राजपथ - जनपथ

हत्यारे सिंहदेव-विरोधी
सूरजपुर में दोहरे हत्याकांड में एनएसयूआई पदाधिकारियों की संलिप्तता के खुलासे के बाद कांग्रेस के अंदरखाने में हलचल मची है। यह बात सामने आई है कि सरगुजा संभाग में अपराधियों का एनएसयूआई में बोलबाला रहा है। अपराधी प्रवृत्ति के युवाओं को एनएसयूआई ने पद दिए गए। खास बात यह है कि स्थानीय कांग्रेस संगठन के पदाधिकारी पिछले वर्षों में इस पर आपत्ति कर प्रदेश नेतृत्व को अवगत कराते रहे हैं। मगर प्रदेश संगठन ने कुछ नहीं किया।
एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष नीरज पाण्डेय, सरगुजा के ही रहने वाले हैं, और वे पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के विरोधी खेमे के माने जाते हैं। सूरजपुर में प्रधान आरक्षक की पत्नी और पुत्री की हत्या के मामले में जिन पांच युवकों को गिरफ्तार किया है, उनमें दो एनएसयूआई के पदाधिकारी जिलाध्यक्ष चंद्रकांत चौधरी, और कुलदीप साहू हैं। कुलदीप दोहरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी हैं।
कुलदीप के हत्याकांड में शामिल होने की बात सामने आई, तो एनएसयूआई के पदाधिकारियों ने उनसे पल्ला झाड़ लिया था। और तो और जिलाध्यक्ष चंद्रकांत चौधरी ने बकायदा वीडियो जारी कर कुलदीप साहू का एनएसयूआई से कोई संबंध होने से इंकार किया। पुलिस जांच में यह बात साफ हुई कि हत्याकांड में कुलदीप के साथ-साथ चंद्रकांत चौधरी भी था। इसके बाद आरोपियों के कांग्रेस नेताओं के साथ तस्वीरें भी वायरल हुई।
भिलाई विधायक देवेंद्र यादव, एनएसयूआई के अध्यक्ष नीरज पाण्डेय के साथ कई तस्वीर वायरल हुई है, जो यह बताने के लिए काफी है कि आरोपियों के रिश्ते कांग्रेस के नेताओं से कैसे हैं। सूरजपुर जिला कांग्रेस की अध्यक्ष भगवती राजवाड़े ने दो साल पहले पत्र लिखकर चंद्रकांत चौधरी के आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने की जानकारी दी थी। उन्हें पद से हटाने की मांग की थी। यह पत्र सोनिया गांधी, और राहुल गांधी व प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन प्रभारी पीएल पुनिया को भेजा था। उन्होंने बताया था कि चंद्रकांत चौधरी कोयला चोरी से लेकर मारपीट, और नशाखोरी जैसी गतिविधियों में लिप्त है, और उसकी नियुक्ति से कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ता अपमानित महसूस कर रहे हैं। मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया। अब पार्टी के नेताओं को जवाब देते नहीं बन रहा है।
उद्घाटन का पहला दिन फीका रहा
राष्ट्रीय वन खेल उत्सव का बुधवार शाम श्रीगणेश हो गया। कल केवल उद्घाटन , मार्च पास्ट सलामी, मशाल प्रज्जवलन, कबूतर उड़ाए गए। आज से मैदान में उतरने से पहले खिलाडिय़ों की मेल-मुलाकात देर रात डिनर तक चलती रहीं। जहां डिनर प्लेट के स्वाद को लेकर नाक भौं सिकुड़ते भी रहे। डिनर जमीन पर बिठाकर कराया गया।
केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव आए ही नहीं। उद्घाटन समारोह के दौरान कुछ अतिथियों में नाराजगी सुनने को मिली। तीनों ही विधायक राजेश मूणत को उद्घाटन से कुछ देर पहले निमंत्रण, सांसद बृजमोहन अग्रवाल को देर रात अचानक निमंत्रित किए जाने की जानकारी मिली है। बताया तो यह भी गया है कि प्रिंटेड कार्ड में कोटा इलाके के विधायक का नाम ही नहीं था। आनन फानन में छपवा कर दिया गया। हालांकि इन सभी के नाम ई-कार्ड में प्रकाशित थे। ठाकरे परिसर में तो थोक के भाव में पांच