राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : गिद्धों से दोस्ती का असर दिख रहा..
23-May-2025 7:50 PM
राजपथ-जनपथ : गिद्धों से दोस्ती का असर दिख रहा..

गिद्धों से दोस्ती का असर दिख रहा..

गिद्धों को लेकर आम धारणा नकारात्मक है। उन्हें अशुभ या डरावना समझा जाता है। लेकिन सच्चाई ये है कि अगर हमें स्वस्थ पर्यावरण चाहिए, तो हमें गिद्धों से दोस्ती करनी होगी। ये पक्षी प्रकृति के ऐसे सफाईकर्मी हैं, जो बिना वेतन लिए दिन-रात हमारी सेवा में लगे रहते हैं। वे मरे हुए जानवरों को खाकर बीमारियों को फैलने से रोकते हैं। उनकी अनुपस्थिति में यही शव सड़ते हैं, बीमारी फैलती है, और आवारा कुत्तों की संख्या बढ़ती है,जो रेबीज जैसे जानलेवा रोग फैला सकते हैं।

गिद्धों की घटती संख्या का सबसे बड़ा कारण है डाईक्लोफेनाक नामक दर्द निवारक दवा, जो पशुओं के इलाज में उपयोग होती है। जब गिद्ध उन मरे हुए जानवरों को खाते हैं, जिनमें डाईक्लोफेनाक का अंश होता है, तो उनकी किडनी फेल हो जाती है। इसी के चलते भारत में गिद्धों की आबादी में 99 फीसदी तक की गिरावट आ गई। हालांकि इस दवा पर अब बैन लग चुका है।

इधर, इंद्रावती टाइगर रिजर्व में वन विभाग और बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी ने मिलकर दो गिद्धों पर जीपीएस ट्रैकर लगाए। इन ट्रैकर्स के जरिए यह पता लगाया जा रहा है कि वे कहां जा रहे हैं, क्या खा रहे हैं, कहां रह रहे हैं। टाइगर रिजर्व के आसपास गांवों में ‘गिद्ध मित्र’ बनाए गए हैं। ये स्थानीय लोग ही गिद्धों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और दूसरों को जागरूक करते हैं कि गिद्ध क्यों जरूरी हैं। इन गिद्धों के लिए कुछ खान-पान के ठिकाने बनाए हैं। इन्हें गिद्ध रेस्टोरेंट का नाम दिया है। यहां मरे हुए जानवरों को छोड़ दिया जाता है।  पता यह चल रहा है कि ये गिद्ध 100 किलोमीटर के ही दायरे में ही घूम रहे हैं। उनके लिए राज्यों की सीमा कोई मायने नहीं रखती। कभी वे महाराष्ट्र, तो कभी तेलंगाना तक सैर करके लौट रहे हैं।

समाधान शिविर में अनोखी मांग

जन समस्याओं को सीधे सुनकर जितना संभव हो उतना तुरंत निपटाने के लिस् प्रदेश भर में इन दिनों सुशासन तिहार चल रहा है। सडक़, पानी, बिजली जैसे बुनियादी मसलों पर लोग शिविरों में आवेदन दे रहे हैं, लेकिन कहीं-कहीं कुछ अजब-गजब दरख्वास्त भी देखने को मिल रही हैं। ऐसी ही एक दिलचस्प अर्जी कांकेर जिले के चारामा समाधान शिविर में आई।

वार्ड क्रमांक 15 के एक नागरिक ने आवेदन देकर मांग की कि भाजपा मंडल अध्यक्ष ओमप्रकाश साहू को पद से बर्खास्त कर पार्टी से निकाला जाए, क्योंकि उन्होंने आदिवासी समाज से बदसलूकी की। दलील दी गई कि साहू हटेंगे तो सुशासन आएगा। चारामा नगरपालिका के सीएमओ ने पुष्टि की कि यह आवेदन औपचारिक रूप से रजिस्टर में दर्ज हो चुका है।

अब बड़ा सवाल यह है कि राजनीतिक शिकायत सरकारी अफसरों के पास क्यों? भाजपा नेताओं के यहां क्यों नहीं? सवाल बड़ा है, लेकिन जवाब शायद सरल है। जिलों के समाधान शिविरों में आवेदनों का अंबार है, फिर भी अधिकांश स्थानों पर 99 से 100 प्रतिशत हल होने की रफ्तार देखी जा रही है।

उम्मीद से भरे लोग जितनी बड़ी तादाद में अर्जियां लगा रहे हैं, मुस्तैद अफसर उतनी ही फुर्ती दिखा रहे हैं। इसी लिए संभव है कि आवेदक ने दल-पदाधिकारियों के बजाय अफसरशाही पर भरोसा करना ज्यादा मुनासिब समझा हो।

 उद्घाटन में दो लोग नहीं थे, जेल में...

