राजपथ - जनपथ

मंत्रीजी को घर में दिखा संकट!
प्रदेश के 26 ब्लॉक में भूजल का स्तर क्रिटिकल है। इस मसले पर सीएम विष्णुदेव साय भी चिंता जता चुके हैं, और पिछले दिनों उन्होंने जल संसाधन विभाग की बैठक में दीर्घकालीन कार्ययोजना बनाने के लिए भी कहा। इससे परे सरकार के एक मंत्री भी भूजल स्तर में गिरावट से चिंतित हैं। उनकी यह चिंता व्यक्तिगत भी है।
बताते हैं कि मंत्रीजी का राजधानी रायपुर के बाहरी इलाके में एक बंगला बन रहा है। यह इलाका ग्रामीण है, लेकिन बोरवेल के लिए खुदाई हुई, तो छह सौ फीट पर पानी निकला। मंत्रीजी चकित रह गए, और ग्रामीण इलाके में भूजल स्तर में गिरावट का अंदाजा उन्हें पहली बार हुआ। इससे परे उसी इलाके में कांग्रेस की एक राज्यसभा सदस्य का भी बंगला बनने जा रहा है।
राज्यसभा सदस्य का प्लॉट, मंत्रीजी के बंगले से थोड़ी दूर पर ही है। राज्यसभा सदस्य ने पूजा-पाठ, और टेस्टिंग आदि कराकर बोरवेल खुदाई कराई, तो 50 फीट पर ही पानी मिल गया। इस इलाके में कई और दिग्गज नेताओं के बंगले बन रहे हैं। इन सबके बीच अब भूजल स्तर में आ रही गिरावट पर बात हो रही है।
राहुल की चि_ी का मतलब?
कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज के हटने-हटाने की चर्चाओं के बीच राहुल गांधी के एक पत्र की काफी प्रतिक्रिया हो रही है। राहुल ने प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने प्रदेश कांग्रेस की गतिविधियों की सराहना की है।
यह पत्र प्रदेश कांग्रेस दफ्तर पहुंचा, तो दीपक बैज के समर्थक खिल उठे। पूर्व सीएम भूपेश बघेल का भी बयान आ गया। उन्होंने कहा कि राहुलजी ने सिर्फ बैज की ही नहीं, सभी कार्यकर्ताओं की तारीफ की है। राहुल के पत्र के बाद बैज समर्थक आत्मविश्वास से भर गए हैं, और वो मानकर चल रहे हैं कि बैज पद पर बने रहेंगे।
दूसरी तरफ, प्रदेश कांग्रेस के एक प्रमुख पदाधिकारी ने अनौपचारिक चर्चा में राहुल के पत्र की व्याख्या अलग ढंग से की है। पदाधिकारी का मानना है कि प्रदेश कांग्रेस की गतिविधियों को लेकर रिपोर्ट हाईकमान को भेजी जाती है। इस पर बधाई की प्रतिक्रिया आना स्वाभाविक है। जैसे कि किसी विशिष्ट व्यक्ति को शादी के लिए आमंत्रण भेजा जाता है, यदि वो किसी वजह से कार्यक्रम में नहीं आ पाते तो शिष्टाचार के नाते शुभकामनाएं संदेश भेज देते हैं। राहुल का पत्र भी शुभकामना संदेश से ज्यादा कुछ नहीं है। चाहे कुछ भी हो, दीपक बैज राहुल के पत्र से टॉनिक मिल गई है। अब हटेंगे या नहीं, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
छात्रा बनी टीचर
सुकमा के दंतेशपुरम की यह शाला छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था की एक तस्वीर दिखा रही है। अनुशासित बच्चे जमीन पर कतारबद्ध बैठे हैं। बच्चे सब पहुंच गए हैं, पर टीचर गायब है, इसलिए एक छात्रा ने ही पढ़ाने की जिम्मेदारी उठा ली है। एक जवान ने ये वीडियो रिकॉर्ड किया जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
सहकारी संस्थाएं भी करें खाद में घपला तो?
फसल की पैदावार बढ़ाने की चाह में किसान आए दिन महंगे और कई बार अमानक कीटनाशकों व उर्वरकों के जाल में फंस जाते हैं। निजी कंपनियों द्वारा बनाए जा रहे रासायनिक उत्पादों की गुणवत्ता पर पहले से ही संदेह बना रहता है, इसलिए कृषि विभाग समय-समय पर इन पर पाबंदियां लगाता है और किसानों को सतर्क रहने की सलाह भी दी जाती है। हालांकि, जब तक कार्रवाई होती है, तब तक बाजार में इनकी भारी मात्रा खप चुकी होती है।
लेकिन समस्या तब और गंभीर हो जाती है जब सरकार की मदद से किसानों की सदस्यता वाली सहकारी संस्थाएं भी इस तरह की लापरवाही में लिप्त पाई जाएं। कबीरधाम जिले के बोड़ला में स्थापित एथनॉल प्लांट से किसानों को उम्मीद थी कि इससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और गन्ना उत्पादकों को उनकी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा। इस प्लांट का संचालन करने वाली कंपनी से जुड़ी भोरमदेव सहकारी सोयायटी प्राइवेट लिमिटेड ने खाद तैयार कर उसे किसानों को बेचना शुरू किया। किसान इस संस्था पर इसलिए भरोसा करते थे क्योंकि यह समिति उन्हीं से गन्ना खरीदती है, यानी यह पूरी तरह किसान-केन्द्रित व्यवस्था है।
मगर कृषि विभाग को संदेह हुआ, तो खाद के नमूने लेकर परीक्षण कराया गया। परिणाम चौंकाने वाले थे। खाद घटिया पाई गई और इसे फसलों के लिए हानिकारक बताया गया। अब तक करीब 19 करोड़ रुपये की खाद किसानों को बेची जा चुकी है। किसान ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं और जल्द ही वे अपने पैसे की वापसी की मांग को लेकर आंदोलन करने की तैयारी में हैं।
यह घटना छत्तीसगढ़ की पिछली सरकार के उस दौर की भी याद दिलाती है, जब गौठानों में जैविक खाद के नाम पर किसानों को जबरन मिट्टी थमाई जा रही थी। फिलहाल कृषि विभाग ने खाद की बिक्री पर रोक लगा दी है, लेकिन अब सवाल संस्था की साख का है। भले ही आगे चलकर गुणवत्ता सुधारी जाए, किसानों के मन में पैदा हुआ संदेह आसानी से नहीं मिटेगा। वैसे भी एथेनॉल से बने खाद का इस्तेमाल करना किसानों का नया-नया अनुभव है। इस घटना से उनका विश्वास डगमगा चुका है। (rajpathjanpath@gmail.com)