राजपथ - जनपथ

इमरजेंसी लैंडिंग की याद
एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर प्लेन दो दिन पहले लंदन के लिए उड़ान भरते ही कुछ देर बाद अहमदाबाद के रिहायशी इलाके में गिर गया। इस दुर्घटना में ढाई सौ से अधिक यात्रियों की मौत हो गई। दुर्घटना के बाद ड्रीमलाइनर प्लेन की तकनीक पर सवाल उठ रहे हैं। इसी कड़ी में छत्तीसगढ़ कैडर के रिटायर्ड आईएफएस एसएसडी बडग़ैया ने ड्रीमलाइनर प्लेन से जुड़े अपने अनुभव फेसबुक पर साझा किए हैं।
आईएफएस अफसरों की एक टीम को फिनलैंड ट्रेनिंग के लिए जाना था। इस टीम में बडग़ैया भी थे। बडग़ैया ने बताया कि ड्रीमलाइनर प्लेन ने व्हाया फ्रेंकफर्ट होकर फिनलैंड के लिए 31 मई 2014 को उड़ान भरी।
करीब डेढ़ घंटे बाद विमान के पायलट ए.कृष्णाराव ने यात्रियों को सूचित किया कि प्लेन की इमरजेंसी लैंडिंग करानी होगी। इससे यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। तब पायलट ने यात्रियों को बताया कि बाथरूम का सिस्टम चोक हो गया है। फ्रेंकफर्ट पहुंचने में सात घंटे लगेंगे, इतने लंबे समय तक बाथरूम का बंद रहना उचित नहीं है। आप लोगों को परेशानी होगी, इसलिए इमरजेंसी लैंडिंग कराई जा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि प्लेन अभी अफगानिस्तान के ऊपर से उड़ान भर रहा है।
बाद में पायलट ने यह भी बताया कि प्लेन में एक लाख लीटर पेट्रोल है। इसको निकालना भी जरूरी है, ताकि लैंडिंग हो सके। इसके बाद पाईप के सहारे पेट्रोल निकाला गया। उतना ही पेट्रोल रखा गया जितने में इमरजेंसी लैंडिंग हो सके। करीब दो घंटे बाद प्लेन वापस दिल्ली पहुंचा, और सुरक्षित लैंडिंग हो पाई। बडग़ैया बताते हैं कि इस पूरी यात्रा के दौरान डरे-सहमे यात्री ईश्वर को याद करते रहे, और सन्नाटा पसरा रहा। जैसे ही लैंडिंग हुई, यात्रियों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसके बाद अगले दिन दूसरे विमान से फ्रैंकफर्ट के लिए रवाना हुए।
झीरम का जवाब आने वाला है?
झीरम घाटी हत्याकांड को डेढ़ दशक होने जा रहा है। यह देश के सबसे बड़े राजनीतिक हत्याकांडों में से एक है, जिसमें प्रदेश कांग्रेस नेतृत्व का लगभग पूरा शीर्ष स्तर एक ही हमले में खत्म हो गया था। बावजूद इसके, आज तक इसकी जांच किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी।
अब जब कल बस्तर में छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री और गृह मंत्री विजय शर्मा ने एक बार फिर कहा है कि दोषियों के नाम जल्द सामने लाए जाएंगे, तो यह बयान एक पुरानी घोषणा की पुनरावृत्ति जैसी है। पिछले साल, 25 मई 2024 को भी उन्होंने यही बात कही थी, कि जस्टिस प्रशांत मिश्रा आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक की जाएगी। लेकिन 2025 की बरसी गुजर गई, और वह रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई है।
इस पूरे मामले में अब तक की जांच की दिशा और गति दोनों सवालों के घेरे में हैं। एनआईए की जांच को कांग्रेस ने अपूर्ण और पक्षपाती कहा। एसआईटी को दस्तावेज नहीं मिले। न्यायिक आयोग का कार्यकाल लगातार बढ़ता रहा, लेकिन रिपोर्ट जब राज्यपाल को सौंप दी गई, तो उसे भी गोपनीय रखा गया। सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में छत्तीसगढ़ पुलिस को जांच की इजाजत दी, लेकिन आगे कुछ नहीं बदला, कांग्रेस की इस जांच में रुचि थी- पर सरकार बदल गई। सरकार आने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जेब में रखे सबूतों को बाहर नहीं निकाल सके। उधर एनआईए लगातार छत्तीसगढ़ सरकार की जांच रोकने के लिए शीर्ष अदालतों में लड़ती रही।
प्रश्न यह नहीं है कि दोषियों का नाम कब उजागर होगा। असली सवाल यह है कि क्या अब तक जानबूझकर सच्चाई को रोका गया है? क्या यह मामला केवल जांच एजेंसियों की अक्षमता है, या राजनीतिक सुविधा के मुताबिक उसे लटकाए रखने की रणनीति?