पीएम नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को छत्तीसगढ़ पांच अमृत स्टेशनों अंबिकापुर, उरकुरा, भिलाई, भानुप्रतापपुर, और डोंगरगढ़ का वर्चुअल उद्घाटन किया। इन रेलवे स्टेशनों में यात्रियों के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। अंबिकापुर में तो उद्घाटन मौके पर सीएम विष्णुदेव साय, और सरकार के मंत्री ओपी चौधरी, रामविचार नेताम,  और लक्ष्मी राजवाड़े भी रही। मगर रेलवे स्टेशन के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले दो लोगों की गैरमौजूदगी की चर्चा भी रही।

बताते हैं कि अंबिकापुर रेलवे स्टेशन के निर्माण में बिलासपुर के चीफ इंजीनियर विशाल आनंद की अहम भूमिका रही है, लेकिन वो कुछ समय पहले रिश्वतखोरी के मामले में सीबीआई के हत्थे चढ़ गए। स्टेशन का पूरा निर्माण कार्य विशाल आनंद की निगरानी में हुआ था। इसी तरह रेलवे स्टेशन के निर्माण कार्य करने वाली कंपनी के ठेकेदार भी जेल की सलाखों के पीछे हैं। प्रमुख अफसर, और निर्माण कंपनी के ठेकेदार कार्यक्रम में नहीं रहेंगे, तो बात तो होगी ही।

बस्तर से कतराना भी अब बंद होगा...

छत्तीसगढ़ के बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर, और सुकमा में चल रहे नक्सल ऑपरेशन की काफी चर्चा हो रही है। अबूझमाड़ नक्सल ऑपरेशन को अब तक का सबसे कामयाब माना जा रहा है। ऑपरेशन में शीर्ष नक्सल नेता बसव राजू की मौत हो गई। सीएम विष्णुदेव साय ने अभियान की सफलता पर खुशी जताते हुए कहा कि सेनापति के मारे जाने के बाद सेना का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। उन्हें भरोसा है कि प्रदेश में जल्द ही नक्सलियों का खात्मा हो जाएगा।

प्रदेश में 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलियों का खात्मा होने की बात कही गई है। केंद्र, और राज्य के इस दावे में कोई शक की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है, लेकिन लंबे समय तक नक्सल प्रभावित रहने के कारण छत्तीसगढ़ की पहचान एक समस्याग्रस्त राज्य के रूप में हो गई है। बाहर राज्य के कई लोग यहां आने से अब भी कतराते हैं। कुछ महीने पहले कॉलेजों की गुणवत्ता परखने के लिए नैक की टीम आई थी। टीम में एक महिला प्रोफेसर भी थीं।

बताते हैं कि महिला प्रोफेसर के परिजन उन्हें छत्तीसगढ़ नहीं जाने की सलाह दे रहे थे। परिजनों की धारणा थी कि छत्तीसगढ़ बुरी तरह नक्सल प्रभावित है, और रोज कुछ न कुछ घटनाएं होती हैं। मगर महिला प्रोफेसर के पति आर्मी ऑफिसर रहे हैं। उन्होंने अपनी पत्नी, और परिजनों  की शंकाओं को दूर किया। बाद में महिला प्रोफेसर यहां आई, तो नवा रायपुर व आसपास के इलाकों को देखकर खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने कॉलेज के निरीक्षण के दौरान ये सारी बातें साझा की। कुछ लोगों का मानना है कि नक्सलियों का खात्मा तो हो जाएगा, लेकिन विचारधारा से उबरने में समय लग सकता है। देखना है आगे क्या होता है।


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