राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : खेल, राजनीति, और सरकार
17-Sep-2024 4:47 PM
 राजपथ-जनपथ : खेल, राजनीति, और सरकार

खेल, राजनीति, और सरकार

छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के चुनाव को लेकर गहमागहमी चल रही है। इन सबके बीच सीएम विष्णुदेव साय तीरंदाजी संघ के निर्विरोध अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। ओलंपिक संघ के संभवत: 29 तारीख को  सामान्य सभा में साय अध्यक्ष चुने जा सकते हैं। मगर महासचिव पद को लेकर पेंच फंसा हुआ है।

महासचिव पद के लिए स्पीकर के सचिव विक्रम सिसोदिया का नाम प्रमुखता से उभरा है। विक्रम पिछले 20 साल से ओलंपिक संघ से जुड़े हैं,  और वे वर्तमान में बैडमिंटन संघ के अध्यक्ष हैं। मगर सांसद बृजमोहन अग्रवाल भी खेलकूद संघ में आ गए हैं। वे तैराकी संघ के अध्यक्ष चुने जा चुके हैं।

बृजमोहन के अध्यक्ष बनने के बाद उनके ओलंपिक संघ के महासचिव बनने की भी अटकलें लगाई जा रही है। अगर ऐसा हुआ, तो विक्रम को उपाध्यक्ष या फिर किसी अन्य पद के लिए संतोष करना पड़ सकता है। इन सबकी वजह से काफी खींचतान चल रही है, और ओलंपिक संघ की बैठक पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। देखना है आगे क्या होता है।

अधिक सदस्यता का राज

भाजपा में सदस्यता अभियान चल रहा है। और टारगेट पूरी नहीं होने से कई दिग्गज नेता परेशान हैं। सदस्यता की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हैं, और इसमें फर्जीवाड़े की गुंजाइश नहीं के बराबर है। इन सबमें पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने बाजी मार ली है। वे अब तक 14 हजार सदस्य बना चुके हैं। जबकि हर विधायक को अपने क्षेत्र में 10 हजार सदस्य बनाने हैं। अब हर कोई नेता चंद्राकर से यह जानने की कोशिश में लगा है कि उन्होंने इतनी जल्दी इतने सदस्य कैसे बना लिए?

दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के ज्यादातर विधायक अब तक अपने क्षेत्र से हजार सदस्य नहीं बना पाए हैं। पिछले दिनों रायपुर के एक विधायक, अजय चंद्राकर से मिलने गए भी थे। और उन्होंने अजय से जल्द सदस्य बनाने के तरीके पूछे। अजय ने उन्हें यह कह कर टरका दिया कि ज्यादा सदस्य बनाने के लिए अपने क्षेत्र में सक्रिय रहना पड़ता है।

इन सबके बीच कई नेता अन्य विकल्पों पर भी विचार कर रहे हैं। दुर्ग संभाग के एक पूर्व संसदीय सचिव ने कई लोगों को चंडीगढ़ की एक कंपनी का एड्रेस दिया है। यह कंपनी 35 रूपए प्रति सदस्य के हिसाब से संबंधित क्षेत्र में सदस्य बना सकती है। अब कुछ लोग कंपनियों की भी सेवाएं लेने की सोच रहे हैं। देखना है आगे क्या होता है।

एक साथ दोहरी जिम्मेदारी

छत्तीसगढ़ की सडक़ों पर आजकल बड़ी संख्या में ई-रिक्शा दौड़ती नजर आती हैं। कुछ साल पहले पिंक ऑटो रिक्शा को केंद्रीय योजनाओं के तहत महिलाओं के लिए शुरू किया गया था, लेकिन अब महिलाएं अपनी मर्जी से इस व्यवसाय को अपना रही हैं। रायपुर, बिलासपुर, कोरबा, और दुर्ग-भिलाई जैसे शहरों में बड़ी संख्या में महिलाएं ई-रिक्शा चला रही हैं। पेट्रोल या डीजल से चलने वाले ऑटो रिक्शा की तुलना में इन्हें चलाना ज्यादा आसान और किफायती होता है। महिला ऑटो चालक न केवल अपनी जिम्मेदारी निभा रही है, बल्कि अपने छोटे बच्चे की भी देखभाल कर रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार और साहित्यकार सतीश जायसवाल ने ऐसी एक महिला की तस्वीर साझा की है, जो इस सेक्टर में जिम्मेदार महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को दर्शाती है।

कुमारस्वामी का आश्वासन

2020-21 में केंद्र सरकार ने विनिवेश प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया। इसकी एक सूची बनी थी, जिसमें नगरनार स्टील प्लांट का नाम भी शामिल था। यह मुद्दा विधानसभा और लोकसभा चुनावों में अहम रहा, जहां कांग्रेस ने केंद्र पर प्लांट को बेचने का आरोप लगाया। छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रस्ताव दिया कि यदि इसे बेचा ही जाना है, तो राज्य सरकार इसे खरीदने को तैयार है। बढ़ते विवाद को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह और अन्य नेताओं ने बार-बार स्पष्ट किया कि नगरनार को बेचने का कोई इरादा नहीं है।

हालांकि, स्थानीय लोग और मजदूर संगठन अब भी चिंतित थे। केंद्रीय इस्पात मंत्री एच डी कुमारस्वामी ने कल नगरनार संयंत्र का निरीक्षण किया और स्पष्ट किया कि इसका निजीकरण नहीं किया जाएगा, लेकिन मजदूर संगठनों का कहना है कि केंद्र की संभावित विनिवेश सूची में से नगरनार का नाम अब तक नहीं हटाया गया है। उनका कहना है कि इस सूची से संयंत्र का नाम हटाना चाहिए, क्योंकि स्थानीय निवासियों और किसानों ने अपनी जमीनें इसी उम्मीद में दी थीं कि यह सरकार से संचालित होगा।

कुमारस्वामी के आश्वासन के बाद कुछ राहत जरूर मिली है, लेकिन मजदूर संगठन अभी भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हुए हैं।

छू भर दो...

टेक्नॉलॉजी में अभी तक के्रडिट और डेबिट कार्ड को पेमेंट मशीन पर छुआ भर देने से भुगतान शुरू करवा दिया था, अब वह एक कदम और आगे बढ़ गई है। भारत में एक निजी बैंक ने अब ऐसी अंगूठी निकाल दी है जिसे किसी भी स्वाईप मशीन से छुआ दिया जाए तो उस पर पहले से दर्ज किया गया भुगतान हो जाता है। अभी इसकी सीमा एक बार में 3 हजार रुपये तक रखी गई है ताकि कोई मुजरिम किसी का हाथ पकडक़र जबर्दस्ती अधिक भुगतान न करवा दे। (rajpathjanpath@gmail.com)


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