राजपथ - जनपथ

कौन बनेगा .... ?
पीडब्ल्यूडी में नए ईएनसी की खोज चल रही है। मौजूदा ईएनसी केके पिपरी जनवरी में रिटायर हो रहे हैं। ऐसे में अभी से उनकी जगह नई नियुक्ति करने पर चर्चा चल रही है। कहा तो यह भी जा रहा है कि अभी नई नियुक्ति के मसले पर सरकार में एकमत नहीं है।
नए ईएनसी की नियुक्ति की चर्चा की वजह भी है। हाईकोर्ट ने हाल ही में सडक़ों की दुर्दशा पर सरकार को फटकार भी लगाई है। डिप्टी सीएम अरुण साव ने अफसरों को चेताया है कि यदि सडक़ों की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ, तो वो जिम्मेदार लोगों को वीआरएस थमा देंगे। साव ने नवम्बर तक सडक़ों को चकाचक करने की डेडलाइन तय कर दी है।
दूसरी तरफ, नए ईएनसी की नियुक्ति के मसले पर दो-तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। नए ईएनसी के लिए जिन दो नामों की चर्चा चल रही है उनमें चीफ इंजीनियर ज्ञानेश्वर कश्यप, और एसएस कोरी हैं। कोरी, कश्यप से सीनियर हैं। एक चर्चा के मुताबिक कोरी ईएनसी बनने के इच्छुक नहीं है। ऐसे में ज्ञानेश्वर कश्यप का नाम मजबूती से उभरा है। भाजपा के कई प्रमुख नेता कश्यप को ईएनसी बनाने के पक्ष में हैं। जल्द ही नई नियुक्ति के मसले पर फैसला हो सकता है।
सेक्रेटेरिएट बिजनेस रूल के इतर
मंत्रालय में उप सचिव,अवर सचिव पद पर पदस्थ राप्रसे अफसर सचिवालयीन कार्यप्रणाली (सेक्रेटेरिएट बिजनेस रूल) का पालन नहीं कर रहे- यह आरोप लगाया है मंत्रालय कर्मचारी अधिकारी संघ ने।
इस आरोप पर संघ के एक-एक पदाधिकारी और विभागों में कार्य कर रहे कर्मचारियों के पास सबूत भी है। इन अफसरों की फाइलों में नोटिंग हैं। मैं कह रहा हूं न, फाइल में यह लिखो जैसी चेतावनियों से लिखवाए गए आदेश। और फिर उसके बाद हाईकोर्ट के चक्कर। और सरकार की कोर्ट में किरकिरी, फटकार के साथ अवमानना के मामले अलग। यदि कोई कर्मचारी न करें, तो उस पर काम न आने का आरोप लगा कर हटा देने की भी शिकायत है। इसके बाद ये राप्रसे अफसर अपने किसी जिला कार्यालय से कर्मचारी वह भी दैवेभो को पदस्थ कर मनमाने आदेश करवा रहे।
गृह, वित्त, राजस्व जैसे कई अहम विभागों में दैवेभो कई गंभीर फाइलें डील कर रहे। इनमें विभागीय जांच के मामले भी हैं। ये लोग, साहब की हर बात, नियमित होने की उम्मीद के साथ चल रही नौकरी भी चली न जाए के डर से करते हैं जो उन्हें नहीं करना चाहिए। इसकी आड़ में पेटीएम, फोन-पे भीम एप से कमाई अलग। ऐसे दर्जनों मामलों के मंत्रालय कर्मचारी संघ ने सबूत जुटाए हैं।
दरअसल इनमें से कुछ अफसर कमाई वाले फील्ड से हटाए जाने के फ्रस्ट्रेशन में करते हैं तो कुछ मंत्री विधायकों से राजनीतिक पहुंच वाले स्वयं को किसी आईएएस से कम नहीं मानते। ऐसे ही अफसरों की वजह से उनके आका मंत्री विधायक भी फंस जाते हैं।
संघ का कहना है कि राप्रसे के अफसरों ने अपनी कार्यप्रणाली न सुधारी तो ऐसी नस्तियां मुख्य सचिव को सौंप देंगे।
मालवाहक में फिर गई मजदूर की जान
इसी साल मई महीने में एक बड़ी दुर्घटना हुई थी, जिसमें तेंदूपत्ता मजदूरों से भरी पिकअप 20 फीट गहरी खाई में गिर गई थी। हादसे में 19 लोगों की मौत हो गई थी। घटना के बाद पीएचक्यू से आदेश निकला, जिसके बाद सभी पुलिस थानों में चेकिंग अभियान चलाया गया। जो मालवाहक सवारी ले जाते दिख रहे थे उनकी धरपकड़ हो रही थी और चालकों पर जुर्माना किया गया। पर जैसे ही लोगों का ध्यान उस घटना से हटा, पुलिस ने भी चेकिंग बंद कर दी। उसके बाद दुर्घटनाओं का भी सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। हताहतों की संख्या कम होने के कारण पूरे प्रदेश को ऐसी घटनाएं नहीं झकझोरती। कल ही अभनपुर के पास धनौद में फिर एक पिकअप पलट गई जिसमें एक मजदूर को जान गंवानी पड़ी और करीब एक दर्जन लोग घायल हो गए। घटना राजधानी के पास की ही है। इन मजदूरों को काम कराने के लिए नवा रायपुर लाया जा रहा था।
बारिश थमने के बाद निर्माण कार्यो में तेजी आने के चलते मजदूरों को गांव से शहर, कस्बों में लाने के लिए प्राय: मालवाहकों का ही इस्तेमाल किया जा रहा है। इस समय नवरात्रि का पर्व भी चल रहा है। देवी दर्शन के लिए गांव के ज्यादा लोग एक साथ निकलते हैं तो किफायती किराये वाली पिकअप या मिनीट्रक का ही बंदोबस्त कर रहे हैं। प्राय: दुर्घटनाओं का कारण क्षमता से ज्यादा सवारी भरना, बिना ड्राइविंग सीखे ही स्टेयरिंग थाम लेना और नशे की हालत में गाड़ी चलाना होता है। थानों के सामने से गाडिय़ां निकल रही हैं, पर पुलिस इतना भी नहीं कर पा रही है कि इन दो चार चीजों की चेकिंग कर ले।
स्कूल में बाल मजदूर
पढऩे के लिए स्कूल गए बच्चों से झाड़ू लगवाने, ईंट उठाने, बर्तन धुलवाने के बाद अब भारी-भरकम बोझ उठाने का काम भी लिया जा रहा है। ये महज 8-9 साल के प्रायमरी स्कूल के बच्चे हैं, जिन्हें स्कूल की प्रधान पाठिका ने राशन दुकान से मध्यान्ह भोजन के लिए चावल ढोकर लाने का काम दिया है। दो बच्चे पूरी ताकत लगाकर आदेश का पालन करते हुए वायरल वीडियो में दिख रहे हैं। प्रधान पाठिका ने इनकार नहीं किया है कि यह घटना हुई है। बस, बचाव में यह कह रही हैं कि वीडियो पुराना है और बच्चों ने अपनी मर्जी से यह काम किया। यह दृश्य बिलासपुर जिले के मस्तूरी ब्लॉक के प्राथमिक शाला सोन का है।