राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : जब मासूम जिंदगी चट्टानों के बीच फंसी
19-May-2025 9:33 PM
	 राजपथ-जनपथ : जब मासूम जिंदगी चट्टानों के बीच फंसी

जब मासूम जिंदगी चट्टानों के बीच फंसी

छत्तीसगढ़ के धरमजयगढ़ वन मंडल में अलग-अलग कारणों से अब तक चार हाथी शावकों की मौत हो चुकी है। ग्रामीणों और वन्यजीवों के बीच रस्साकशी लगातार जारी है। हाथियों के हमलों से ग्रामीणों के खेत-खलिहान और घर उजड़ रहे हैं। लेकिन जब बात मानवीय संवेदनाओं की हो, तो संयम और समझदारी से काम लेना जरूरी हो जाता है। हाथी जैसे विशालकाय वन्यजीव के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना आसान नहीं होता, यह कार्य विशेष दक्षता की मांग करता है।

इसी घने जंगल में एक शावक अचानक फिसलकर दो बड़ी चट्टानों के बीच फंस गया। वह बार-बार चट्टान पर चढऩे की कोशिश करता, लेकिन हर बार फिसलकर नीचे गिर जाता था। जब वन विभाग के मैदानी अमले को इसकी जानकारी मिली, तो बचाव के लिए एक टीम तुरंत रवाना की गई।

चट्टान को कुदाल से खोद-खोदकर नीचे तक एक खुरदुरा रास्ता तैयार किया गया। फिर वहां एक जाल बिछा दिया गया, ताकि शावक ऊपर आए तो फिसले नहीं। और यही हुआ। थके हुए कदमों से वह शावक धीरे-धीरे ऊपर चढ़ गया। ऊपर उसकी मां उसका बेसब्री से इंतजार कर रही थी। शावक उसे देखते ही दौड़ पड़ा। बचाव दल के लिए उसकी आंखों में कृतज्ञता झलक रही थी।

इन कर्मचारियों के लिए यह बेहद सुखद क्षण था। उन्होंने एक मासूम जान को नया जीवन दिया। रेस्क्यू ऑपरेशन की पूरी प्रक्रिया वन विभाग ने ड्रोन कैमरे में कैद की और उसका वीडियो भी जारी किया है।

तीन माह का चावल पकड़ो

छत्तीसगढ़ में धान की बंपर खरीदी के चलते एक विचित्र स्थिति उत्पन्न हो गई है। धान-चावल को खपाने की समस्या इतनी विकराल हो चुकी है कि पहली बार सरकार को पीडीएस दुकानों में एकमुश्त तीन माह का चावल भेजना पड़ रहा है। राशन दुकानदार भी हितग्राहियों से कह रहे हैं, पूरा 105 किलो चावल उठाओ।

वैसे, एक माह का भी चावल कई घरों से सीधे बाजार पहुंच जाता है। कई बार तो वह घरों तक नहीं पहुंचता। राशन दुकानदार अंगूठा लगवाकर मालवाहकों में भरकर चावल सीधे व्यापारियों के लिए रवाना कर देते हैं। अब तो मोटे धान को पतला करने की मशीन भी आ चुकी है। बड़ी सफाई से इसे पतले चावल के रूप में 30-35 रुपये किलो में बेच दिया जाता है।

प्रदेश की अधिकांश राशन दुकानों में भंडारण की समुचित व्यवस्था नहीं है। शायद ही किसी दुकान के पास तीन माह का चावल एक साथ रखने की क्षमता हो। खुले गोदामों में हजारों टन चावल पहले से ही रखे हुए हैं, जिन्हें भारी घाटे में खुले बाजार में बेचने के बावजूद सरकार के पास सुरक्षित गोदाम नहीं हैं। अब इस बोझ को पीडीएस दुकानों पर डाल दिया गया है।

पता नहीं यह निर्णय राशन दुकान संचालकों के लिए एक आपदा है या फिर ऊपरी कमाई का एक नया अवसर!

अब तक काम नहीं सम्हाल पाए

सरकार ने 36 निगम-मंडल, और आयोगों में अध्यक्ष की नियुक्ति तो कर दी है, लेकिन कुछ में कानूनी विवाद के चलते अध्यक्ष पदभार नहीं संभाल पा रहे हैं। नवनियुक्त अध्यक्ष खुद होकर विवादों के निपटारे में लगे हैं। ताकि वो जल्द से जल्द पदभार संभाल सके। इनमें सफलता भी मिल रही है। मसलन, राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबड़ा की नियुक्ति का विवाद सुलझ गया है, और वो 22 तारीख को पदभार भी संभालने वाले हैं।

बताते हैं कि पिछली सरकार ने महेन्द्र छाबड़ा को अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया था। सरकार बदलने के बाद भी वो पद पर बने हुए थे। हाईकोर्ट से उन्हें स्थगन मिला था। नए अध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबड़ा ने पहल की, और फिर महेन्द्र छाबड़ा ने हाईकोर्ट से केस वापस ले लिया। इसके बाद महेन्द्र छाबड़ा ने विधिवत आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। महेन्द्र छाबड़ा के इस्तीफे के बाद अमरजीत सिंह छाबड़ा की नियुक्ति के आदेश जारी हुए हैं, और वो सीएम-डिप्टी सीएम की मौजूदगी में पदभार संभालेंगे।

इसी तरह संदीप शर्मा को खाद्य आयोग के अध्यक्ष बनाया गया है, लेकिन इस पद पर पहले से ही अंबिकापुर की गुरप्रीत सिंह बाबरा काबिज हैं। उन्हें पिछली सरकार ने नियुक्त किया था। उन्होंने पद नहीं छोड़ा है। उनका कार्यकाल जुलाई में खत्म होगा। तब तक संदीप शर्मा को इंतजार करना होगा।

 दुग्ध महासंघ के नवनियुक्त अध्यक्ष केदार गुप्ता भी अब तक पदभार नहीं संभाल पाए हैं। दरअसल, महासंघ का एनडीडीबी के साथ एमओयू हुआ था, और एनडीडीबी का महासंघ के प्रशासनिक कार्यों में दखल है। अब केदार के लिए नियमों में संशोधन कर रास्ता निकाला जा रहा है। तब तक उन्हें इंतजार करना होगा।  इसी तरह शालिनी राजपूत को समाज कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष तो बना दिया गया है, लेकिन वो भी कानूनी विवाद की वजह से पदभार नहीं संभाल पा रही हैं।

राज्यपाल के बस 3 जिले बचे

राज्यपाल रामेन डेका बस्तर के तीन जिले बीजापुर, सुकमा, और दंतेवाड़ा को छोडक़र पूरे प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। वो संभागीय मुख्यालयों में बैठक भी ले चुके हैं। राज्यपाल ने सरकार की कुछ योजनाओं पर विशेष रूप से फोकस किया है।  रायपुर में उन्होंने यातायात, जल संरक्षण, और वृक्षारोपण अभियान की समीक्षा की थी। बाकी जिलों में भी इन तीनों पर विशेष जोर रहा। खास बात यह है कि वो पहले राज्यपाल हैं, जिन्होंने जिलेवार सरकार की योजनाओं की समीक्षा की है। चर्चा है कि उन्होंने सीएम को अपनी तरफ से फीडबैक दिया। गौर करने लायक बात ये है कि विपक्ष ने राज्यपाल की बैठकों को लेकर सवाल भी खड़े किए थे।


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