राजपथ - जनपथ
सुनसान सफर वैष्णो देवी का
छत्तीसगढ़ के एक प्रमुख खिलाड़ी, और अंतरराष्ट्रीय बॉडीबिल्डर संजय शर्मा हर बरस एक-दो बार वैष्णो देवी दर्शन को जाते हैं। इस बार वहाँ का नजारा उन्हें बदला हुआ मिला। उन्होंने आज सुबह लिखकर भेजा-
40 वर्षों में पहली बार कोरोना के एक वर्ष को छोड दें तो जहाँ कटड़ा में यात्रियों की हर जगह भीड़ देती थी, होटल में रूम के लिये कई बार इंतजार करना पड़ता था, रात-दिन सडक़ों पर यात्री बस दिखाई देते थे, आज जब मैं ्रद्बह्म्श्चशह्म्ह्ल से बस पकडऩे रेलवे स्टेशन के पास पहुंचा तो अधिकांश बसें खड़ी थीं। लोग कहने लगे, ट्रेन के आने तक रुकना पड़ेगा। मैं आटो पकडकर बस स्टैण्ड गया, वहाँ भी यात्री की कमी के कारण कम बसों का आवागमन ठप्प था। कुछ देर मुख्य मार्ग में इंतजार करने पर स्टेट ट्रान्सपोर्ट की बस मिली, उसमें भी गिने-चुने यात्री थे।
जहाँ कटड़ा में यात्रा पर्ची के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता था आज वहाँ भी बस स्टैण्ड में भी सन्नाटा था। और तो और जब मैं कटड़ा बस स्टैण्ड में स्थित त्रिदेव होटल जहाँ मैं सालों से यात्रा के दौरान रुकता हूं, जब रूम का मोल-भाव कर रहा था, तो मैनेजर बोला, सर, आपको जो उचित लगे वो किराया देना। रूम दिखाने पर बोला, सर आपको जो अच्छा लगता है वहाँ ठहर जायें, एक रूम छोडक़र। मैंने पूछा ऐसा क्यों वो बोला, उसमें यात्री रुका है 46 रूम में से बाक़ी 45 खाली थे। जबकि हमेशा पहुँचने पर उसको सूचित करना पडता था और पहुँचने पर रूम खाली होने का इंतजार करना पडता था। शायद इसका कारण कुछ दिनों पहले त्रिकुट पर्वत में हुए हादसा हो सकता है समय के साथ फिर से नयी शुरुआत हो जायेगी सब कुछ सामान्य हो जाएगा कल मुझे भी यात्रा शुरू करना है। जय माता दी।
अपने राज्य में तालमेल नहीं, इधर...

प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिन पायलट भले ही अपने गृहराज्य राजस्थान में पूर्व सीएम अशोक गहलोत के साथ तालमेल नहीं बिठा पा रहे हैं लेकिन छत्तीसगढ़ में वो स्थानीय बड़े नेताओं के बीच समन्वय बेहतर करने की कोशिश में जुटे हैं।
पायलट पिछले दिनों रायगढ़, कोरबा, मुंगेली, और राजनांदगांव के दौरे पर थे। एक जगह टी.एस.सिंहदेव ने गाड़ी ड्राइव की, उसमें पायलट के साथ प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, नेता प्रतिपक्ष डॉ.चरणदास महंत, और ताम्रध्वज साहू बैठे थे। इन सबके बीच काफी कुछ बातें हुईं। बेमेतरा मार्ग पर तो पायलट ने स्टेयरिंग संभाली, तो पूर्व सीएम भूपेश बघेल, सिंहदेव, डॉ.महंत और दीपक बैज साथ हो लिए। कुल मिलाकर पिछले दिनों रविन्द्र चौबे प्रकरण और फिर बड़े नेताओं के बयानबाजी के चलते जिस तरह पार्टी के भीतर विवाद चल रहा था, उसकी पुनरावृत्ति न हो, इस दिशा में पायलट ने पहल की है। पायलट को इसमें कितनी सफलता मिलती है, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा। मगर पार्टी के कार्यक्रमों में जिस तरह भीड़ उमड़ी है, उससे वो काफी खुश होकर गए हैं।
सौम्या के सहायक पे नजऱें
शराब-कोयला घोटाला प्रकरण में ईओडब्ल्यू-एसीबी ने रविवार को आधा दर्जन से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की, लेकिन अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। सबसे ज्यादा उत्सुकता पूर्व डिप्टी सेक्रेटरी सौम्या चौरसिया के निज सहायक जयचंद कोसले के यहां छापे को लेकर थी।
