राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : सौदान सिंह से खलबली
12-Jul-2025 6:10 PM
राजपथ-जनपथ : सौदान सिंह से खलबली

सौदान सिंह से खलबली

लंबे समय तक प्रदेश भाजपा संगठन के कर्ता-धर्ता रहे सौदान सिंह एक निजी कार्यक्रम में शिरकत करने रायपुर आए तो उनसे मिलने के लिए पार्टी नेताओं का तांता लगा रहा। सौदान सिंह पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं। उनकी कुशाभाऊ ठाकरे परिसर में प्रदेश भाजपा के प्रभारी नितिन नबीन से बंद कमरे में लंबी चर्चा हुई।

छत्तीसगढ़ भाजपा की कार्यकारिणी घोषित होनी है, ऐसे में सौदान सिंह की नितिन नबीन के साथ बैठक को लेकर पार्टी के अंदरखाने में काफी चर्चा हो रही है। कहा जा रहा है कि नबीन ने पदाधिकारियों की नियुक्ति को लेकर सौदान सिंह से राय भी ली है। अगले दिन सौदान सिंह और नितिन नबीन को अलग-अलग फ्लाईट से पटना जाना था। नबीन के लिए पटना से सरकारी विमान आने वाला था, लेकिन उन्होंने मना कर दिया, और वे सौदान सिंह के साथ नियमित फ्लाईट से कोलकाता गए। और फिर वहां से पटना पहुंचे। दोनों नेता केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के कार्यक्रम में शामिल हुए। कुछ लोगों का अंदाज है कि सौदान सिंह के करीबी कुछ नेताओं को संगठन में अहम दायित्व मिल सकता है। देखना है आगे क्या होता है।

खंडन का मुंडन

आखिरकार रायपुर नगर निगम ने पचपेड़ी नाका का नामकरण संत गोदड़ी बाबा के नाम करने का प्रस्ताव वापिस ले लिया। इस प्रस्ताव को लेकर चौतरफा विरोध हो रहा था। खुद आरडीए के अध्यक्ष नंदकुमार साहू ने आपत्ति जताई थी। छत्तीसगढ़ क्रांति सेना, और छत्तीसगढ़ समाज पार्टी जैसे कई संगठनों ने खुलकर इसका विरोध किया था। सौ से अधिक आपत्तियां आई थी।

भाजपा में ही सबसे ज्यादा विरोध हो रहा था। शुक्रवार को विरोध को देखते हुए मेयर मीनल चौबे ने बयान दिया कि पचपेड़ी नाका का नाम बदलने का कोई प्रस्ताव नहीं है। यह महज अफवाह है।

मेयर का कथन सही नहीं है। बताते हैं कि एमआईसी सदस्य अमर गिदवानी बाबा गोदड़ी वाले धाम से जुड़े हुए हैं। उन्होंने एमआईसी में पचपेड़ी नाका का नाम गोदड़ी बाबा के नाम करने का प्रस्ताव एमआईसी में रखा, तो सर्वसम्मति से नाम बदलने के लिए सहमति दे दी गई। इसके बाद जोन क्रमांक-10 ने एमआईसी में नाम बदलने का प्रस्ताव पारित होने के बाद अखबारों में विज्ञापन जारी कर विधिवत आपत्ति-दावे मंगाए थे। 9 जुलाई को आपत्ति-दावा जमा करने के आखिरी दिन तक सौ से अधिक आपत्तियां आ चुकी थी। कुछ संगठनों ने नाम बदलने पर आंदोलन की धमकी दी थी। भारी विरोध और राजनीतिक नुकसान को देखते हुए  प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डालने का फैसला लिया गया।


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