राजपथ - जनपथ
किसका नंबर आएगा
केंद्रीय गृह मंत्रालय इसी माह 2004 बैच के आईपीएस अफसरों को केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए इंपैनल करने जा रहा है। इस बैच के अफसर आईजी हो चुके हैं।
इस बैच में छत्तीसगढ़ से छह अफसर हैं, देखना यह है कि इंपैनलमेंट के साथ नियुक्ति को लेकर किसकी लॉटरी लगती है। इनमें अंकित गर्ग, अजय यादव, बीएन मीणा, नेहा चंपावत, अभिषेक पाठक, संजीव शुक्ला शामिल हैं। पाठक इस समय बीएसएफ में तैनात हैं तो गर्ग सरगुजा और शुक्ला बिलासपुर रेंज आईजी हैं। सरकार से तालमेल भी ठीक है। नेहा चंपावत सालभर के भीतर ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटी है। मीणा, छह सात वर्ष पूर्व केंद्र में रह चुके हैं। दोबारा नियुक्त न करने का कोई प्रावधान नहीं हैं।
अजय यादव एक बार भी नहीं गए। राजनीति और सरकार के समय काल की परिस्थिति को देखते हुए इनमें से कौन-कौन प्रयास करते हैं। यह देखने वाली बात होगी। और फिर केंद्रीय एजेंसियों में उतने पद खाली भी होने चाहिए, क्योंकि इंपैनलमेंट तो देशभर के अफसरों का होना है। चाहे आईएएस हो या आईपीएस, अपना सर्विस प्रोफाइल बढ़ाने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहता हैं। एक बार केंद्र में काम करने के अनुभव मात्र से, भविष्य में एडिशनल सेक्रेटरी या एडीजी,डीजी जैसे पदों पर नियुक्त के लिए सीआर मजबूत हो जाता है। इंपैनलमेंट और नियुक्ति के बीच कई कारण काम करते हैं। वैसे बस्तर रेंज के आईजी पी.सुंदरराज, एसपी डी. श्रवण बीते छ: माह से अपने आवेदन पर डेपुटेशन का इंतजार कर रहे हैं। केंद्र के नक्सल उन्मूलन योजना को देखते हुए उनके दिल्ली जाने का संभावना कम ही है।
न्याय यात्रा से बढ़ा उत्साह
कांग्रेस की न्याय यात्रा के समापन मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आने की चर्चा थी, लेकिन वो स्वास्थ्यगत समस्या और फिर हरियाणा व जम्मू कश्मीर के विधानसभा चुनाव की व्यस्तता की वजह से नहीं आए। अलबत्ता, प्रभारी सचिन पायलट भी चुनाव प्रचार में व्यस्तता के बाद किसी तरह चार्टर प्लेन लेकर दोनों प्रभारी सचिवों सुरेश कुमार, और जरिता लेटफलांग व संयुक्त सचिव विजय जांगिड़ के साथ यहां पहुंचे। और फिर न्याय यात्रा में शिरकत की।
प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज की अगुवाई में न्याय यात्रा भीड़ भाड़ के मामले में काफी हद तक सफल रही है। पार्टी नेताओं ने एकजुटता भी दिखाई है। प्रदेश के प्रमुख नेता डॉ. चरणदास महंत, पूर्व सीएम भूपेश बघेल, और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव के अलावा पूर्व नेता प्रतिपक्ष रविन्द्र चौबे, और तकरीबन सभी विधायक यात्रा में शामिल हुए। निकाय चुनाव, और रायपुर दक्षिण के टिकट दावेदार भी सक्रिय थे। ऐसे में यात्रा की सफलता से दीपक बैज की टीम काफी उत्साहित रही।
प्रदेश के वरिष्ठ न्यूज-फोटोग्राफर गोकुल सोनी ने फेसबुक पर अपना एक तजा तजुर्बा पोस्ट किया है। उन्होंने लिखा-कल हम कुछ मित्र नगरी जाते-जाते मुरमसिल्ली बांध पहुंच कर तेंदुआ के डर से उल्टे पैर लौट आये थे। जब हम लोग वहां से लौट रहे थे तभी हमें पास के एक गांव में हारमोनियम तबला और ढोलक के साथ भक्तिमय संगीत सुनाई दिया। हम गांव पहुंचे तो वहां रामधुनी कार्यक्रम चल रहा था।
