राजपथ - जनपथ
वर्दी ने सिखाया आस्था का सलीका
सोशल मीडिया पर एक ऐसा वीडियो वायरल है, जिसमें धर्म की आड़ में कानून को ललकारने की कोशिश को एक महिला पुलिस अधिकारी ने समझदारी और जवाबदेही से थाम लिया।
ग्वालियर में वकीलों का एक समूह सडक़ पर भंडारा करने के लिए तुले थे। डीएसपी हिना खान उन्हें रोकने के लिए पहुंचीं। कहा कि सडक़ पर आप ऐसा नहीं कर सकते। कानून के जानकार दोनों थे, वकील भी पुलिस भी। मगर यहां वकील समुदाय का एक समूह धार्मिक आयोजन के बहाने प्रशासनिक आदेश को चुनौती देने पर उतारू था। जैसे ही पुलिस ने उन्हें हटने कहा वे जय श्री राम के नारे लगाने लगे और डीएसपी को सनातन विरोधी बताने लगे। वीडियो में दिखाई पड़ता है कि डीएसपी बौखलाई तो है पर उसने टकराव नहीं चुना, संयम दिखाया। उन्हीं के भाषा में संवाद का रास्ता निकाला। उन्होंने हाथ ऊंचा कर करके उनसे भी तेज आवाज में जय श्री राम का उद्घोष करना शुरू कर दिया। फिर कहा- अब बोलो, क्या अब आप कानून व्यवस्था तोड़ेंगे? हिना खान इस विपरीत हालात में बताने की कोशिश कर रही थीं कानून का पालन करने वाला किसी भी धर्म का विरोधी नहीं होता, लेकिन धर्म के नाम पर अराजकता मंजूर नहीं है। आखिरकार वकील मान गए और चले गए। अगर हर जिले में ऐसे दो चार अफसर हों, तो धर्म बनाम कानून का यह झूठा द्वंद्व मिटाने में बड़ी मदद मिलेगी।
तबादले दिवाली बाद?
कलेक्टर-एसपी कॉन्फ्रेंस के बाद प्रशासनिक फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही है। लेकिन ताजा खबर यह है कि अब इसमें विलंब हो सकता है। फेरबदल अब दीवाली के बाद होने के आसार हैं।
प्रस्तावित फेरबदल को लेकर छनकर आई खबरों के मुताबिक आधा दर्जन कलेक्टरों को इधर-उधर किया जा सकता है। चार कलेक्टरों के खिलाफ तो सीधे तौर पर शिकायत है। इनमें से एक कोरबा कलेक्टर के खिलाफ पूर्व मंत्री ननकीराम कंवर की शिकायत पर सरकार ने बिलासपुर कमिश्नर से रिपोर्ट मांगी है।
बिलासपुर कमिश्नर शिकायतों की बिंदुवार जांच करा रहे हैं। फिलहाल रिपोर्ट का इंतजार हो रहा है। इसी तरह पुलिस में भी बड़े फेरबदल के आसार है। इसकी बड़ी वजह यह है कि रायपुर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की जा रही है। यहां संभवत: एक नवंबर से पुलिस कमिश्नर की पोस्टिंग हो जाएगी।
सरकार रायपुर में ज्वाइंट और डिप्टी पुलिस कमिश्नर के पद पर एसपी या उससे ऊपर रैंक के अफसरों की पोस्टिंग करेगी। कुल मिलाकर चार अफसरों की पोस्टिंग होगी। ऐसे में कई आईपीएस अफसरों को इधर से उधर किया जाएगा। कॉन्फ्रेंस में सीएम ने चार जिलों में पुलिस की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जताई थी। गृहमंत्री ने भी अपनी बातें रखी थी। इन सबको देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि आईपीएस अफसरों के फेरबदल की सूची लंबी हो सकती है। देखना है आगे क्या होता है।
200 रु में जिलाध्यक्ष के लिए जिंदाबाद

अब तक चुनावी सभाओं रैलियों के लिए भीड़ का जुगाड़ होता रहा है। दिहाड़ी मजदूरी देकर हजारों की भीड़ जुटाई जाने के न केवल आरोप प्रत्यारोप लगते रहे हैं बल्कि बातचीत में भीड़ भी स्वीकारती रही है। अब ऐसी ही भीड़ का संगठन चुनाव में भी इस्तेमाल होने लगा है। अब भीड़ को कारण से क्या मतलब उसे तो पैसे मिले बस। हां अभी चुनाव न होने से रेट अवश्य कम है।नारे तो जिंदाबाद के ही लगाने है। संगठन सृजन के ताजा अभियान में ऐसा ही एक वाकया सुनने में आया है। रायपुर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनने एक व्यवसायी वर्ग के दावेदार ने अपनी दावेदारी के लिए तिल्दा में आब्जर्वर के सामने भीड़ भेजी।आब्जर्वर भी खाटी कांग्रेसी हैं,एक एक के बात करने की बात करके इन लोगों से पूछा ,क्यों आए हो? लोगों ने बताया कि नहीं मालूम ,हमको तो 200रु देकर लाया गया।अब दावेदार मुंह छुपाए घूम रहे हे।धन तो गया ही अब दावेदारी भी गई।
इंतजार की घडिय़ाँ
सीएस अमिताभ जैन के रिटायर होने के बाद उनका पुनर्वास नहीं हुआ है। आईएएस के 89 बैच के अफसर अमिताभ जैन प्रदेश में सबसे ज्यादा समय तक सीएस के पद पर रहे हैं। अमिताभ जैन के पास राज्य योजना आयोग के वाइस चेयरमैन का भी प्रभार था। जैन ने सीआईसी के लिए भी इंटरव्यू दिया था। मगर रिटायरमेंट के बाद उन्हें कोई दायित्व नहीं सौंपा गया है। पहले यह चर्चा थी कि सीएस पद से हटने के बाद योजना आयोग के पद पर बने रहेंगे। लेकिन इसको लेकर कोई आदेश नहीं निकला। सीआईसी की नियुक्ति का मामला भी अभी रूका हुआ है। इन सबके बीच राज्य विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन पद को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही है। इसके लिए विज्ञापन जारी होना है। और इसके लिए भी अमिताभ जैन का नाम चर्चा में है। अमिताभ जैन से पहले जितने भी मुख्य सचिव हुए हैं, उनमें से आर.पी.बगई को छोडक़र बाकी का पुनर्वास हो ही गया था। ऐसे में अमिताभ जैन का भी पुनर्वास हो जाएगा, इसको लेकर संदेह नहीं है। मगर जैन को थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है।


