राजपथ - जनपथ

पढ़ाई-लिखाई की अब कितनी इज्जत रह गई है, यह इस सरकारी इश्तहार से साफ है।
मिल गया खर्च का हिसाब
बीते एक माह से चल रहा उहापोह खत्म हुआ। राष्ट्रीय वन खेल उत्सव के आयोजन के खर्च का हिसाब मिल गया। यह और किसी ने नहीं स्वयं मुख्य आयोजक पीसीसीएफ ने ही बताया है। उद्घाटन से पहले बुधवार को औपचारिक पत्रकार वार्ता हुई। इस पर पत्रकारों के ताबड़तोड़ प्रश्न हुए। यह पूछा गया कि चार दिन के इस आयोजन में कितने खर्च होंगे? पीसीसीएफ ने कहा- इसके लिए राज्य सरकार के पास 7.5 करोड़ का बजट है जबकि केंद्र सरकार हमें 1.5 करोड़ रुपए देगी।
खिलाडिय़ों को कितने रुपये दिये जाएँगे? खिलाडिय़ों पर, हर दिन 16 हजार 500 रुपये खर्च होंगे, ये अलग से देय होगा। फिर प्रश्न हुआ- सूर्यकुमार और मनु भाकर कितने रुपए ले रहे हैं? पीसीसीएफ ने कहा उन्हें हम नहीं स्पॉन्सर पैसे देंगे। कितना देे रहे ये हमें नहीं पता। अब विभाग के असंतुष्ट या आयोजन की मुख्य धारा या टीम से बाहर अधिकारी कर्मचारी यह खर्च मानने को तैयार नहीं। उनका भी तर्क सही है। महंगे रिजॉर्ट, थ्री से फाइव स्टार होटल में डाइन-वाइन की आवासीय व्यवस्था, प्लेन से आना जाना, होटल से मैदान तक एसी कारें, महंगे किट नए खेल उपकरण इतने कम बजट में कैसे हो जाएगा। वह भी महंगाई के इस दौर में। अफसरों का कहना है कि इसी बजट में पूरा करेंगे। नहीं तो कैम्पा फंड है ही।
खर्च दूसरों से करवाने के तरीके
वैसे कोई भी सरकारी आयोजन सभी विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों और उनके संसाधनों की संयुक्त हिस्सेदारी से होते हैं। मुख्य आयोजक विभाग प्रमुख अन्य विभागों से मदद मांगते भी हैं। फिर न जाने क्यों मुख्य आयोजक विभाग के आयोजन में 50-100 करोड़ तक खर्च हो जाया करते हैं। जबकि होना उल्टा चाहिए,बड़ी रकम बचनी चाहिए । ऐसी कभी नहीं होता।
उल्टा तय बजट आबंटन से ड्योढ़ा ही खर्च हो जाते हैं । राष्ट्रीय वन खेल उत्सव के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। स्टेडियम खेल विभाग से मिल गया। और यूटीडी, रेलवे का डब्लूआरएस मैदान, इंटरनेशनल स्टेडियम, छत्तीसगढ़ क्लब, वीआईपी क्लब, सप्रे शाला के साथ आरकेसी, केपीएस, कांगेर वैली जैसे बड़े निजी स्कूलों ने तो साहबों के कॉल करने पर ही अपने टेनिस, बैडमिंटन कोर्ट, मैदान स्वीमिंग पूल दे दिए हैं।
सरकारी आयोजन हैं किस स्कूल की हिम्मत होगी किराया मांगने की। और अब रायपुर डीएफओ ने निगम आयुक्त से पांच दिनों के लिए साइंस कॉलेज मैदान में पानी टैंकर, वेस्ट निकासी वाहन, सेंट्रल किचन क्षेत्र में रोजाना ब्लीचिंग और डी-फागिंग, मोबाइल टॉयलेट वैन की व्यवस्था करने कहा है। सीएमएचओ से एंबुलेंस, दवाइयों के साथ डॉक्टरों की टीम तैनात करने पत्र भेजा है। एक और पत्र जिला अग्निशमन अधिकारी से फायर ब्रिगेड की व्यवस्था करने लिखा है। इसमें