राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : चुनाव में महिलाओं ने दिखाया दम
25-Feb-2025 4:40 PM
 राजपथ-जनपथ : चुनाव में महिलाओं ने दिखाया दम

चुनाव में महिलाओं ने दिखाया दम

पंचायत चुनाव में महिलाओं ने अपनी ताकत दिखाई है। प्रदेश में जिला पंचायत चुनाव में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकॉर्ड बेमेतरा की कल्पना योगेश तिवारी के नाम रहा, जो कि 21 हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीतकर आई हैं। इससे परे महासमुंद जिले की पिथौरा इलाके की आदिवासी समाज से ताल्लुक रखने वाली श्रीमती हेमकरण दीवान के नाम काफी चर्चा  हो रही है। वो 7वीं बार जनपद सदस्य निर्वाचित हुई हैं। खास बात यह है कि प्रदेश में अब तक कोई भी महिला या पुरूष 7 बार जनपद सदस्य नहीं बने हैं। 

दीवान परिवार अपने समाज में काफी लोकप्रिय है, और बिना खर्च किए चुनाव जीत जाते हैं। इससे परे विशेष पिछड़ी जनजाति की रत्नी मांझी की जीत लोगों की जुबान पर है। वो सरगुजा जिले के सीतापुर इलाके से जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने में कामयाब रही। पेशे से वकील रत्नी मांझी, कांग्रेस और भाजपा समर्थित प्रत्याशियों को चुनाव हराया।
 इन सबके बीच महासमुंद के पिथौरा इलाके की सिन्हा परिवार की तीन सदस्य अलग-अलग पदों पर चुनाव जीतने में सफल रहे हैं। भाजपा समर्थित रामदुलारी सिन्हा जिला पंचायत की सदस्य बनी हैं। रामदुलारी जनपद अध्यक्ष रह चुकी हैं। रामदुलारी की देवरानी सुमन सिन्हा जनपद सदस्य बनी हैं, और बहु सरपंच निर्वाचित हुई है। कुल मिलाकर त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अलग-अलग तबके की महिला प्रत्याशियों ने अपना दम खम दिखाया है। 

असर क्या होगा चौबीसों घंटे के कारोबार का?

देश में केवल कुछ गिने-चुने महानगर, जैसे बेंगलुरु, मुंबई और दिल्ली ही ऐसे हैं, जहां दुकानों को सातों दिन, चौबीसों घंटे खुला रखने का प्रयोग सफल रहा है। कई शहरों में कानून-व्यवस्था की स्थिति अभी भी चौबीसों घंटे बाजार संचालन के अनुकूल नहीं है। अब छत्तीसगढ़ में भी इस दिशा में पहल हो रही है। शुरुआत राजधानी रायपुर से हो सकती है। इसके अलावा कोरबा, भिलाई और बिलासपुर जैसे शहरों में भी देर रात तक चहल-पहल वाले कई इलाके मौजूद हैं।

सरकार का मानना है कि यदि दुकानें लंबे समय तक खुली रहेंगी, तो इससे व्यापार बढ़ेगा, कारोबारियों को लाभ होगा और ज्यादा लोगों को रोजगार मिलेगा। वहीं लोग अपने कार्यस्थल से छुट्टी पाने के बाद आराम से खरीदारी कर सकेंगे। बड़े शहरों में कपड़ों के शोरूम, इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर्स, किराना दुकानें, रेस्तरां, कैफे, सिनेमा हॉल और गेमिंग जोन पहले से ही देर रात तक खुले रहते हैं। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि शराब की दुकानों को इस नियम से छूट नहीं दी जाएगी, हालांकि बार के संदर्भ में कोई दिशा-निर्देश नहीं हैं। इस निर्णय को लागू करने के लिए 2017 के अधिनियम और 2021 में जोड़े गए नियमों को आधार बनाया गया है। सरकार को उम्मीद है कि व्यावसायिक गतिविधियों में तेजी आने से राज्य की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

इस फैसले में दुकानों के कर्मचारियों की चिंता जाहिर की गई है। प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक कर्मचारी को अनिवार्य साप्ताहिक अवकाश मिलेगा और उनसे प्रतिदिन 8 घंटे से अधिक कार्य नहीं लिया जा सकेगा। लेकिन सच्चाई यह है कि अभी भी कई दुकानें रविवार या साप्ताहिक अवकाश के दिन खुली रहती हैं, जहां बिना अवकाश कर्मचारियों से काम लिया जाता है। दुकानें 10 से 12 घंटे तक खुली रहती हैं। श्रमिकों के लिए निर्धारित 8 घंटे की कार्य अवधि प्रभावी रूप से लागू नहीं है। सच्चाई यह भी है कि यहां कार्यरत कर्मचारियों को मिलने वाला मासिक वेतन,  मनरेगा की न्यूनतम मजदूरी से भी कम होता है।

अब जब दुकानें चौबीसों घंटे खुली रखने की योजना बनाई जा रही है, तो यह प्रश्न उठता है कि क्या इसके अनुपात में कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी, या फिर मौजूदा कर्मचारियों से ही ओवरटाइम लेकर काम चलाया जाएगा? क्या व्यापार में वृद्धि का लाभ कर्मचारियों को सम्मानजनक वेतन वृद्धि के रूप में मिलेगा? क्या श्रम विभाग इस बड़े फैसले को सही तरीके से लागू करने और इसका कड़ाई से पालन कराने में सक्षम है?

कीचड़ भरा जलकुंड

बारनवापारा अभयारण्य में गर्मी के दौरान जलकुंडों में पानी भरना जरूरी था, ताकि भालू और बाइसन जैसे वन्यजीव निर्बाध रूप से पानी पी सकें। लेकिन अब जलकुंडों में पानी के बजाय कीचड़ सूख रहा है। 

ऐसा प्रतीत होता है कि प्रवासी बाघ के जाने के बाद सरकार का ध्यान इस अभयारण्य से हट गया है या फिर फंड की कमी के कारण जरूरी सुविधाएं उपेक्षित हो रही हैं। बरसों की मेहनत से विकसित हुआ छत्तीसगढ़ का यह अद्भुत अभयारण्य सैलानियों को आकर्षित करता रहा है। यह अब सरकारी उदासीनता का शिकार बनता जा रहा है। यदि समय रहते आवश्यक कदम नहीं उठाए गए, तो इसकी पुरानी पहचान मिटती चली जाएगी।  

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