राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : पिटाई का वीडियो और निलंबन!
19-Sep-2024 3:02 PM
राजपथ-जनपथ : पिटाई का वीडियो और निलंबन!

पिटाई का वीडियो और निलंबन!

कवर्धा में बड़ी हिंसा में, और उसके बाद दो अलग-अलग मौतें हुई। पहली मौत तो एक जिंदा आदमी को घर में जलाने की थी, और दूसरी मौत पुलिस पिटाई के बाद गिरफ्तारी, और जेल पहुंचने के बाद हुई। अब यह दूसरी मौत पिटाई से हुई, या किसी और वजह से, यह तो साफ नहीं है, लेकिन ग्रामीणों की शिकायत पर स्थानीय विधायक, उपमुख्यमंत्री, और गृहमंत्री विजय शर्मा ने एक आईपीएस, एडिशनल एसपी को निलंबित करने की घोषणा की है। इस बीच कवर्धा के इसी गांव का एक वीडियो आया है जिसमें वहां के एसपी अभिषेक पल्लव खड़े होकर महिला पुलिसकर्मियों की लाठियों से एक निहत्थी युवती को पिटवा रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि पिटाई जब एसपी खड़े रहकर  करवा रहे थे, तब एडिशनल एसपी का निलंबन कुछ हैरान करता है। लेकिन सरकारी कामों में ऐसा होता है कि किस सिर की बलि दी जाए, इसे तय करने की कई वजहें रहती हैं। 

दो भूतपूर्व मुकाबले में 

पूर्व सीएम भूपेश बघेल, और स्पीकर डॉ. रमन सिंह एक बार फिर आमने-सामने हैं। भूपेश ने पिछले दिनों बालोद जिले के एक गांव के कार्यक्रम में भाजपा पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप मढ़ दिया। उन्होंने कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा का जिक्र किए बिना कटाक्ष किया कि एक लोटा जल चढ़ा दो, और जीवन में कुछ काम मत करो, बच्चों को मत पढ़ाओ, खेत में काम मत करो, बस एक लोटा जल चढ़ा दो तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। इस तरह की धारणा लोगों में बन गई है। 

भूपेश ने आगे कहा कि हम इसे आस्था नहीं कह सकते, बल्कि भाजपा द्वारा फैलाया गया अंधविश्वास है। दरअसल, पंडित प्रदीप मिश्रा प्रदेश के कई जिलों में शिव महापुराण का वाचन कर चुके हैं। इसी महीने धमतरी में भी उनका एक बड़ा कार्यक्रम है। पंडित मिश्रा के कार्यक्रमों में भारी भीड़ जुटती हैं। इन कार्यक्रमों में सीएम, स्पीकर और सरकार के मंत्रियों के अलावा खुद पूर्व सीएम भूपेश बघेल भी शिरकत कर चुके हैं।

पंडित मिश्रा एक लोटा जल के अर्पण पर जोर देते हैं। भाजपा के कई नेता पंडित प्रदीप मिश्रा के कार्यक्रम के आयोजन में भागीदारी निभा रहे हैं, तो इस पर उंगलियां भी उठ रही हैं। हाथरस हादसे के बाद बड़े धार्मिक आयोजनों पर प्रशासन सख्ती बरत रहा है। यहां भी  मुंगेली में पंडित मिश्रा के कार्यक्रम को पहले प्रशासन ने अनुमति नहीं दी थी। अब जब भूपेश बघेल ने पंडित प्रदीप मिश्रा का नाम लिए बिना प्रतिक्रिया दी, तो स्पीकर डॉ. रमन सिंह ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि पांच साल बहुत कर्म किए हैं, उसी को भोग रहे हैं। 

विसर्जन पर मासूम के आंसू

गरियाबंद की यह एक हृदयस्पर्शी तस्वीर है। भावनाओं की ऐसी गहराई केवल बच्चों में ही देखने को मिलती है। इस नन्ही बच्ची ने कुछ ही दिनों में भगवान गणेश से गहरी मित्रता कर ली थी, विसर्जन के लिए पापा जब लेकर जाने लगे तो वह मूर्ति से लिपटकर फूट-फूटकर रोने लगी। उसने गणपति को रोकने की खूब कोशिश की।  उसका बड़ा भाई, जो स्वयं भी बच्चा ही है, उसने समझाया- छोड़ दो, उसे उसकी मम्मी लेने आई है। अगर तुम ऐसा करोगी, तो वो अगले साल फिर से नहीं आएंगे। भाई के समझाने पर मुश्किल से सही, मान गई।

