राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : इंपैनलमेंट और काबिलियत
12-May-2025 6:19 PM
राजपथ-जनपथ : इंपैनलमेंट और काबिलियत

इंपैनलमेंट और काबिलियत

छत्तीसगढ़ कैडर के चार आईपीएस अफसर रामगोपाल गर्ग, दीपक झा, अभिषेक शांडिल्य, और जितेन्द्र सिंह मीणा केन्द्र सरकार में आईजी, अथवा समकक्ष पद के लिए सूचीबद्ध हुए हैं। चारों आईपीएस के 2007 बैच के अफसर हैं। यह पहला मौका है जब एक साथ एक ही बैच के सभी पुलिस अफसर केन्द्र सरकार के पदों के लिए सूचीबद्ध हुए हैं।

आईजी रामगोपाल गर्ग और अभिषेक शांडिल्य पहले भी केन्द्र सरकार की एजेंसी में काम कर चुके हैं। दोनों ही सीबीआई में पोस्टेड रहे हैं। जितेन्द्र सिंह मीणा वर्तमान में आईबी में पोस्टेड हैं। खास बात यह है कि चारों अफसरों की साख अच्छी है, और उन्होंने अलग-अलग जिलों में अपनी पदस्थापना के दौरान साबित भी किया है। अभी वर्तमान में रामगोपाल गर्ग, अभिषेक शांडिल्य, और दीपक झा क्रमश: दुर्ग, राजनांदगांव, और सरगुजा आईजी रेंज में पोस्टेड है। दीपक झा भी केन्द्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाने के इच्छुक थे, लेकिन राज्य सरकार ने इसकी अनुमति नहीं दी।

दीपक झा ने जिस तरह पुलिस भर्ती गड़बड़ी के मामले में सख्त कार्रवाई की है। उससे भर्ती प्रक्रिया पर विश्वास बरकरार रहा है। रामगोपाल गर्ग ने महादेव ऐप से लेकर दुर्ग में मासूम की रेप-हत्या मामले को बेहतर तरीके से हैंडल किया है। यही नहीं, उन्होंने लेन-देन की शिकायत पर एक डीएसपी को भी अटैच कर दिया। कुल मिलाकर उनकी कार्रवाई से पुलिस महकमे में अच्छा संदेश गया है। यही वजह है कि चारों अफसर अपनी काबिलियत के बूते पर केन्द्रीय एजेंसियों के लिए सूचीबद्ध हुए हैं।

आईएमडी,स्काईमेट में टक्कर

भारत सरकार के मौसम विभाग (आईएएमडी) और  निजी वेदर सर्विसेज कंपनी स्काईमेट प्रालि के बीच मौसमी पूर्वानुमान की ब्रेकिंग को लेकर टसल शुरू हो गई है । इसका असर पूर्वानुमान की एक्यूरेसी पर भी देखा जा  रहा है । इस वजह से 150 वर्ष पुराने आईएमडी, ब्रेकिंग के चक्कर में 22 वर्ष पहले बने स्काईमेट को पछाडऩे समय से पहले ही पूर्वानुमान जारी करने लगा है । हालांकि  मौसम वैज्ञानिक अपने अफसरों को इससे बचने की सलाह दे रहे है। वे इसे संसाधनों का गलत उपयोग कहने से भी नहीं चूक रहे। मसलन, तीन दिन पहले आईएमडी ने मानसून का पूर्वानुमान जारी कर दिया। इसके मुताबिक इस बार देश में मानसून, बीते वर्ष के समय से तीन दिन पहले 27 मई को पहुंचने की संभावना जताई गई।