सौ कार्ड बिना नाम लिखे छोड़ आए। यह कार्ड बांटने के लिए अधिकृत किए गए अधिकारियों ने ही बताया । और पीसीसीएफ स्वयं संबंधितों को आड़े हाथ ले चुके हैं। रायपुर वन मंडल को मैनेजमेंट से दूर रखा गया। डीएफओ, एसडीओ रेंजर फूफा बनकर तालियां बजाते रहे। ऐसे ही नाराज लोगों ने बताया कि छत्तीसगढ़ वन बल के 9000 वर्दीधारी कर्मी भी उपेक्षित ही। स्वाभाविक भी है कि ये कार्यक्रम को फीका ही बताएंगे। और इसे खारिज भी नहीं किया जा सकता है। भीड़ के हिसाब के 50 फीसदी ही थी। सूर्यकुमार यादव का भी आकर्षण भीड़ जुटा नहीं पाई। क्योंकि वह पुलिस सुरक्षा और बड़े बड़े वन अफसरों से घिरे रहे। देश के 50 आईएफएस को वीआईपी का दर्जा देकर वन कर्मियों को वालंटियर की भूमिका में इन अधिकारी की सेवा में कॉल बॉय की तरह रखा गया। इतना ही नहीं देश के कई दिग्गज आईएफएस नहीं आए। जो आए हैं उन्हें नॉर्मल ट्रैक-सूट के बजाए रेमेंड के सूट दिए गए। जो अगले चार दिन तीन हजार लोगों की भीड़ में उन्हें नौकरशाह साबित करता ड्रेस कोड होगा।
नई जनरेशन के अपराध
छत्तीसगढ़ में दो बड़े अपराध, रंगदारी वसूली और महादेव सट्टा ऐप, चर्चा व चिंता का विषय बने हुए हैं। शूटर गैंग के अमन साहू को हाल ही में रायपुर पुलिस द्वारा भारी सुरक्षा इंतजामों के साथ झारखंड से गिरफ्तार कर लाया गया है। उनके गुर्गों ने बीते दिनों एक बड़े बिल्डर पर गोलीबारी की और दूसरे बिल्डर को धमकी दी थी। करीब एक दर्जन अन्य कारोबारी उनकी हिट लिस्ट में बताये जा रहे हैं। यह गैंग सिर्फ छत्तीसगढ़ या देश तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका नेटवर्क मलेशिया, कनाडा, और पुर्तगाल जैसे देशों में भी फैला हुआ है। यहां तक कि जेल में बंद अपराधी भी उनके लिए काम कर रहे हैं।
दूसरी ओर, महादेव सट्टा ऐप का मामला है। दुर्ग से निकले सरगना सौरभ चंद्राकर ने दुबई में बैठकर दुनिया भर में साम्राज्य फैला लिया। गिरफ्तारी के बाद भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन उसका नेटवर्क एक तरफ कई देशों में है तो छत्तीसगढ़ के दूरदराज के गांवों तक भी फैला हुआ है। जहां तक सडक़ भी ठीक से नहीं पहुंची, वहां से ऑनलाइन सट्टेबाजी ऑपरेट की जा रही है। इसमें स्थानीय मजदूरों, बेरोजगारों के बैंक खातों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे आसानी से पैसों का लेन-देन हो रहा है। रंगदारी की रकम भी कुछ ही सेकंड में प्लास्टिक-वर्चुअल मनी या हवाला के ज़रिए देश से बाहर भेजी जा रही है।
40-50 साल पहले सट्टेबाजी के तरीके अलग थे, जैसे रतन खत्री और कल्याण जी भाई के समय में नगद पैसे और पर्चियों का लेन-देन होता था। रंगदारी की रकम किसी अटैची में भरकर बताए गए ठिकाने पर छोडऩा होता था। आज तकनीक ने अपराधियों के काम को और आसान बना दिया है। 4जी और 5जी डेटा और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन ने न सिर्फ आम जनता की जिंदगी को सरल बनाया है, बल्कि अपराधियों को भी अपने अवैध धंधे को बढ़ाने का भरपूर मौका दिया है।
हाल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑनलाइन ठगी का वार्षिक कारोबार 15 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह सवाल उठता है कि अगर इंटरनेट की इतनी आसान पहुंच नहीं होती, तो क्या ये सब मुमकिन होता? अपराधी अब पहले से कहीं ज्यादा स्मार्ट और संगठित हो गए हैं, पर क्या जांच एजेंसियां, खासकर अपनी पुलिस उतनी ही तेजी से अपडेट हो रही है?