आग्रह मिश्रित चेतावनी दी गई कि इन कार्यक्रमों में केंद्रीय मंत्री,सीएम और राज्य के सभी मंत्री रहेंगे इसलिए व्यवस्था अनिवार्य होगी। ताकि ढिलाई न बरती जाए। अब इन महकमे का अमला तो अपने दैनिक वेतन पर ही ड्यूटी समझ कर वहां तैनात होगा ही। ऐसे में इनकी कास्टिंग तो बच ही गई न। इसका अंतर विभागीय पेमेंट होने से रहा। और यह रकम फिर कहां जाएगी। और जब सेंट्रल किचन से खानपान परिवहन का पूरा कांट्रेक्ट एक्सिस कम्युनिकेशन नाम की दिल्ली की फर्म को दिया गया है तो वेस्ट निष्पादन, सफाई की व्यवस्था निगम से क्यों? इसी फर्म को फ्लेक्स, बैनर, आमंत्रण कॉर्ड प्रवेश पत्र, आई कार्ड बनाने का भी टेंडर दिया गया है।
विभाग के पास 200 से अधिक कारें होने, 65 नई खरीदने के बाद भी खिलाडिय़ों के लिए 4 सौ से अधिक वाहन किराए पर लिए गए हैं। इतना ही नहीं पांच दिनों की पूरी रसोई एनएमडीसी द्वारा प्रायोजित है। तो वन विभाग के खर्च में नहीं जुडऩा चाहिए, लेकिन बिल बनेगा और वह करोड़ों रुपए कहां जाएंगे हमें नहीं अफसरों को पता होगा।
आखिरी दिनों में मंत्रियों के चक्कर
झारखंड चुनाव में छत्तीसगढ़ के भाजपा नेता जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। दोनों डिप्टी सीएम अरूण साव, विजय शर्मा, और वित्त मंत्री ओपी चौधरी के साथ-साथ करीब 60 नेताओं को प्रचार की कमान सौंपी गई है। इनमें केन्द्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू भी हैं। पिछले दिनों भाजपा के चुनाव प्रभारी केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने रांची में बैठक बुलाई, तो छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री पिछले दिनों एक साथ फ्लाइट से वहां पहुंचे थे।
छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी नितिन नबीन चुनाव निपटने तक झारखंड में रहेंगे, और यहां के नेताओं से फीडबैक भी लेंगे। शिवराज सिंह चौहान ने अपनी बैठक में विधानसभावार क्षेत्र की स्थिति की समीक्षा की, और टिकट के लिए मजबूत दावेदारों के नाम भी लिए हैं। कुछ लोग बताते हैं कि झारखंड में इस बार भाजपा जितनी मेहनत कर रही है, उतनी पहले कभी नहीं हुई है। झारखंड से सटे सरगुजा के छोटे-बड़े नेताओं को स्थानीय कार्यकर्ताओं के सहयोग के लिए भेजा गया है। छत्तीसगढ़ में भी रायपुर दक्षिण सीट पर चुनाव हो रहे हैं, लेकिन यहां बृजमोहन अग्रवाल ही सबकुछ देखेंगे। आखिरी के दिनों में मंत्री जरूर वार्डों का चक्कर लगा सकते हैैं।
पकने को तैयार फसल
मॉनसून विदा ले चुका है। धान की बालियां बस पकने लगी हैं। कुछ दिन बाद फसल तैयार हो जाएगी। मवेशियों और बंदरों से बचाने के लिए इसकी हिफाजत करना जरूरी है, वरना मेहनत पर पानी फिर जाएगा। खेत पर तैयार झोपड़ी के साथ महिला और उनके बच्चों के साथ यह तस्वीर प्राण चड्डा के सोशल मीडिया पेज से है।
(rajpathjanpath@gmail.com)