वंदेभारत और पाई पाई का हिसाब

वंदे भारत एक्सप्रेस की सफलता, असफलता को लेकर वाट्सएप ग्रुप में बड़े मजेदार चर्चाएं हो रहीं है। पाई पाई जोडऩे को तवज्जो देने वाले मध्यमवर्गीय यात्री, वंदेभारत में सफर को समता एक्सप्रेस से  महंगा ही बता रहे हैं। इसलिए शायद कल पहले दिन के सफर के लिए अब तक 60 यात्रियों ने ही टिकिट बुक किया है। यानी 16 में से एक कोच भी नहीं भरा।

समता एक्सप्रेस से तीन घंटे पहले पहुंचने की सुविधा बताने वालों को इनका जवाब है कि ट्रैक अभी जापान-चाइना जैसा है नहीं। 567 किमी में सिग्नलिंग, कॉशन आर्डर, प्लेटफार्म खाली न होने से आउटर में वेटिंग जैसी  कई तरह की बाधाएं बनी रहेंगी, लेट होगी और समता एक्सप्रेस के थोड़ा पहले ही विशाखापट्टनम पहुंच पाएगी। ऐसे में महंगी टिकट पर क्यों सफर किया जाए।

इन्हीं सवाल जवाब के बीच एक यात्री ने दोनों ट्रेनों के किराया भाड़े का पाई पाई का अंतर निकाल वायरल किया।  इसके मुताबिक वंदेभारत के चेयर कार में बिना कैटरिंग का भाड़ा 1131 और समता के थर्ड एसी में 905, सेकंड एसी में 1265 रूपए। और कैटरिंग के साथ 1495 रूपए। यानी 136 रूपए अधिक। कैटरिंग ले तो कुल 500 रूपए अधिक पड़ रहा। और ट्रेन के लंच, डिनर की क्वालिटी सभी जानते हैं। ये होटल ताज, हयात से बनकर तो आते नहीं। और फिर जब लोग इंडिगो की फ्लाइट में लंच, डिनर ले जाते हैं तो यह तो ट्रेन हैं। ट्रेन में घर से खाना ले जाना आदत में शुमार है। ऐसे तर्क तो ट्रेन के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहे हैं । मीडिया में यह भी खबर आई है कि देश में एक जगह वंदे भारत 16 से घटाकर 8 कोच से चल रही है। कारण महंगी टिकट ही हो सकती है।

यूपीआई पेमेंट भी अब सेफ नहीं 

यूपीआई पेमेंट हर प्रकार के लेन-देन में आम हो गया है। क्यूआर कोड स्कैन करना, राशि दर्ज कर नोटिफिकेशन की ध्वनि सुनकर भुगतान को सत्यापित करना इसकी एक सामान्य प्रक्रिया है। मगर, रायपुर में एक अनपेक्षित घटना सामने आई है। सिविल लाइन थाना क्षेत्र के दो व्यापारियों ने 7-7 हजार रुपये की ठगी का शिकार होने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। दोनों व्यापारियों के पास दो ग्राहक आए, जिन्होंने कपड़े खरीदे। पेमेंट के लिए क्यूआर कोड स्कैन किया और मोबाइल पर पेमेंट की सूचना दिखा दी। व्यापारियों ने नोटिफिकेशन और स्क्रीन देखकर संतुष्टि जताई, लेकिन बाद में पता चला कि उनके खाते में कोई राशि आई ही नहीं।
शिकायत जल्दी कर दी गई थी। पुलिस ने तुरंत कार्रवाई कर आरोपियों को पकड़ लिया। परंतु, यह ठगी हुई कैसे?

वास्तव में, गूगल पे, फोन पे और पेटीएम जैसे ऐप्स के फेक वर्जन भी अब बाजार में आ चुके हैं, जो देखने में बिल्कुल असली जैसे होते हैं। पिछले दिनों से दिल्ली से एक खबर आई थी कि इन नकली यूपीआई ऐप्स का उपयोग छोटे व्यापारियों, दुकानदारों और मजदूरों को धोखा देने के लिए किया जा रहा है। ठग इन फर्जी ऐप्स से क्यूआर कोड स्कैन कर नकली पेमेंट दिखाते हैं, स्क्रीनशॉट और साउंड से ऐसा प्रतीत होता है मानो भुगतान सफल हो गया हो, जबकि हकीकत में पेमेंट होता नहीं।
जानकारी के अनुसार, टेलीग्राम पर इन फेक यूपीआई ऐप्स के लिंक साझा किए जा रहे हैं, जिनसे लोग धोखा देने के लिए ये ऐप्स डाउनलोड कर रहे हैं और फिर फर्जी भुगतान कर देते हैं। ऐसे में अब सिर्फ पेमेंट करने वाले की स्क्रीन देखकर संतुष्ट होना काफी नहीं है, बल्कि अपना अकाउंट चेक करना भी जरूरी है।

(rajpathjanpath@gmail.com)


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