राजपथ - जनपथ

बिना डरे सवाल पूछिएगा
कल केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल मोर्चे पर सात राज्यों के साथ रणनीतिक बैठक के बाद पत्रकारों से चर्चा की। निजी रिजार्ट का कांफ्रेंस हाल खचाखच भरा था। कुछ पत्रकार दिल्ली से भी बुलाए गए थे।
चर्चा करीब डेढ़ देर से शुरू हुई। देर से पहुंचने के लिए शाह ने माफी यह कहकर मांगी कि देर से आया हूं लेकिन जाने की जल्दी नहीं है, एक-एक का जबाव दूंगा, बिना डरे प्रश्न पूछिएगा। पत्रकारों ने डरते हुए एक-एक कर प्रश्न पूछे।
उनकी पसंद के सवाल भी पूछे गए। पत्रकारों में कश्मीर चुनाव, गठबंधन, धारा 370 के संबंध में पूछे, तो वामपंथी उग्रवाद के प्रश्न भी रखे, जिस पर उनके पास कामयाबी के कई आँकड़े थे।।
बाउंसर हैं या झांकी
बीते सात-आठ महीनों में अफसरों ने अपने अपने विभागीय मंत्रियों की कार्यप्रणाली, लहजे को भांप लिया है। उसी अनुरूप उनके नामकरण (निक नेम) भी कर दिया है। और अफसर इन्हीं नाम से एक दूसरे को मेसेज या सूचना देकर अलर्ट करते हैं। एक मंत्री को पटवारी, एक को कांट्रैक्टर, एक को मेट आदि आदि। इनमें से एक को दो-दो निक नेम दिए हैं। कुछ अफसर इन्हें बाउंसर तो कुछ झांकी कहते हैं। झांकी वो अफसर कहते हैं जिन्हें ऐसा कर देंगे वैसा कर देंगे कहने की मंत्री जी जैसी आदत है। लेकिन करेंगे कुछ नहीं। बाउंसर वो अफसर कहते हैं जिनकी कद काठी मंत्री की ही तरह 5.5 फीट के नीचे है और फैलकर चलने की आदत है।
अब तक चर्चा ही चर्चा
चर्चा है कि भाजपा के नेताओं-कार्यकर्ताओं में नाराजगी को दूर करने के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं। इनमें निगम-मंडलों में नियुक्ति भी शामिल है। इन सबके बीच प्रदेश प्रभारी नितिन नबीन की डिप्टी सीएम अरुण साव से अकेले में बातचीत भी हुई है।
चर्चा का ब्यौरा तो नहीं मिल पाया है, लेकिन साव से सदस्यता अभियान से लेकर रायपुर दक्षिण उपचुनाव, और निगम-मंडलों में नियुक्ति पर बातचीत का हल्ला है। अरुण साव प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं, और पार्टी पदाधिकारियों की क्षमता से भी वाकिफ हैं।
कुछ लोगों का अंदाजा है कि संगठन या सरकार में जो कुछ भी बदलाव होना है, वह पखवाड़े भर के भीतर हो जाएगा। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो फिर नए साल का इंतजार करना होगा। देखना है आगे क्या होता है।
खाट सहित मरीज की यात्रा
इस तरह का दृश्य छत्तीसगढ़ में भी दूरदराज के इलाकों में देखा जा सकता है। जब सडक़ कीचड़ से भरे हों और कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाए तो उसे अस्पताल इसी तरह पहुंचाना पड़ता है। यह तस्वीर मध्यप्रदेश के रीवा की है।
गैंगरेप में पुलिस साफ-सुथरी?
पुसौर इलाके में हुई सामूहिक बलात्कार की घटना कोलकाता में हुए रेप मर्डर से कम सिहरन पैदा करने वाली नहीं है। पुलिस ने इस मामले में एक नाबालिग सहित 7 लोगों को अब तक गिरफ्तार किया है, जबकि आरोपियों की संख्या 11 बताई गई। अब यह चर्चा हो रही है कि वास्तविक संख्या इससे भी ज्यादा थी। दूसरी बात यह निकलकर आई है कि सभी आरोपी वारदात के समय नशे में धुत थे। गांव में जगह-जगह अवैध शराब की बिक्री होने की बात भी बात सामने आ रही है। गांव के बाहर शराब की अवैध भ_ी भी है। गांव ओडिशा बॉर्डर से लगा हुआ है, जहां से शराब-गांजा की तस्करी भी होती है। ऐसा नहीं है कि आरोपियों ने नशा नहीं किया होता तो जुर्म नहीं करते, जब अवैध शराब की बिक्री, तस्करी और भ_ी पर पुलिस रोक नहीं लगाए और इसे ऊपरी कमाई का जरिया बना ले तो फिर इन जघन्य वारदातों की जिम्मेदारी से वह नहीं बच सकती।
फोटो दिखाकर, समझदारी सिखाना
सोशल मीडिया के एक सबसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म फेसबुक का हाल यह है कि उस पर समझदारी की कुछ बातें लिखने और उन्हें पढ़वाने के लिए उनके ठीक नीचे किसी सुंदर युवती की अर्धनग्न तस्वीरें लगा दी जाती हैं। अब अगर कोई लिखे कि कौन सी किताबें पढऩा चाहिए, और जिंदगी में क्या पढऩे का क्या फायदा होगा, तो उस पर शायद ही लोगों का ध्यान जाए। दूसरी तरफ जब नीचे ऐसी तस्वीर लगी रहती है, तो लोग तुरंत ही देखने लगते हैं कि शायद उसी तस्वीर के बारे में कुछ लिखा गया है, और फिर वहां पर लोग कारोबारी बातें भी लिख सकते हैं, और पढऩे-लिखने के फायदों जैसे गंभीर लेख भी लिख सकते हैं। इनमें से किसी बात का नीचे की तस्वीर से लेना-देना नहीं रहता है।
(rajpathjanpath@gmail.com)