राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : कुलपतियों की दौड़
20-Sep-2024 4:27 PM
राजपथ-जनपथ : कुलपतियों की दौड़

कुलपतियों की दौड़  

छत्तीसगढ़ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के चेयरमैन के लिए जोड़तोड़ चल रही है। मौजूदा चेयरमैन डॉ.उमेश मिश्रा का कार्यकाल खत्म हो गया है। चर्चा है कि नए चेयरमैन के लिए तीन पूर्व कुलपति दौड़ में हैं। इनमें से एक तो वर्तमान में प्रदेश के बाहर के एक निजी विवि में कुलपति हैं।

नियमत: निजी विवि के अफसर को आयोग में नहीं रखा जा सकता है। मगर यहां एक सदस्य की नियुक्ति हो चुकी है, जो कि पहले निजी विवि में कार्यरत रही हैं। जिन दो पूर्व कुलपतियों के नाम की चर्चा है उनका कार्यकाल कुछ समय पहले ही खत्म हुआ है। पिछली सरकार की अनुशंसा पर दोनों को कुलपति बनाया गया था। ऐसे में उन्हें यहां आयोग में रखा जाएगा या नहीं, इस पर चर्चा चल रही है।

दूसरी तरफ, आरएसएस से जुड़े कई शिक्षाविद भी आयोग में नियुक्ति चाह रहे हैं। कहा जा रहा है कि पहले विभाग ने चार नाम का पैनल बनाया था लेकिन अब खींचतान के चलते फाइल आगे नहीं बढ़ पाई है। ऐसे में नियुक्ति में कुछ समय लग सकता है।

मंत्री-विधायक नाखुशी

चर्चा है कि सीतापुर के विधायक रामकुमार टोप्पो इन दिनों डिप्टी सीएम विजय शर्मा से नाखुश चल रहे हैं। वजह यह है कि सीतापुर में पिछले दिनों एक आदिवासी युवक की हत्या मामले पर सख्त कार्रवाई चाह रहे थे। आरोपी के घर बुलडोजर चलवाने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन हाईकोर्ट की रोक की वजह से ऐसा नहीं हो सका।

सुनते हैं कि पिछले दिनों डिप्टी सीएम विजय शर्मा अम्बिकापुर पहुंचे, तो रामकुमार टोप्पो ने उनसे मुलाकात की। वो तुरंत डिप्टी सीएम के साथ बैठक करना चाह रहे थे लेकिन पूर्व निर्धारित कार्यक्रम निपटने के बाद उन्हें मिलने के लिए कहा, इससे रामकुमार टोप्पो खफा हो गए। और बाद में जब विजय शर्मा ने उनसे संपर्क किया तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इसके बाद विजय शर्मा ने लुण्ड्रा विधायक प्रबोध मिंज के मोबाइल से चर्चा की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया।

बाद में अगले दिन कुछ स्थानीय नेताओं की समझाईश पर रामकुमार टोप्पो, विजय शर्मा से मिलने पहुंचे। दोनों के बीच काफी देर चर्चा हुई। डिप्टी सीएम से चर्चा के बाद भी रामकुमार टोप्पो संतुष्ट नहीं थे। इन दिनों वहां कुछ घटनाओं को लेकर रामकुमार टोप्पो के खिलाफ मुहिम चल रही है। इन सबकी वजह से उन पर दबाव भी है। वे अपने इलाके में लोगों को कार्रवाई आदि को लेकर कोई संदेश देना चाह रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं हो पाने से मायूस बताए जा रहे हैं। 

क्या अंग्रेजी से फिर हिंदी में लौटें?

