राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : राजधानी में भाजपा की हार
22-May-2025 6:37 PM
राजपथ-जनपथ : राजधानी में भाजपा की हार

राजधानी में भाजपा की हार

भाजपा ने भले ही निकाय, और पंचायत चुनाव में बड़ी जीत हासिल की है, लेकिन मुस्लिम समुदाय की हज कमेटी के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है। दिलचस्प बात यह है कि कमेटी में भाजपा समर्थित सदस्य अधिक हैं। बावजूद इसके कांग्रेस समर्थित मोहम्मद इमरान अध्यक्ष चुन लिए गए। हज कमेटी के अध्यक्ष को राज्यमंत्री का दर्जा होता है।

बताते हैं कि हज कमेटी के कुल 11 सदस्यों में से 6 सदस्य भाजपा समर्थित हैं। कमेटी के अध्यक्ष पद के लिए भाजपा अल्पसंख्यक नेता मिर्जा एजाज बेग का नाम प्रमुखता से चर्चा में था। नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन पार्टी की तरफ से बेग को नामांकन भरने के लिए कोई संदेश नहीं पहुंचा।

दूसरी तरफ, कांग्रेस समर्थित सदस्यों ने मोहम्मद इमरान को अध्यक्ष प्रत्याशी घोषित कर दिया। भाजपा समर्थित सदस्यों में बेग के नाम पर सहमति नहीं बन रही थी। बेग निर्विरोध अध्यक्ष बनना चाह रहे थे। इसी बीच भाजपा समर्थित एक अन्य मकबूल खान ने नामांकन भर दिया। भाजपा के नेताओं ने चुनाव में दावेदारों के बीच सहमति बनाने की कोशिश नहीं की। इसका असर यह हुआ कि मकबूल के नामांकन भरने के बाद बेग समर्थित सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।

भाजपा नेताओं के बीच फूट का सीधा फायदा कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी इमरान को मिला, और वो चुनाव जीतने में कामयाब हो गए। भाजपा ने हज कमेटी के चुनाव में हार को गंभीरता से लिया है।  पार्टी संगठन के नेता, इस पर अल्पसंख्यक मोर्चा के पदाधिकारियों से चर्चा कर रहे हैं। पार्टी के कुछ लोग चुनाव प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहे हैं, और निर्वाचन शून्य घोषित कराने के लिए कानूनी सलाह भी ले रहे हैं। देखना है आगे क्या होता है।

सीएम कल से दिल्ली में, काफी कुछ होगा

भाजपा संगठन में एक बड़े बदलाव को लेकर हलचल है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर काफी कुछ निर्भर है। ऑपरेशन सिंदूर की वजह से राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव टल गया था, और अब जल्द ही इसकी प्रक्रिया शुरू हो सकती है। राष्ट्रीयअध्यक्ष के चुनाव के बाद जिले, और प्रदेश की कार्यकारिणी का गठन होगा।

पार्टी के कुछ सूत्रों का कहना है कि जिले, और प्रदेश कार्यकारिणी का खाका तैयार कर लिया गया है। हाईकमान के निर्देशों का इंतजार हो रहा है। दूसरी तरफ, सीएम विष्णुदेव साय 23 से 25 तारीख तक दिल्ली में रहेंगे। इस दौरान प्रदेश भाजपा संगठन के प्रमुख नेता भी वहां रहेंगे।

चर्चा है कि सीएम, और अन्य नेताओं की पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं के साथ बैठक हो सकती है। इसमें संगठन से लेकर कैबिनेट विस्तार पर भी बात हो सकती है। वैसे तो सीएम, नीति आयोग की बैठक में शिरकत करने जा रहे हैं। 25 तारीख को एनडीए शासित मुख्यमंत्रियों की बैठक में रहेंगे। कुल मिलाकर सीएम के दिल्ली दौरे पर काफी कुछ होने का अंदाजा लगाया जा रहा है। देखना है आगे क्या होता है।

