राजपथ - जनपथ
चैन का पखवाड़ा
पितृपक्ष शुरू हो गया है। हिन्दू मान्यताओं में पितृपक्ष शुरू होने पर पखवाड़े भर शुभ काम नहीं किए जाते हैं। कुछ राजनीतिक दल भी बड़े फैसले लेने से पहले इसका ध्यान रखते हैं। भाजपा में निगम-मंडलों की नियुक्ति पर काफी दिनों से चर्चा चल रही है। यह हल्ला उड़ा कि पितृपक्ष शुरू होने से पहले मंगलवार की रात तक निगम-मंडलों की एक सूची जारी हो सकती है।
भाजपा के राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन) शिवप्रकाश भी देर शाम यहां पहुंचे थे। एयरपोर्ट पर स्वागत के लिए डिप्टी सीएम विजय शर्मा के अलावा पार्टी के कई प्रमुख नेता थे। पार्टी के एक-दो नेता, वहां निगम-मंडलों की नियुक्ति को लेकर पूछताछ करते रहे। संगठन के एक प्रमुख पदाधिकारी पार्टी नेताओं की जिज्ञासा शांत करते हुए हल्के फुल्के अंदाज में कह गए कि अभी कुछ नहीं होगा।
संकेत साफ थे कि जो कुछ होगा वह पितृपक्ष के बाद ही होगा। यानी पखवाड़ेभर के लिए निगम-मंडलों में नियुक्तियों की अटकलों पर विराम लग गया है।
मार्केटिंग रणनीति
यात्री सुविधाओं से जुड़ी दो नई पहल ने रेलवे और एविएशन मार्केट में बड़ी रणनीति का संकेत दिया है। दोनों ही का सीधा संबंध रेलवे को होने वाले बड़े तो नहीं कुछ नुकसान से है। और यह भी स्पष्ट करता है कि रेल महकमे में ही पैसेंजर इंकम को लेकर जबरदस्त प्रतिस्पर्धा चल रही है। दपूमरे ने दुर्ग-विशाखापट्टम वंदेभारत एक्सप्रेस शुरू की। जो 20 तारीख से सप्ताह के छह दिन नियमित चलेगी। 16 कोच की ट्रेन में इंजिन, गार्ड वैन को छोड़ दें, तो 14 कोच हर कोच टू बाई टू, या थ्री बाई थ्री की सीटों के साथ। यानी एक ट्रिप में करीब दो हजार से अधिक यात्री सफर कर सकेंगे। वह भी वर्तमान में चल रही ट्रेनों से तीन घंटे कम समय में। सुबह के समय में इस समय विशाखापट्टनम के लिए सुबह एक मात्र समता एक्सप्रेस और रात कोरबा लिंक एक्सप्रेस उपलब्ध है। जो करीब 11 घंटे का समय लेती है। उसमें भी कम सीट होने से रिजर्वेशन की मारामारी अलग।
अब बात इन ट्रेनों के यात्रियों को कैप्चर करने की करें तो समता और, कोरबा एक्सप्रेस रेलवे के ईस्ट कोस्ट रेल मंडल भुवनेश्वर जोन और विशाखापट्टनम मंडल की है। इसमें सफर करने वाले अधिकांश छत्तीसगढ़ निवासी अप्रवासी आंध्र मूल के। तो छत्तीसगढ़ में रिश्तेदारी रखने वाले सिंधी, मारवाड़ी जैसे कारोबारी समुदाय के लोग भी बड़ी संख्या में विशाखापट्टनम के आसपास बसे हैं। इन ट्रेनों का रिजर्वेशन चार्ट देखकर समझा जा सकता है इनकी तादाद को।
समुद्री शहर होने से पर्यटकों की भी बड़ी आवाजाही रहती है। यानी पूरी इंकम भुवनेश्वर जोन को जा रहा। इस इनकम ग्रुप को अपने कब्जे में करने बिलासपुर जोन,रायपुर मंडल ने वंदेभारत के लिए जोर लगाया और सफल हुआ। यह ट्रेन विशुध्द रूप से रायपुर डिवीजन की प्रापर्टी है। अब देखना यह है कि इसे कितना रिस्पांस मिलता है । वैसे आबादी इतनी है कि यह भी कम पड़ जाए।
गुजराती फ्लाइट
इधर छत्तीसगढ़ के एविएशन मार्केट में भी बड़े बदलाव से,रेलवे को कुछ तो नुकसान होगा। दरअसल लो कॉस्ट विमानन कंपनी ने रायपुर से अहमदाबाद के लिए अपनी तीन दिन की उड़ान को अब रोजाना कर दिया है। बड़ा जहाज होने से रोज कम से कम ढाई सौ यात्री आ-जा सकेंगे। यानी 7 दिन में 1750, और एक माह में कम से कम 52500 पैसेंजर। इंकम, सीट अवेलेबल की स्थिति में वेरिएबल। जो निसंदेह अधिक ही होगा। समय की बचत के लिए लोग अधिक खर्च करने तैयार हैं हीं। खासकर गुजराती समाज संपन्न वर्ग में गिना ही जाता है।