झीरम के पीडि़तों को इतने सालों में न्याय नहीं मिला। सरकारें बदलती गईं। जवाबदेही पर सवाल है। देखें, गृह मंत्री दोषियों का खुलासा करने में और उन्हें कठघरे में खड़ा करने में कितना वक्त लगाते हैं।
कांग्रेस भवन और ईडी
ईडी ने सुकमा के कांग्रेस भवन को सील किया, तो राजनीतिक माहौल गरमा गया। प्रदेश कांग्रेस ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
दरअसल, जांच एजेंसी ने आबकारी घोटाले के पैसे से सुकमा के कांग्रेस भवन का निर्माण होना बताया है। इसको लेकर पूर्व मंत्री कवासी लखमा और उनके करीबियों के वॉट्सऐप चैट से इसका खुलासा हुआ है। पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने जांच एजेंसियों पर हमला बोलते हुए फेसबुक पर लिखा कि जब ये एजेंसियों ओवरटाइम करते-करते थक गई, कुछ न मिला, तो अब हमारे कार्यालयों को बंद करने की शुरूआत आज इन्होंने सुकमा से की है। ध्यान रहे, हमारे हर कार्यकर्ता का घर ही हमारा कार्यालय है।
बस्तर संभाग के अकेला सुकमा जिला ऐसा है जहां भाजपा पंचायत चुनाव में फतह हासिल नहीं कर पाई। यहां कांग्रेस ने सीपीआई के सहयोग से जिला पंचायत पर कब्जा जमा लिया। अब कांग्रेस दफ्तर सील हो गया है, तो पार्टी की बैठकें कहां होती है, यह देखना है।
बोनट पर रुतबा, नीली बत्ती में बर्थडे!
कहते हैं, कानून सबके लिए बराबर होता हैज् पर सरगुजा से वायरल वीडियो कुछ और ही कहानी सुना रही है। सरकारी कामकाज के लिए दी जाने वाली नीली बत्ती की खास सुविधा का इस्तेमाल अब बर्थडे सेलिब्रेशन और सोशल मीडिया स्टंट के लिए भी होने लगा है। बलरामपुर के डीएसपी की धर्मपत्नी जी ने अंबिकापुर में जिस अंदाज में बोनट पर बैठकर जन्मदिन मनाया, वो देखकर बत्ती तो नीली थी, लेकिन कानून का चेहरा लाल हो जाना चाहिए था।
वीडियो में नीली बत्ती लगी गाड़ी की बोनट पर केक, ऊपर मेमसाहब और आसपास लटकती सहेलियों का नजारा देखकर लग ही नहीं रहा कि ये किसी कानून से जुड़े परिवार की बात हो रही है। कानून पीछे छूट गया, कैमरा आगे निकल गया!
अब ये वही छत्तीसगढ़ है, जहां हाईकोर्ट ने गाडिय़ों पर स्टंट करने वालों के खिलाफ पुलिस को कई बार फटकार लगाई है। हाल ही में कई वीडियो वायरल होते ही युवाओं को हिरासत में लिया गया, चालान काटे गए, हिरासत में लिया गया। लेकिन इस मामले में पुलिस का रिएक्शन? वीडियो देखा और आगे बढ़ गए। अगर ये कार किसी आम लडक़े की होती, तो अब तक गाड़ी सीज, चालान ऑन स्पॉट और एफआईआर ऑन रिकॉर्ड हो जाती।
वैसे इस मामले में कोई हादसा नहीं हुआ है। यह तो दूर सरगुजा का मामला है। याद कीजिये राजधानी में जब एक अफसर की बीवी के हाथों एक युवती की मौत हो गई थी, तब क्या हुआ था?