स्टेशन सजे, पर डबल इंजन कहां है?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘अमृत भारत स्टेशन योजना’ के तहत देशभर के 103 स्टेशनों का वर्चुअल लोकार्पण किया है। इनमें छत्तीसगढ़ के भी पांच स्टेशन शामिल है- अंबिकापुर, भिलाई, भानुप्रतापपुर, डोंगरगढ़ और उरकुरा। इन स्टेशनों की जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनसे साफ है कि इनका कायाकल्प करने में अच्छा-खासा खर्च हुआ है। जब बजट बड़ा होता है तो अफसरों और ठेकेदारों की भी मौज हो जाती है।  रेलवे के कई अफसर और ठेकेदार सीबीआई की जांच के घेरे में आ चुके हैं और पिछले महीने कुछ की गिरफ्तारी भी हुई।

बहरहाल, इन पांच स्टेशनों का रूप-सौंदर्य अब बिल्कुल नया नजर आ रहा है। लेकिन यह ध्यान देने वाली बात है कि छत्तीसगढ़ के लोगों की रेलवे से प्राथमिक मांग स्टेशनों का सौंदर्यीकरण नहीं, बल्कि वर्षों से लंबित रेल परियोजनाओं को पूरा करने की रही है। लोग स्टेशन पर बेहतर सुविधाएं तो चाहते हैं, लेकिन उनसे भी ज्यादा जरूरी राजधानी और महानगरों से कनेक्टिविटी है। उदाहरण के तौर पर, बस्तर की रावघाट रेल परियोजना अब तक अधूरी है, जबकि वहां के भानुप्रतापपुर स्टेशन को चमका दिया गया है।

इसी तरह डोंगरगढ़ स्टेशन, जो मुंबई-हावड़ा रूट का हिस्सा है, को भी नया रूप दे दिया गया है। इसे जोडऩे वाली प्रस्तावित नई रेल लाइन डोंगरगढ़ से कटघोरा तक जाएगी। इसकी मूल योजना ब्रिटिश काल में बनी थी, जिसमें बिलासपुर से राजनांदगांव तक रेल मार्ग प्रस्तावित था। उस समय अकाल पडऩे पर भूमि अधिग्रहण कर लिया गया था और रेलवे लाइन बिछाने के लिए मिट्टी भी डाल दी गई थी। आज भी बिलासपुर, मुंगेली, पंडरिया से होते हुए राजनांदगांव तक की जमीन तकनीकी रूप से उपलब्ध है, लेकिन अब उस ज़मीन पर निजी निर्माण, सडक़ें और सरकारी इमारतें बन चुकी हैं। ऐसे में पुराना ट्रैक खाली कराना लगभग असंभव है।

इधर, अब इस परियोजना का स्वरूप बदला जा चुका है। नई लाइन कटघोरा, मुंगेली होते हुए डोंगरगढ़ तक जाएगी। इस मार्ग में खैरागढ़, तखतपुर, रतनपुर, बेलतरा जैसे करीब 27 स्टेशन होंगे, जहां पहली बार रेल सेवा पहुंचेगी। यह मार्ग कई संसदीय क्षेत्रों से होकर गुजरेगा। बीते छह दशकों में कोरबा, बिलासपुर और राजनांदगांव के शायद ही कोई सांसद रहे हों जिन्होंने संसद में इस रेल लाइन को लेकर आवाज न उठाई हो।

हाल ही में सांसद संतोष पांडेय ने रेल मंत्री के समक्ष इस परियोजना की प्रगति का मुद्दा उठाया। पूर्व सांसद डॉ. चरण दास महंत, अरुण साव, लखन लाल साहू और अब केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू, ज्योत्सना महंत भी इस संबंध में संसद में सवाल पूछ चुके हैं और पत्राचार कर चुके हैं। रेल मंत्री से मुलाकात करके भी तोखन साहू ने यह मांग बजट से ठीक पहले रखी थी। पूर्व सांसद लखन लाल साहू ने तो अपने कार्यकाल में दावा किया था कि यह योजना तीन वर्षों में पूरी हो जाएगी। लेकिन हकीकत यह है कि परियोजना बहुत धीमी गति से आगे बढ़ रही है।

