राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : सैनिक, या अर्धसैनिक?
15-May-2025 11:52 PM
राजपथ-जनपथ : सैनिक, या अर्धसैनिक?

सैनिक, या अर्धसैनिक?

नए नवेले कई विधायकों के खिलाफ धीरे-धीरे मोर्चा खुल रहा है। विधायकों पर आरोप लग रहा है कि वो जनसमस्याओं के निराकरण में रूचि नहीं लेते हैं। लेन -देन की भी शिकायतें हैं। एक ने तो बकायदा आरटीआई लगाकर विधायक से जुड़ी जानकारी भी निकलवा ली है, जो कि देर-सवेर विधायक के खिलाफ मुद्दा बन सकता है।

बताते हैं कि विधायक को क्षेत्र के लोग पूर्व सैनिक के रूप में जानते हैं। एक वकील ने सैनिक कल्याण बोर्ड से पूर्व सैनिक विधायक के बारे में जानकारी चाही, तो लिखित में जवाब मिला कि उनका (विधायक) पूर्व सैनिक का कोई रिकॉर्ड नहीं है। बात विधायक के करीबियों तक पहुंची, तो उन्होंने कह दिया कि वो (विधायक) सैनिक नहीं, बल्कि सीआरपीएफ में थे। अब सवाल उठ रहा है कि अर्धसैनिक बल में थे, तो सैनिक लिखना कहां तक उचित है? विधायक के खिलाफ धीरे-धीरे नाराजगी बढ़ रही है। ऐसे में उन्हें देर सवेर अपने विषय में स्थिति स्पष्ट करनी पड़ सकती है।

पकौड़े बेचना बहुत बुरा भी नहीं

महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप के बाद पिछले कुछ समय से गजानन एप सुर्खियों में रहा है। महादेव ऑनलाइन सट्टा ऐप के संचालक तो पुलिस की पहुंच से बाहर हैं, लेकिन गजानन के संचालक तिल्दा रहवासी नंदलाल लालवानी, और उनके पुत्र निर्दलीय पार्षद बबला लालवानी पुलिस के मंगलवार की रात हत्थे चढ़ गए। पकोड़े बेचकर जीवन यापन करने, और फिर ऑनलाइन सट्टा कारोबार चलाकर करोड़पति बनने की कहानी दिलचस्प है।

बताते हैं कि लालवानी पिता-पुत्र दो-तीन साल पहले तक तिल्दा में पकोड़े बेचते थे। धीरे-धीरे वो महादेव ऑनलाइन सट्टा खिलाने वालों से जुड़े, और फिर महादेव एप पर पुलिसिया की कार्रवाई के बाद खुद गजानन एप बनाकर ऑनलाइन सट्टा खिलाने लगे। देखते ही देखते लालवानी पिता-पुत्र करोड़पति बन गए। तिल्दा के निकट उनका शानदार फार्म हाउस चर्चा में रहा है।

सट्टेबाज बबला लालवानी ने राजनीति में भी कदम रखा। भाजपा नेताओं को साधकर पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली, और बबला लालवानी के भाजपा प्रवेश के कार्यक्रम में पार्टी के कई बड़े नेता मौजूद थे। इसके बाद नगर पालिका चुनाव में बबला लालवानी ने पार्षद टिकट के लिए दावेदारी की, लेकिन तब तक पार्टी के शीर्ष नेताओं तक उनके ऑनलाइन सट्टा खिलाने की शिकायत पहुंच चुकी थी।

टिकट नहीं मिलने पर बबला लालवानी ने निर्दलीय पार्षद चुनाव लड़ा, और अच्छे वोटों से जीत हासिल की। इसके बाद नगर पालिका उपाध्यक्ष का भी चुनाव लड़ा। कांग्रेस, और भाजपा के कुछ पार्षदों को भी अपने पाले में करने की कोशिश की। मगर एक वोट से चुनाव हार गए। इसके बाद से लालवानी पिता-पुत्र के खिलाफ कार्रवाई के लिए मुहिम चल रही थी। और अब जाकर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार किया है। पुलिस से जुड़े सूत्र बताते हैं कि आरोपियों के तार दुबई तक जुड़े हैं। फिलहाल तो पूछताछ चल रही है। देखना है आगे क्या कुछ होता है।

बीबीसी तक गूंजी थी मुनगा गांव की गाथा

15 मई 1975। यह तारीख छत्तीसगढ़ के इतिहास में दर्ज है। महासमुंद जिले (तत्कालीन मध्यप्रदेश) के बागबाहरा विकासखंड के छोटे से गांव मुनगा ने देश को एक नई सामाजिक पहल दिखाई।

यहां 27 जोड़ों की शादी एक साथ कराई गई। दावा है कि यह भारत का पहला सामूहिक आदर्श विवाह था।

इस आयोजन की खासियत यह थी कि इसका प्रसारण ऑल इंडिया रेडियो और बीबीसी लंदन तक हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस अद्वितीय पहल पर बधाई दी थी। विवाह में शामिल हुए सभी जोड़े आज भी वैवाहिक जीवन में साथ हैं—एक भी तलाक नहीं हुआ। दो दिन तक गांव में हजारों लोग रुके, आसपास के गांवों और अन्य राज्यों से भी लोग विवाह देखने पहुंचे। गांववालों ने खुद अपने हाथों से मिट्टी के गिलास और बर्तन बनाए, जिनमें खाना परोसा गया। अब 50 साल बाद, आज इस गौरवपूर्ण सामाजिक परंपरा की स्वर्ण जयंती मनाई जा रही है। 15 मई 2025 को गांव मुनगा में गोल्डन जुबली समारोह का आयोजन हो रहा है, जिसमें उस ऐतिहासिक विवाह के 20 से अधिक जोड़े अब भी जीवित हैं और फिर से शामिल हो रहे हैं।

निमंत्रण में कहा गया है कि- मां की गोद में मौसी की शादी देखी थी, आज उसी विवाह का हो रहा है स्वर्ण जयंती उत्सव!


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