अब रेलवे को नुकसान की चर्चा करे तो छत्तीसगढ़ से अभी अहमदाबाद के लिए हावड़ा, पुरी से चलने वाली ट्रेनें हैं जिसमें एक एक बर्थ की मारामारी। एसी में तीन हजार तक देकर भी वेटिंग टिकट। अहमदाबाद के लिए सप्ताह भर बाद का प्री प्लान टूर हो तो प्लेन में 5500-7000 में सीट उपलब्ध हो जाती है। और ट्रेन के 20 घंटे के सफर के मुकाबले पांच घंटे में लैंडिंग भी। हालांकि यह भी सच्चाई है कि ट्रेन में जाने वाले ट्रेन से ही जाएँगे ।
हाईकोर्ट ने भी तो लगाई है रोक
अदालत में चालान पेश होने और फैसला आने के पहले बुलडोजर से किसी आरोपी के घर या प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चलाने का सिलसिला उत्तर प्रदेश से शुरू हुआ। ऐसी कार्रवाई को लोगों ने सही नहीं माना। कई लोगों का मानना था कि यह एक समुदाय विशेष के खिलाफ ही इस्तेमाल हो रहा है। दूसरे, कई बार जहां वारदात हुई, वहीं बुलडोजर चला दिया गया और सबूत नष्ट कर दिए गए। पर इसके बावजूद इस ‘न्याय’ को समर्थन भी खूब मिला। अदालतों में मुकदमों की लंबी प्रक्रिया से बरसों तक फैसला नहीं हो पाने के चलते लोगों को लगा कि सजा देने का यह दूसरा तरीका सही है।
मगर, इसमें गलतियां भी हुई हैं। मध्यप्रदेश में एक जुलूस में कथित रूप से थूकने पर आरोपी के घर बुलडोजर चला दिया गया और आरोपी सबूत नहीं मिलने पर बरी हो गया। यूपी में जिस एक घर को गिरा दिया गया वह आरोपी का था ही नहीं, मकान मालिक का वह किरायेदार था।
अब सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की पीठ ने देशभर में अपराध दर्ज होने की वजह से किसी निर्माण को गिराने की कार्रवाई पर कुछ दिनों के लिए रोक लगा दी है। कोर्ट ने कुछ नियम तय करने की बात कही है, उसके बाद कोई कार्रवाई होगी।
अभी छत्तीसगढ़ में भी एक मामला आया था, जिसमें हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की तरह ही रुख अपनाया था। मैनपाट में एक राजमिस्त्री का हत्या कर उसे दफना दिया गया और उसके ऊपर पानी टंकी बना दी गई थी। मुख्य आरोपी अभिषेक पांडेय के मकान को ढहाने के लिए प्रशासन ने नोटिस चस्पा कर दी। इसके खिलाफ परिवार ने याचिका दायर की। प्रशासन की कार्रवाई पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए 15 दिन का समय दिया गया।
याद होगा कि विधानसभा चुनाव के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा होने वाली थी तब बिलासपुर में बुलडोजर रैली निकाली गई थी। भाजपा के कई नेताओं ने चुनाव अभियान के दौरान ऐलान किया था कि उनकी सरकार आएगी तो अपराधियों के ठिकानों पर बुलडोजर चलाया जाएगा।
अक्सर प्रशासन की दलील होती है कि यह कार्रवाई अपराध की सजा नहीं है, बल्कि निर्माण ही अवैध है, इसलिये ऐसा किया जा रहा है। मगर, ऐसे अनेक मामले हैं, जिनमें प्रशासन ने हाईकोर्ट ही नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने करीब पांच साल पहले एक याचिका पर सुनवाई के बाद मुंगेली जिले के लिए आदेश दिया था कि सार्वजनिक भूमि, गोचर भूमि, स्कूल, सडक़ आदि के एक-एक अतिक्रमण को हटाया जाए। अवैध कब्जों की संख्या सैकड़ों में निकली। प्रशासन कुछ दिन तो हरकत में रहा, बाद में पसीने छूट गए। कुछ कब्जे हटे, आज तक उस आदेश का पालन ही नहीं हो पाया।
रिक्शे वालों को चैलेंज
घटक (जिसे घातक भी पढ़ सकते हैं), कोचिंग इंस्टीट्यूट का दावा है कि वह रिक्शावालों को भी फिजिक्स सिखा सकता है। इस विज्ञापन को देखकर रिक्शा चलाने वाले नाराज हो सकते हैं।
कह सकते हैं- क्या सिर्फ अनपढ़ लोग रिक्शा चलाते हैं? हम ही आपको फिजिक्स क्या, मैथेमेटिक्स, केमिस्ट्री सब सिखा देंगे। हम लोगों में से भी बहुत लोग बड़ी-बड़ी डिग्री लेकर बैठे हैं। तस्वीर रांची (झारखंड) की है, जो सोशल मीडिया पर वायरल है।
(rajpathjanpath@gmail.com)