राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : असली बात, केंद्र की चेतावनी ने बढ़ाया बिजली बिल
18-Oct-2025 4:21 PM
राजपथ-जनपथ : असली बात, केंद्र की चेतावनी ने बढ़ाया बिजली बिल

असली बात, केंद्र की चेतावनी ने बढ़ाया बिजली बिल

छत्तीसगढ़ में इन दिनों बिजली बिल राजनीति का गर्म मुद्दा है। कांग्रेस सडक़ से लेकर विधानसभा तक इसे लेकर आक्रामक है। उनका आरोप है कि भाजपा सरकार महतारी वंदन योजना के नाम पर एक हाथ से हजार रुपये देकर दूसरे हाथ से बिजली बिलों के माध्यम से तीन से पांच गुना वसूली कर रही है। बिजली दफ्तरों के बाहर हर जिले में प्रदर्शन और नारेबाजी हो रही है। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार क्या करे? केंद्र सरकार की ऊर्जा नीति और वित्तीय दबाव है।

लोग आश्वसत हो चुके थे कि कांग्रेस सरकार ने बिजली हाफ योजना लागू की थी, जिसमें 400 यूनिट तक घरेलू उपभोक्ताओं को बिल में आधी राहत मिलती थी, वह जारी रहेगी। जब कांग्रेस की सरकार थी तो विधानसभा में भाजपा के सदस्य धरमलाल कौशिक गरजे थे कि पूरा बिल हाफ क्यों नहीं करते, सिर्फ 400 यूनिट तक क्यों?

मगर, सरकार पलटने के बाद भाजपा ने इस सीमा को घटाकर केवल 100 यूनिट कर दिया। यह भी टोटा है कि अगर खपत 100 यूनिट से अधिक हुई, तो सब्सिडी पूरी तरह खत्म। इस फैसले से 65 लाख से अधिक परिवारों को करीब 3,240 करोड़ रुपये सालाना अधिक भुगतान करना पड़  रहा है। यह जरूर है कि सब्सिडी खत्म करने से पहले  बिजली दर कई बार बढ़े, हालांकि वह 13 प्रतिशत या 80 पैसे प्रति यूनिट रही। मगर, सब्सिडी चालू रहने के कारण लोगों को ज्यादा फर्क नहीं पड़ा।

सब्सिडी लगभग खत्म करने के बाद कांकेर, जांजगीर, धमतरी, बिलासपुर और रायपुर जैसे शहरों में कांग्रेस ने बिजली दफ्तरों का घेराव किया है। तालाबंदी की है और बिल जलाए हैं। बहुत जगहों पर तो यह भी नारा गूंजा कि महतारी वंदन का पैसा बंद करो, मगर बिजली बिल हाफ बिल दो।

नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने विधानसभा में सवाल उठाया था। कोयला हमारा, जमीन हमारी, फिर बिजली महंगी क्यों? वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज कह रहे हैं कि महिलाओं को दिए जा रहे एक हजार रुपये के बदले तीन गुना वसूली हो रही है।

सरकार इतना विरोध झेल कर भी खामोश क्यों है? दरअसल, केंद्र सरकार की रिवैमप्ट डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम यानि आरडीएसएस  के तहत छत्तीसगढ़ को 40 प्रतिशत अंशदान देना पड़ रहा है। इस स्कीम का उद्देश्य ट्रांसफार्मर, बिजली तार जैसे सभी उपकरण ऐसे उन्नत होंगे जो लाइन लॉस को कम कर दे।  इस योजना में भारी खर्च है। केंद्र की योजना है, राज्य को फंड देना है। हिस्सेदारी की पूर्ति के लिए ही राज्य को बिजली दरों में वृद्धि करनी पड़ी है। यह वह पहलू है जिसे सरकार खुलकर नहीं बता रही। सरकार सूर्य घर योजना को बढ़े दर का विकल्प बता रही है। उसकी जमीनी हालत क्या है, चर्चा का अलग विषय है।

आपको पता होना चाहिए कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी का राजस्व घाटा वित्तीय वर्ष 2025-26 में लगभग 4,947 करोड़ रुपये आंका गया है, जबकि लाइन लॉस अभी भी 20 प्रतिशत है। यह देश के औसत लाइन लॉस 14 प्रतिशत से बहुत ऊपर है।

यह बात जरूर है कि कंपनी को बिजली दर बढ़ाने से बहुत लाभ हो रहा है, पर महतारी वंदन से इसका कोई संबंध नहीं। संबंध बिजली आपूर्ति व्यवस्था को आधुनिक करने से है। मगर, इस योजना में भी कंपनी के अफसर भ्रष्टाचार से बाज नहीं आ रहे हैं। ठेकेदारों से मिलीभगत कर घटिया सामानों की आपूर्ति करने वाले कई अफसर सस्पेंड हो चुके हैं, कई के खिलाफ विभागीय जांच हो रही है।

एक और अफसर दिल्ली की राह पर

छत्तीसगढ़ से एक और युवा आईएएस अफसर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने की खबर है। 2015 बैच के ये आईएएस, इस समय एक जिले के कलेक्टर हैं। उन्हें केंद्र सरकार ने मांगा है। वैसे 5 अफसरों वाले 2015 बैच से केंद्र ने केवल इनकी ही डिमांड की है। समझा जा रहा है कि दीपावली बाद उन्हें रिलीव कर दिया जाएगा। इसे देखते हुए फिर एक छोटा सा फेरबदल संभव है। इसमें कोरबा, दुर्ग महासमुंद समेत तीन वर्ष पूरा कर चुके कुछ और कलेक्टरों के जिले बदले जाएंगे या फिर मंत्रालय लाए जा रहे।

हाल ही में राजनांदगांव कलेक्टर रहे 2011 बेच के अफसर डॉ. भूरे भी डायरेक्टर टेक्स्टाइल मुंबई के लिए रिलीव कर दिए गए हैं। उधर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर पूर्व में गए दर्जनभर आईएएस अफसरों में से फिलहाल किसी की वापसी की खबर नहीं है। कई तो समय से पहले एक्सटेंशन के लिए भी प्रयासरत हैं।

उस पर दो एसीएस भी मंत्रालय से बाहर हो गए हैं। ऐसे में मंत्रालय में पदस्थ सचिव, प्रमुख सचिवों और विशेष सचिवों के प्रभार हल्के होने की भी संभावना नहीं है। बल्कि उनके प्रभार बढ़ाए जा सकते हैं।

कांग्रेस के नाम तय होने शुरू

कांग्रेस संगठन के सभी 41 जिलों में अध्यक्ष के चयन के लिए पर्यवेक्षकों ने रायशुमारी कर ली है। तकरीबन सभी पर्यवेक्षक अपने गृह राज्य लौट गए हैं। कुछ ने तो एआईसीसी को छह-छह नामों के पैनल सौंप भी दिए हैं।

पार्टी नेताओं का कहना है कि नवंबर के पहले पखवाड़े में सभी 41 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति आदेश जारी हो जाएंगे। संकेत यह भी है कि प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता डॉ. चरणदास महंत, भूपेश बघेल, और टीएस सिंहदेव के गृह जिले में उनकी पसंद को ध्यान में रखकर नियुक्ति होगी। बाकी जिलों में पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर नियुक्ति होगी। चर्चा है कि ज्यादातर जिलों में जिला अध्यक्ष 50 साल के आसपास की उम्र वाले ही रहेंगे। देखना है आगे क्या होता है।

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