राजपथ - जनपथ
चार घंटे की सांस के 20 रुपए
राजीव स्मृति वन जिसे विभाग ने हाल ही में वन शहीद पार्क का नाम दिया है वहां अब मॉर्निंग वॉक के लिए भी शुल्क लगा दिया है। नौ सौ करोड़ से अधिक के बजट वाले विभाग को क्या इन दिनों आय की कमी हो गई है। कि 10-20 मॉर्निंग वॉकर से महीना 500 रूपए लेकर बजट की पूर्ति करनी पड़ेगी। शुल्क वसूली का यह आदेश कल से लागू हो गया है। और अब इस पार्क में सुबह के चार घंटे सांस लेने से पहले 20 रुपए रोज के देने होंगे। अरण्य भवन में चर्चा है कि यह शुल्क, विभाग के मामलों में कोर्ट कचहरी से परेशान अफसरों की सोच है। उन्हे परेशान करने वाले एक वन्य प्राणी पर्यावरण संरक्षक को रोकने के लिए लगाया है। लेकिन इससे, पार्क जाने वाले और दर्जन भर लोग परेशान किए जा रहे हैं। वैसे भी वन अफसर समय-समय पर अधिकारी विचित्र विचित्र नियम आम लोगों के लिये लागू करते रहे हैं।
आम जन को पर्यावरण की दुहाई देने वाले अधिकारी पूरे पार्क का वातावरण खराब करने में कोई कसर नहीं छोड़ते सरकारी अधिकारियों और उनके परिचित समय समय पर यहां पार्क के अंदर रात्रिकालीन पार्टियां करते हैं लेकिन रायपुर के डीएफओ, सीसीएफ को मॉर्निंग वॉकर्स से पार्क खराब होने की चिंता हैं। उन्हें शायद याद नहीं हो कि कुछ महीने पहले एक होली मिलन की विभागीय पार्टी में नाच गाने के साथ साथ रातभर जमकर शराबखोरी हुई थी।
आम लोगों के लिए जगह जगह बोर्ड लगाकर लिख गया है कि, मोबाइल की आवाज कम रखे क्योंकि पार्क में चहचहाने वाले पक्षियों को तकलीफ़ होती है। एक तरफ सरकार के ही दूसरे विभाग शहर के पार्को में बुजुर्गों के बापू की कुटिया बनवाकर उनके लिए गीत संगीत, योग क्लास, इंडोर खेल की व्यवस्था कर रहा है। नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए व्यायाम के उपकरण लगवा रहा है वही नया पदस्थ अधिकारी पार्क में आता है दो चार नये मनमाने नियम आम जनता के लिये मौखिक रूप से बना कर अधीनस्थ कर्मचारियों को अमल करने के निर्देश देकर चले जाते। और छोटे कर्मचारी इसे लागू करने की मजबूरी में जनता उलझते रहते हैं। मॉर्निंग वाकर्स का कहना है कि अफसरशाही नहीं चाहती कि आम नागरिक बच्चे स्वस्थ और प्रसन्न रहे ।
भर्तियों का मुद्दा जारी है
हरियाणा विधानसभा चुनाव नतीजों की खूब चर्चा हो रही है। छत्तीसगढ़ के भी कई नेता हरियाणा चुनाव प्रचार में गए थे। वहां भाजपा की जीत के जो कारण गिनाए जा रहे हैं, उनमें भर्ती परीक्षाओं में पारदर्शिता ने युवाओं को काफी प्रभावित किया है।
शिक्षक भर्ती घोटाले में हरियाणा के तत्कालीन सीएम ओमप्रकाश चौटाला को कैद भी हुई थी। कांग्रेस सरकार में भी भर्तियों में लेनदेन की बात सामने आते रही है। हरियाणा में बेरोजगारी दर देश के बाकी राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा है। ऐसे में बेरोजगारों को रोजगार देने का मुद्दा हावी रहा।
छत्तीसगढ़ में भी पीएससी भर्ती घोटाले की वजह से भूपेश सरकार की साख खराब हुई थी, और सरकार की वापसी नहीं हो पाई। इससे परे हरियाणा भाजपा ने पिछले 10 साल में बिना पर्ची, और बिना खर्ची के नौकरी देने को अपनी उपलब्धि के रूप में जोर-शोर से प्रचारित किया था। और युवाओं ने इस पर मुहर भी लगाई।
दूसरी तरफ, छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय सरकार के बनने के बाद अलग-अलग विभागों में भर्ती घोटाले की जांच चल रही है, लेकिन गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार लोगों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। संस्कृति विभाग में भर्ती में लेनदेन से जुड़े ऑडियो सोशल मीडिया में चल रहे हैं, लेकिन जांच एजेंसियों ने अब तक सुध नहीं ली है। और तो और जिन अफसरों पर गड़बड़ी का आरोप है, वो पहले से ज्यादा ताकतवर हो गए हैं।
राज्य की भूपेश सरकार ने दो बड़ी गलती की थी। पहला मनरेगा घोटाला के बड़े आरोपी दागी टामन सिंह सोनवानी को पीएससी चेयरमैन बना दिया था। यही नहीं, नान घोटाले के आरोपी डॉ. आलोक शुक्ला, जो अब भी जमानत पर हैं, उन्हें व्यापमं का चेयरमैन बनाकर भर्ती कराने का दायित्व सौंप दिया था। इसके चलते भर्तियों में गड़बड़ी उजागर हुई, तो भूपेश सरकार बचाव नहीं कर पाई। साय सरकार, भूपेश सरकार की गलतियों से सबक लेती है या नहीं, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
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