 विभाग के भोपाल मुख्यालय के पुराने वैज्ञानिकों का कहना है कि अभी पूर्वानुमान के लायक भी मानसूनी हवाओं में हलचल नहीं है। ऐसे में धैर्य रखा जाना चाहिए। वातावरण में कई फैक्टर हैं जो कम,ज्यादा होते रहते हैं। जो मानसून पर असर करते हैं। पिछले वर्ष भी ऐसे ही पूर्वानुमान की संभावना जताई गई थी। और मानसून देर से बरसा था। और घोषणा में जल्दबाजी बरती गई। इस बार भी 13 मई को अंडमान पहुंचने की संभावना है और वातावरण में हलचल नहीं दिख रही। ऐसे में  देरी से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसा होने पर विभाग की छवि पर असर पड़ता है।

लोग यूं ही नहीं कहते - मौसम विभाग तो कुछ भी भविष्यवाणी करता है, जिस दिन बारिश होगी बताते हैं उस दिन धूप रहती है... आदि आदि। जहां तक  स्काईमेट की बात है तो यह कंपनी मौसम संबंधी डेटा, समाचार पत्रों, टेलीविजन, रेडियो और इंटरनेट को ग्राफिक्स पैकेजिंग, लाइव ऑन द स्पॉट और मौसम पूर्वानुमान समाधान, सेवाएं प्रदान करती है। स्काईमेट वेदर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, 25 मई, 2004 को निगमित एक गैर-सूचीबद्ध निजी लिमिटेड कंपनी है। यह नई दिल्ली, दिल्ली में स्थित है।

सिंदूर से सीएस को इमरजेंसी पॉवर

 भारत-पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष के बीच आने वाले दिनों की स्थिति पर केंद्रीय गृह मंत्रालय  (एमएचए) ने रसद भंडारण को लेकर भी कवायद शुरू कर दी है । सभी राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों, प्रशासकों को नागरिक सुरक्षा नियमों के तहत उन्हें प्रदान की गई आपातकालीन शक्तियों का उपयोग करने का निर्देश दिया है। इस नियम के तहत, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश नागरिक सुरक्षा नियम, 1968 की धारा 11 का उपयोग कर सकते हैं, जो एहतियाती उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए नागरिक सुरक्षा के अपने संबंधित निदेशकों को इमरजेंसी परचेस पॉवर, स्टॉक लिमिट पावर प्रदान करता है।

यह आदेश आवश्यक एहतियाती उपायों को कुशलतापूर्वक लागू करने के सरकार के प्रयासों के अनुरूप है। इससे तहत राज्य में खाद्यान्न, पेट्रोल डीजल  भंडारण के लिए स्टॉक लिमिट भी अधिसूचित किया जा सकता है। इससे पहले यह ऐसी स्थिति रूस यूक्रेन युद्ध के समय और उसके बाद कोरोना काल में भी भंडारण लिमिट तय किया गया था। ताकि बड़े कारोबारी, कोल्ड स्टोरेज वाले कालाबाजारी न कर सकें।

बस्तर में नलकालीन बौद्ध प्रतिमा

आज बुद्ध पूर्णिमा है। इस अवसर पर बस्तर के कोंडागांव जिले के एक ऐतिहासिक स्थल भोंगापाल की इस तस्वीर के बारे में भी जान लिया जाए। यहां नल वंश के स्वर्णिम काल की बौद्ध विरासत अपनी मौन उपस्थिति से इतिहास के गहरे अध्यायों को जीवंत करती है। घने जंगलों के बीच स्थित भोंगापाल न केवल पुरातात्विक दृष्टि से खास रहा है, बल्कि आध्यात्मिक चेतना का भी केंद्र था।

भोंगापाल को ‘भोगपुर’ का अपभ्रंश माना जाता है। यह पांचवीं-छठवीं सदी में नल वंश के अधीन एक समृद्ध नगर था। नल शासकों ने चौथी से आठवीं सदी तक दंडकारण्य क्षेत्र में शासन किया। उनका साम्राज्य आज के ओडिशा के कोरापुट-नवरंगपुर से लेकर छत्तीसगढ़ के बस्तर, राजिम-दुर्ग और महाराष्ट्र के गढ़चिरौली-नागपुर तक फैला था। राजा विलासतुंग, भवदत्तवर्मन, व्याघ्रराज जैसे शासकों के काल में कला, धर्म और स्थापत्य का अद्वितीय विकास हुआ।

