राजपथ - जनपथ
अमेरिका से आई है यह ख़ुशी
मंगलवार राज्य संवर्ग के पांच लाख अधिकारी कर्मचारियों के लिए मंगलमय रहा। अब ये कर्मचारी अब अपने मासिक वेतन को एडवांस (वेतन के विरूद्ध अल्पावधि ऋण) के रूप में भी अग्रिम ले सकेंगे। इसके लिए कैबिनेट ने कल वित्त विभाग के एक प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
इसके लिए वित्त विभाग जल्द ही वित्तीय संस्थान संभवत स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एमओयू करेगा। उसके बाद इसके एडवांस मंजूरी और रिकवरी के नियम, अधिकतम सीमा, ब्याज दर आदि तय होंगी। वित्त विभाग की योजना है इसे इसी वित्त वर्ष से लागू कर दिया जाए। अब तक के ब्लू प्रिंट के अनुसार इस एडवांस के बदले 8-9 त्न ब्याज पर अधिकतम छह माह के वेतन की निकासी कर सकेंगे। यह भी जानकारी दी गई है कि इसमें कैशलेस ट्रीटमेंट को भी जोड़ा जा सकता है। इसके साथ ही राज्य कर्मचारी स्वयं, परिजनों के स्वास्थ्य, बच्चों की शिक्षा और अन्य आकस्मिक जरूरत के खर्च के लिए यह एडवांस ले सकेंगे। इतना ही नहीं घर बनाने, रंग रोगन जैसे लाख दो लाख तक का लोन भी ले सकेंगे। अब तक ये लोग अन्य परिजनों से मदद, न मिलने पर सूदखोरों के चंगुल में फंसते रहे हैं। अब ऐसा नहीं होगा।
इस योजना की परिकल्पना और मंजूरी तक का घटनाक्रम चर्चित है। या यूं कहें कि यह योजना अमेरिका से आई है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। दरअसल दो माह पहले वित्त मंत्री ओपी चौधरी 30 जुलाई को अमेरिका की सप्ताह भर के प्रवास पर गए थे। वहां न जाने किस भारतीय, किस अमेरिकी व्यक्ति से स्टाफ वेलफेयर पर चर्चा हुई। उन्होंने तत्काल वित्त सचिव, ओएसडी को काल कर कहा कि मेरे आने तक इसका प्रस्ताव बना लें कैबिनेट में ले जाना है। वित्त अफसरों ने चर्चाएं, राजस्थान, गोवा, गुजऱात राज्यों में लागू स्कीम का अध्ययन और यहां के कर्मचारी अधिकारी संघों के नेताओं के साथ ब्लू प्रिंट तैयार किया। दो माह तक एक-एक बिंदु को परिष्कृत करने के बाद चौधरी ने कल कैबिनेट में रखा और मंजूर कराया। अब कर्मचारी संघ कह रहे पूर्व आईएएस के मंत्री बनने से ऐसे फायदे होते हैं।
दिव्यांगों का सफर सुप्रीम कोर्ट तक
फर्जी दिव्यांग अफसर-कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दिव्यांग सेवा संघ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। संघ ने कोर्ट में 19 अफसर-कर्मियों की सूची दी है। इनमें डिप्टी कलेक्टर से लेकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी हैं। इनमें दो डिप्टी कलेक्टर हैं। इससे परे कुछ दिव्यांग सर्टिफिकेटधारी अधिकारी-कर्मचारियों ने भी सुप्रीम कोर्ट की तरफ रुख किया है। ये अफसर-कर्मी अपने खिलाफ जांच करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।
दिव्यांग सेवा संघ ने हाईकोर्ट में 70 अफसर-कर्मचारियों की सूची सौंपी थी, और यह कहा था कि सभी ने फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे नौकरी पाई है। कोर्ट ने सभी को राज्य मेडिकल बोर्ड के सामने हाजिर होकर जांच करा रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा था। मगर इसमें से 4 ने ही जांच कराई है। बाकी जांच कराने के लिए तैयार नहीं हैं, और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। कुल मिलाकर फर्जी सर्टिफिकेट के सहारे नौकरी हासिल करने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कोर्ट के रूख पर दिव्यांगजनों की नजरें टिकी हुई हैं। देखना है आगे क्या होता है।
चार लोगों ने कांधे पर उठा लिया...

यह तस्वीर सडक़ पर यातायात नियमों की खुली अवहेलना और लापरवाही की गवाही दे रही है। बीजापुर के नेशनल हाइवे पर पांच युवक एक ही स्कूटी पर सवार दिखाई दे रहे हैं। हालात यह रहे कि सीट की जगह न मिलने पर युवकों ने पांचवे को कंधे पर उठाकर यात्रा जारी रखी। यह खतरनाक करतूत न सिर्फ उनकी जान के लिए जोखिम भरी है, बल्कि अन्य राहगीरों को भी खतरे में डाल सकती है। वीडियो वायरल होने के बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने इसे साझा कर राज्य सरकार से सवाल उठाए हैं कि सडक़ सुरक्षा पर ऐसी लापरवाहियों को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं।