ऐसा बिहार में ही होता है..
बिहार के भागलपुर में एक शख्स को सांप ने काटा तो उसने बिना वक्त गंवाए उसके गर्दन को दबोच लिया और उसे लेकर अस्पताल पहुंच गया। एक तरफ वह दर्द से कराह रहा था, दूसरी तरफ उसने सांप को जकड़ रखा था। अस्पताल के स्टाफ और डॉक्टर मरीज का इलाज कैसे करें, इस चिंता में डूब गए। वह सांप से बदला लेना चाहता था। बाद में लोगों ने समझाया कि पहले अपना इलाज कराओ। फिर उस सांप को ग्रामीण की चंगुल से छुड़ाकर जंगल में सुरक्षित छोड़ दिया गया। लोगों ने कहा कि इसमें सांप का क्या कसूर जो उससे बदला लोगे, उसने तो अपने स्वभाव के अनुसार ही काम किया है। तुम ही थोड़ी इंसानियत दिखाओ। अच्छी बात यह रही की सांप काटने के बाद यह व्यक्ति किसी झाड़ फूंक के चक्कर में नहीं पड़ा।
न स्कूल भवन बना न शिक्षक मिले
हाईकोर्ट में इन दिनों स्कूली बच्चों के आंदोलन पर सुनवाई चल रही है। रायपुर के प्रयास विद्यालय के छात्रों ने सडक़ पर उतरकर प्रदर्शन किया, राजनांदगांव के डीईओ ने टीचर्स की मांग करने वाली छात्राओं को फटकारा तो न्यायालय ने इसे स्वत: संज्ञान याचिका के रूप में दर्ज किया। हाईकोर्ट ने तल्ख लहजे में सरकार से पूछा कि बच्चों से पढ़ाई कराना चाहते हैं या नेतागिरी। अपने जवाब में शिक्षा विभाग ने स्वीकार किया कि शिक्षक के हजारों पद खाली है। अब अगली सुनवाई में हाईकोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए कहा है कि सरकार किस तरह से इस कमी को दूर करने जा रही है, बताए। हाईकोर्ट में सरकार क्या जवाब देगी यह तो नहीं मालूम लेकिन शैक्षणिक सत्र के तीन माह से अधिक बीत चुके हैं, जगह-जगह सडक़ों पर छात्र-छात्राओं का उतरना जारी है। बालोद जिले के पीपरछेड़ी हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्र-छात्राओं ने गेट पर ताला जड़ दिया। कलेक्टर को बुलाने की मांग कर रहे थे। एसडीएम पहुंची और उन्होंने किसी तरह से दो शिक्षकों की व्यवस्था करने की बात कही, लेकिन यहां 13 शिक्षकों की जरूरत है। मार्च 2023 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बालोद जिले के दौरे पर थे तो पीपरछेड़ी के छात्र-छात्राओं ने उनके काफिले को रोका था। मुख्यमंत्री के साथ उन्होंने सेल्फी खिंचवाई थी। उसे सोशल मीडिया पर खुद बघेल ने शेयर किया था और बताया था कि बच्चों की मांग पर उन्होंने नए हायर सेकेंडरी भवन के लिए 1.21 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी है। पर कांग्रेस सरकार के रहते उसका टेंडर जारी ही नहीं हुआ। नई सरकार बनने के बाद भी उसका कुछ पता नहीं है।
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