ऐसे लोग भी चंदा दे रहे हैं जिनको किसी नाराजगी की वजह से वर्तमान पार्षद को निपटाना है, और किसी दूसरे उम्मीदवार में जीत की संभावना दिख रही है। (rajpathjanpath@gmail.com)