स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में 10वीं कक्षा के बाद पढऩा जारी रखना हो तो कॉमर्स और आर्ट्स का मोह छोडऩा पड़ेगा। अंग्रेजी माध्यम में आगे की पढ़ाई करनी हो तो निजी स्कूलों की महंगी फीस के लिए तैयार रहना होगा। यदि फीस की चिंता हो तो फिर से अंग्रेजी माध्यम से हिंदी माध्यम में वापस लौटना होगा। स्वामी आत्मानंद स्कूल खोलने का उद्देश्य यह बताया गया था कि जो बच्चे पढ़ाई में होशियार हैं, पर निजी स्कूलों की महंगी फीस देने में असमर्थ हैं, उन्हें सरकार उत्कृष्ट शिक्षा देने का प्रबंध कर रही है। पर स्कूल के खुलने के बाद से ही अवरोध बना हुआ है। प्रदेश में 400 से कुछ अधिक अंग्रेजी माध्यम उत्कृष्ट विद्यालयों में कला और वाणिज्य संकाय की पढ़ाई 10वीं के बाद नहीं हो पा रही है। इसका सेटअप ही मंजूर नहीं किया गया है। स्कूली शिक्षा 12वीं बोर्ड तक चलती है। अब क्या छात्र 10वीं के बाद फिर हिंदी माध्यम में चले जाएं? अंग्रेजी में पढक़र वे हिंदी की ओर लौटें, यह तो इस योजना के उद्देश्य पर ही सवाल खड़ा करता है। अधिकांश छात्र-छात्रा गरीब या निम्न मध्यम परिवारों से हैं। उनके अभिभावक निजी स्कूलों में पढ़ाने में सक्षम होते तो यहां प्रवेश की मारामारी क्यों होती? वैसे बोर्ड परीक्षाओं में स्वामी आत्मानंद स्कूलों का प्रदर्शन अच्छा रहता है। कई बच्चे टॉपर सूची में शामिल होते हैं। उन्हें 12वीं कक्षा तक सभी विषयों का विकल्प मिलना चाहिए, वरना इन्हें उत्कृष्ट विद्यालय कैसे कहा जा सकता है?

स्टेशन परिसर पर स्पाइडरमैन

बिलासपुर में रेलवे स्टेशन परिसर पर एक युवक स्पाइडरमैन के परिधान में घूम रहा था। आरपीएफ को पता लगा तो वहां पहुंच गई। शहर के ही मध्यनगरी इलाके के इस युवक को यहां सोशल मीडिया के लिए अलग-अलग स्वांग में रील्स बनाने का शौक है। पर रेलवे स्टेशन परिसर संवेदनशील जगह है। प्लेटफॉर्म और ट्रेनों में इस तरह की शूटिंग पर प्रतिबंध है। आरपीएफ ने उसे माफी मांगने पर छोड़ दिया। युवक जब वहां मौजूद था तो वहां भीड़ लग गई थी, जिनमें बहुत से बच्चे भी थे। स्टेशन परिसर पर बिना अनुमति रील्स बनाने की कोशिश कर वह जुर्म तो कर रहा था लेकिन दूसरा पक्ष उसके क्रियेटिविटी का भी है। ट्रैफिक सेंस, नशे के खिलाफ, वूमेन सेफ्टी आदि मुद्दों पर जन-जागरूकता लाने के लिए पुलिस ऐसे आकर्षित करने वाले किरदारों का इस्तेमाल तो करती ही है। शायद इस युवक ने भी सीधे स्टेशन पहुंचकर अफसरों से बात की होती और बताता कि मैं यात्रियों की सेफ्टी के लिए कुछ संदेश देना चाहता हूं, तो शायद बात बन जाती।  

ताकि खर्च न बढ़े

पितृपक्ष के दूसरे दिन सरकारी उपक्रमों में नियुक्तियां शुरू कर दी गईं है। फिलहाल पांच नियुक्तियां की गई हैं, और सभी विधायक ही हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि शुरूआत हो गई है। आने वाले दिनों में यह सिलसिला जारी रह सकता है। सबकी निगाहें अगली सूची पर लगी हैं। इस  पहली सूची ने मंत्रिमंडल में रिक्त दो कुर्सियों की उम्मीद लगाए बैठी बस्तर क्षेत्र की विधायक को नाउम्मीद कर दिया है । इनके लिए पितृपक्ष दुखी कर गया है। तो दुर्ग से एक दावेदार पहली बार के विधायक की बांछें खिल गईं हैं। जो जातिगत समीकरण और संघ के बैकग्राउंड से भी आते हैं। इन छह नियुक्तियों पर नजर डालें तो सभी पैमाने पूरे हो गए हैं, आदिवासी, सतनामी,ओबीसी को संतुलित कर लिया है। पहली सूची के निहितार्थ बताते हुए पार्टी के एक नेता ने कहा कि आने वाले दिनों में विधायकों को ही एडजस्ट किया जाएगा। ताकि निगम मंडलों के स्थापना व्यय पर बोझ न पड़े। ग़ैर विधायक नेताओं की नियुक्त से खर्च अधिक होता है ।

 

(rajpathjanpath@gmail.com)


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