गांव के लोगों ने बताया कि पितृपक्ष में अपने पितरों के लिए हर साल गांव में रामधुनी सम्मेलन का आयोजन किया जाता है। यह रामधुनी सम्मेलन अन्य रामधुनी कार्यक्रमों से अलग था। दरअसल विभिन्न मंडलियों के द्वारा यहां धार्मिक नृत्यनाटिका का मंचन किया जा रहा था। जिस समय हम लोग वहां पहुंचे तब जय बजरंग रामधुनी मंडली हाटकोगेरा कांकेर के द्वारा महिषासुर वध का मंचन किया जा रहा था। प्रस्तुति इतनी शानदार थी गांव के लोग इसे मंत्रमुग्ध होकर देख रहे थे। नृत्यनाटिका में जो महिषासुर राक्षस बना था वह लगातार अपने मुंह से आग का गुबार उगल रहा था। यह प्रस्तुति हमारे दो मित्रों को भी खूब पसंद आया। इन मित्रों ने बिना मांगे एक बड़ी रकम उस मंडली को दान में दे दी। आपको बता दूं , इन दो मित्रों में एक मित्र गैरहिन्दू है।
फेसबुक में इस पोस्ट को डालने का उद्श्य मेरा यह है कि आज टेलीविजन में मनोरंजन के अनगिनत चैनल, मोबाइल के यू-टूयूब में हजारों-हजार मनोरंजन के साधन होने के बाद भी कुछ गांव के लोग आज भी अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़े हुए हैं। और हां, मैं गांव का नाम बताना तो आपको भूल ही गया। छत्तीसगढ़ के उस गांव का नाम है ‘सायफनपारा’। शायद किसी गांव का ऐसा नाम आप पहली बार सुन रहे होंगे।
वेतन अटक जाने की चिंता
बिहार जैसे कुछ राज्यों से यह खबर कभी-कभी निकल आती है कि वहां सराकारी कर्मचारियों को किसी-किसी महीने समय पर वेतन नहीं मिल पाया। पर, छत्तीसगढ़ में इस तरह की नौबत नहीं आई है। कोविड काल में भी जब कुछ राज्यों ने सरकारी कर्मचारियों के वेतन में कुछ प्रतिशत कटौती कर दी थी, छत्तीसगढ़ में पूरा वेतन दिया गया। मगर, इस महीने कुछ गड़बड़ हो गई है। सरकार की ओर से अधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है, मगर सरकारी कर्मचारियों की मानें तो इस बार उनका वेतन अब तक जमा नहीं हुआ है। प्राय: वेतन उनके खातों में 29 या 30 तारीख तक आ जाता है, पर इस बार 2 अक्टूबर हो चुका है। अभी कर्मचारी शांत हैं, क्योंकि उन्हें लग रहा है शायद शनिवार, रविवार और उसके बाद आए 2 अक्टूबर के अवकाश के कारण कुछ बाधा आ गई हो। कई कर्मचारी- अधिकारी संगठनों के वाट्सएप ग्रुप में यह चर्चा का विषय बना हुआ है। वे आगामी त्यौहारों, बिल भुगतान और लोन के किश्त को लेकर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। वित्त मंत्री ओपी चौधरी का विपक्ष में रहते हुए बनाया गया पुराना वीडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें वे केंद्र के बराबर वेतन, भत्तों को राज्य के कर्मचारियों का बेसिक राइट बता रहे हैं। कमेंट किया जा रहा है कि भत्तों की लड़ाई तो बाद में शुरू होगी, अभी उन्हें अपने वेतन की ही चिंता सता रही है।
बैटरी वाली साइकिल
बालोद जिले के अर्जुन्दा के स्वामी आत्मानंद स्कूल में पढऩे वाले इस बच्चे ने अपने स्कूल आने-जाने के लिए बैटरी वाली साइकिल बना ली है। बैटरी सीट और हैडिंल के बीच एक पेटी में रखी गई है। इस जुगाड़ को तैयार करने में उसके पिता ने मदद की, जो एक वेल्डिंग करने वाला श्रमिक है। अब यह बालक फर्राटे स्कूल और घर के बीच की दूरी तय कर लेता है। लोग इसके इनोनेशन की तारीफ कर रहे हैं।
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