राजपथ - जनपथ

ताकि कोई उंगली न उठाए...
कॉलेजियम के प्रस्ताव को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी। अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में बार कोटे से दो जज मिल रहे हैं। बहुत जल्द बीडी गुरु व एके प्रसाद जज के रूप में शपथ लेंगे। नियुक्ति के संबंध में जो सूचना जारी हुई, उनमें दोनों अधिवक्ताओं की बेदाग छवि और अनुभव का जिक्र किया गया। पर एक अलग हटकर बात भी लिखी थी, आम तौर पर जिसका उल्लेख पहले हुआ हो, ऐसा याद नहीं पड़ता है। इसमें जानकारी यह दी गई थी कि सुप्रीम कोर्ट के एक न्यायाधीश से, जो छत्तीसगढ़ से संबंधित हैं, से इन दोनों अधिवक्ताओं के संबंध में राय मांगी गई थी। पत्र में यह बताया गया है कि जज ने राय देने से खुद को यह कहते हुए अलग रखा कि जिन दो नामों को फाइनल किया जा रहा है, उनमें से एक के साथ उनकी पूर्व से नजदीकी है। पत्र में न तो उस एक अधिवक्ता का नाम लिया गया है, न ही सुप्रीम कोर्ट के जज का। मगर, इसके बाद लोगों ने ढूंढना शुरू किया कि दोनों कौन हैं। अब जो चर्चा निकलकर आ रही है उसके मुताबिक राय देने से मना करने वाले जज हैं जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा। वे लंबे समय तक छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज रहे, कार्यवाहक चीफ जस्टिस भी रहे, आंध्र प्रदेश में चीफ जस्टिस रहे। जज बनने से पहले वे सीनियर एडवोकेट थे। उनका मूल निवास रायगढ़ है और उड़ीसा में भी रिश्तेदारी है। अब जो दो जज नियुक्त किए जा रहे हैं उनमें से बीडी गुरु भी मूल रूप से उड़ीसा से ही आते हैं। हाईकोर्ट में गुरु वकालत के दौरान जस्टिस मिश्रा के साथ प्रैक्टिस कर चुके हैं।आपस में वे रिश्तेदार भी हैं। न्यायपालिका पर अक्सर रिश्तेदारों को आगे बढ़ाने के आरोप लगते रहे हैं। शायद इसे ही ध्यान में रखते हुए नियुक्ति को लेकर स्पष्टीकरण की जरूरत पड़ी।
ऐसे पहले डीजीपी
बीते 23 वर्षों में सरकारें बदलने के साथ ही मुख्य सचिव तो नहीं डीजीपी बदलने की परंपरा रही है। हालांकि ऐसा दो ही बार हुआ है । जोगी शासन के बाद,फिर 15 वर्ष के रमन शासन के बाद । इस बार भी दिसंबर में उम्मीद,दावे और इंतजार भी किया जा रहा था कि अब तब नई पोस्टिंग हो जाएगी। लेकिन हुआ उल्टा। कांग्रेस शासन काल में डीएम अवस्थी को हटाकर नियुक्त अशोक जुनेजा बने हुए हैं। और उसके बाद उन्होंने एक रिकॉर्ड भी बना दिया। दो साल पहले, फुल टर्म हासिल किया और अब 6 महीने का एक्सटेंशन। एक्सटेंशन हासिल करने वाले जुनेजा पहले डीजीपी हो गए हैं। बीते छ: माह में दो-दो चुनाव हो गए और उन्हें हटाने के कई दांव प्रपंच खेले गए। पर वे बने रहे। वर्ना चुनाव से पहले डीजीपी (विश्वरंजन) हटाने के भी दृष्टांत है।
रामनिवास अपने लिए लॉबिंग कर डीजीपी बन बैठे थे ।सबसे वरिष्ठ होने के बाद भी कुछ आईजी,एडीजी की लॉबिंग में डीजीपी न बनने (गिरधारी नायक) देने के भी उपक्रम इस राज्य में हो चुके हैं। दरअसल इस बार नीचे के एडीजी, डीजी अरुण देव गौतम, हिमांशु गुप्ता ऐसी फितरत के नहीं रहे। तो पवन देव विशाखा कमेटी में उलझे हुए हैं। सो विकल्प को लेकर उलझन में फंसी सरकार ने फिलहाल यही विकल्प अपना लिया।
अच्छे संबंधों का फायदा
आईपीएस के 89 बैच के अफसर डीजीपी अशोक जुनेजा के केन्द्र सरकार में भी अच्छी पकड़ है। इसकी वजह से उन्हें आसानी से एक्सटेंशन मिल गया।
जुनेजा रमन सरकार में एडीजी (इंटेलिजेंस) रहे हैं। इसके अलावा ट्रांसपोर्ट भी संभाल चुके हैं। वे केन्द्र सरकार में भी काम कर चुके हैं। भूपेश सरकार ने उन्हें डीजीपी बनाया। सरकार बदलने के बाद भी जुनेजा की हैसियत में कमी नहीं आई। चर्चा है कि जुनेजा के केन्द्रीय गृह सचिव अजय भल्ला से अच्छे संबंध हैं। रिश्ते अच्छे हों तो फायदा मिलता ही है।
ऐसे टारगेट पूरा होगा...
संसद में रेल दुर्घटनाओं पर चर्चा के दौरान रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव खुद को रील मंत्री बता देने से बेहद खफा हो गए थे। उन्होंने टेबल ठोककर विपक्ष से कहा कि चौबीसो घंटे मेहनत करने वाले रेलकर्मियों का आप मजाक बना रहे हैं। सच है इन रेलकर्मियों से जमकर काम लिया जा रहा है। खासकर लोको पायलट तो बिना सोये लगातार ड्यूटी करते हैं। इसका वे आए दिन विरोध प्रदर्शन भी करते हैं। मगर, इनकी बदौलत ही रेलवे माल परिवहन में रिकॉर्ड बनाकर अपनी पीठ थपथपाती है। मालगाडिय़ों को कैसी-कैसी परिस्थितियों में चलाया जा रहा है, इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। पटरी पर दो-तीन फीट पानी भरा है और मालगाड़ी डूबी हुई पटरी पर दौड़ रही है। तस्वीर बीकानेर स्टेशन की बताई जा रही है। कुछ दिन पहले तो मुंबई लोकल को भी ऐसे ही पानी से भरी पटरी पर दौड़ा दी गई थी, जिसका भी सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुआ था। इसकी खूब आलोचना की गई थी। यह कहा गया कि पटरी दिखाई नहीं दे रही है, कहीं पर क्षतिग्रस्त हो गई हो तो? ऐसा हुआ भी हल्द्वानी में। यहां पटरी पानी में डूब जाने के कारण क्षतिग्रस्त हो गई थी। स्टेशन पर खड़े लोगों ने सामूहिक रूप से मोबाइल का टॉर्च जलाकर समय रहते सामने से आ रही ट्रेन रुकवा दी।
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