करीब 10 वर्ष पहले, बिलासपुर के तत्कालीन रेल महाप्रबंधक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस योजना को केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने की घोषणा की थी। इस योजना को कार्यान्वित करने के लिए छत्तीसगढ़ रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (सीआरसीएल) नाम से एक कंपनी बनाई गई है, जिसमें ज्यादातर खर्च राज्य सरकार वहन कर रही है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में गत वर्ष खनिज न्यास निधि की बैठक में इस परियोजना के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। यह राशि मुख्यत: मुआवजे में खर्च होगी। सरकार ने कहा है कि आगे आवश्यकता अनुसार और राशि जारी की जाएगी।

हालांकि ताजा स्थिति यह है कि सीआरसीएल में शामिल कुछ निजी कंपनियां, जिनके हित कोयला खदानों से जुड़े हैं।अब इस परियोजना में राशि लगाने से पीछे हट गई हैं। अब तो रेलवे भी कह रही है कि परियोजना में हमें कुछ भी खर्च नहीं करना है। एक नवीनतम जानकारी यह है कि मुआवजे की राशि को लेकर किसानों में असंतोष दिख रहा है। खैरागढ़ के किसान जमीन के कीमत का 4 गुना मुआवजा देने की मांग पर सरकारी दफ्तरों का घेराव कर चुके हैं।

इस बीच, रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने अमृत भारत स्टेशनों के उद्घाटन कार्यक्रम के लिए छत्तीसगढ़ के सभी सांसदों को निमंत्रण पत्र भेजा। उन्होंने इस पत्र में जोर देकर बताया गया कि इस बार छत्तीसगढ़ को रेलवे के इतिहास में अब तक का सर्वाधिक फंड (करीब 5970 करोड़ रुपये) मिला है। मगर, उन्होंने पत्र में न तो लंबित रेल परियोजनाओं की स्थिति पर कुछ कहा, न ही केंद्रीय बजट के समय आयोजित प्रेस वार्ता में इनका जिक्र किया।

कान्स में छा गई दुर्ग की जूही

दुर्ग, छत्तीसगढ़ की रहने वाली जूही व्यास ने 2025 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में अपनी खास मौजूदगी से न सिर्फ राज्य बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया। इस अंतरराष्ट्रीय मंच पर उन्होंने ग्लैमर की चकाचौंध से परे जाकर जलवायु न्याय और महासागर संरक्षण की आवाज उठाई। आइये उनके बारे में थोड़ा जानते हैं। सॉफ्टवेयर इंजीनियर रह चुकीं दुर्ग की जूही व्यास ने 13 साल की उम्र में अपने पिता के निधन के बाद जीवन की चुनौतियों का सामना करना शुरू किया। उनकी मां ने कठिन परिस्थितियों में परिवार को संभाला, और जूही ने भी मेहनत की मिसाल पेश की। पहले मिसेज इंडिया इंक 2022 की फर्स्ट रनर-अप बनीं, फिर 2023 में कैलिफोर्निया में मिसेज ग्लोब पीपल्स चॉइस टाइटल जीता। 2024 में वे मिसेज ग्लोब, चाइना की पहली भारतीय जूरी सदस्य भी बनीं। जूही ने कान्स से पहले 2025 में पेरिस फैशन वीक में 6 अंतरराष्ट्रीय डिजाइनर्स के लिए वॉक किया था। लेकिन कान्स में उनकी उपस्थिति एक उद्देश्यपूर्ण मिशन के तहत रही। जूही ने कान्स रेड कार्पेट पर जो लाल रंग की ड्रेस पहनी, वह आग का प्रतीक थी। एक ऐसी आग जो जलवायु परिवर्तन, हीटवेव और बढ़ते तापमान के खतरों को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि वह एक मां हैं और भविष्य की पीढिय़ों के लिए एक सुरक्षित धरती की जिम्मेदारी महसूस करती हैं।  उनके साथ थीं मोहिनी शर्मा, जो मिसेज इंडिया इंक की नेशनल डायरेक्टर हैं। दोनों ने ग्रीनपीस साउथ एशिया के साथ मिलकर इस आयोजन को पर्यावरण जागरूकता के संदेशवाहक में बदल दिया।


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