छापे को लेकर छनकर आ रही खबरों के मुताबिक कोसले के यहां कुछ दस्तावेज भी मिले हैं, जो कि शराब-कोयला घोटाले से जुड़े हैं। कहा जा रहा है कि जयचंद यदि 'जयचंद’ साबित हुए तो पिछली सरकार के कई प्रभावशाली लोगों की मुश्किलें बढ़ सकती है। राज्य और केन्द्र की जांच एजेंसियां यहां लगातार छापेमारी कर रही है। बावजूद इसके प्रकरण से जुड़े लोग लापरवाह दिख रहे हैं, और कई ऐसे सुबूत छोड़ जा रहे हैं जो कि जांच एजेंसियों की राह आसान कर रही है। मसलन, साल भर पहले सीबीआई ने पीएससी घोटाला प्रकरण में तत्कालीन सचिव जीवन किशोर ध्रुव के यहां छापेमारी की थी। सीबीआई ने ध्रुव के घर दो प्रश्नपत्र और अभ्यास पुस्तिका बरामद किए हैं। ध्रुव के बेटे सुमित डिप्टी कलेक्टर के पद पर सलेक्ट हुए। जांच एजेंसी यह पता लगाने में सफल रही कि दोनों ही प्रश्नपत्र की वजह से सुमित डिप्टी कलेक्टर के पद पर सलेक्ट हुए।
सीबीआई ने जीवन किशोर ध्रुव के साथ बेटे सुमित को भी गिरफ्तार कर लिया है। देखना है आगे क्या कुछ निकलकर सामने आता है।
लाठी लेकर चर्च की हिफाजत

छत्तीसगढ़ के कई जिलों में मतांतरण और धर्मांतरण को लेकर विवाद तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर रहे हैं। रविवार के दिन यह अधिक मुखर हो जाता है, जब मसीही समाज की प्रार्थना सभाएं होती हैं। अक्सर देखा गया है कि कुछ हिंदुत्ववादी संगठन इन सभाओं में समूह के साथ पहुंच जाते हैं। उनका आरोप होता है कि यहां भोले-भाले लोगों को बहला-फुसलाकर और प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है। वे पुलिस को बुलाकर कार्रवाई की मांग करते हैं। कई बार पुलिस एक पक्ष पर, तो कई बार दोनों पक्षों पर एफआईआर दर्ज कर लेती है। इसके बावजूद न तो धावे रुक रहे हैं और न ही प्रार्थना सभाएं थम रही हैं।
इसी परिदृश्य में अब एक नया कोण सामने आया है। जांजगीर-चांपा जिले के धरदेई स्थित एबनेजर प्रार्थना भवन में 21 सितंबर, रविवार को भीम आर्मी के कार्यकर्ता बड़ी संख्या में लाठियों के साथ पहुंचे। संगठन ने सोशल मीडिया पोस्ट में जानकारी दी है कि उन्हें यहां हमले की आशंका की खबर मिली थी, जिसके चलते वे मौके पर पहुंचे। संगठन ने पोस्ट में बताया कि वहां उन्हें माता, बहनों और पास्टर का स्नेह मिला और मसीही समाज ने उन्हें दिल से स्वीकार किया। पोस्ट में यह भी कहा गया कि भीम आर्मी अल्पसंख्यकों और बहुजन समाज पर होने वाले अत्याचारों के खिलाफ ढाल बनकर खड़ी रहेगी और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करेगी।
भीम आर्मी ने हमले की बात तो कही, लेकिन किसी संगठन का नाम नहीं लिया है। सवाल यह उठता है कि क्या संगठन खुद कानून-व्यवस्था हाथ में लेना चाहता है? वहीं, पुलिस की भूमिका पर भी प्रश्नचिह्न है कि क्या उसकी अब तक कार्रवाई निष्पक्ष रही है या किसी दबाव में एकतरफा, जिसकी वजह से ऐसी परिस्थिति यही तक पहुंच गई? आने वाले दिनों में यदि प्रार्थना सभाओं को लेकर दो पक्ष ताकत आजमाने आमने-सामने आए तो कानून-व्यवस्था बिगडऩे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।