भोंगापाल में नलकालीन ईंटों से बने चैत्य की खुदाई ने इसे बौद्ध धरोहरों की श्रेणी में स्थापित किया है। यहां से प्राप्त खंडित बुद्ध प्रतिमा, जो अब भी ध्यान मुद्रा में अपनी सौम्यता के साथ विद्यमान है। यह क्षेत्र शैव, वैष्णव, शाक्त और बौद्ध धर्मों का संगम रहा है, जहां सप्त मातृका मंदिर, शिव मंदिर और चैत्य एक साथ हैं।

दुर्भाग्यवश, आज यह प्रतिमा तांत्रिक कृत्यों के कारण क्षतिग्रस्त हो चुकी है। स्थानीय लोग वर्षों से इसके संरक्षण की मांग कर रहे हैं। यह बौद्ध प्रतिमा और पूरा स्थल सिर्फ छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में महत्वपूर्ण है।

 

दलाल तो जेल में, अफसर कहां हैं?

भारतमाला परियोजना के तहत अभनपुर तहसील के जमीन अधिग्रहण में सामने आए करोड़ों के मुआवजा घोटाले में एसीबी-ईओडब्ल्यू ने चार आरोपी दलालों को तो पकड़ लिया, लेकिन जिन सरकारी अधिकारियों की निगरानी में यह पूरा ताना बाना कथित रूप से ताना बुना गया, वे अब तक कानून की गिरफ्त से बाहर हैं।

जिन अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है, वे साधारण लोग नहीं, राजस्व विभाग के वे अधिकारी और कर्मचारी हैं, जिनके पास हर जमीन की नाप-जोख, दस्तावेजों की पुष्टि और मुआवजे की प्रक्रिया की आखिरी मंजूरी होती है। तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, राजस्व निरीक्षक रोशनलाल वर्मा, पटवारी दिनेश पटेल और अन्य पटवारियों के नाम एफआईआर में हैं, लेकिन एक भी गिरफ्त में नहीं है। ये अफसर, पटवारी सिस्टम से ज्यादा चालाक हैं या सिस्टम ही उन्हें बचा रहा है? विडंबना यह है कि ये सभी सरकारी कर्मचारी हैं। स्थायी पते पर पदस्थ, जिनका ट्रांसफर तक रिकॉर्ड में दर्ज होता है, फिर भी एसीबी उन्हें फरार बता रही है। एक-दो नहीं, बल्कि पूरा नेटवर्क जांच एजेंसी की पहुंच से बाहर है, क्या यह सिर्फ संयोग है? क्या ऐसी आशंका हो रही है कि पूछताछ में ये लोग अपने से भी बड़े अफसरों का नाम न उगल दें? ऐसी आशंका तो जताई भी जा रही है।

जैसे-जैसे समय गुजरेगा इन फरार अफसरों को समय मिल जाएगा, अग्रिम जमानत लेने का। अगर ऐसा हुआ तो जांच की धार कमजोर भी पड़ जाएगी। घोटाले के तार कितना ऊपर तक जुड़े हैं, यह तभी सामने आएगा जब अफसरों से कड़ाई से पूछताछ हो।

नाम एक गलतियां दो!

सरकार के बहुत सारे बोर्ड ऐसे रहते हैं जिनमें हिज्जे की बड़ी-बड़ी गलतियां रहती हैं। और आसपास से निकलने वाले बच्चे इन बोर्ड को पढक़र उसी तरह की भाषा सीखने लगते हैं। स्कूल आते-जाते पैदल बच्चे हर बोर्ड को पढ़ते चलते हैं। अब राजधानी रायपुर के साईंस कॉलेज का यह बोर्ड बताता है कि नागार्जुन नाम में ही किस तरह सरकारी बोर्ड में हिज्जे की दो-दो गलतियां हो सकती हैं। नाम एक, गलतियां दो!


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