राजपथ - जनपथ

ऐसा भी सेमीरिटर्न अवार्ड
दिल्ली से ग्वालियर आ रही ट्रेन में सवार पीके यूनिवर्सिटी के कुलपति 58 साल के रंजीत यादव को दिल का दौरा पड़ा। मुरैना पहुंच गए, उन्हें कोई मेडिकल मदद रेलवे से नहीं मिली। कहा गया कि ग्वालियर में उतरे, वहां बाहर एंबुलेंस खड़ी मिलेगी। मगर यहां बाहर कोई एंबुलेंस नहीं। बाहर पार्किंग में एक कार खड़ी थी। छात्रों ने अंतिम सांस गिन रहे कुलपति को उसी कार में बैठाकर अस्पताल पहुंचाना चाहा। जीआरपी, जो जज की सुरक्षा में लगी थी- उसने जोर-जबरदस्ती करने की वजह से छात्रों पर गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर लिया। रेलवे से आपात चिकित्सा सेवा नहीं मिलने के चलते यह परिस्थिति बनी। आखिरकार समय पर इलाज नहीं मिल पाया और कुलपति की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दे चुका है कि सडक़ पर घायल यात्रियों की मदद करने वालों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए, बल्कि उनको पुरस्कृत किया जाए। छत्तीसगढ़ सहित कई राज्य ऐसे मददगारों को गुड सेमीरिटर्न अवार्ड भी देते हैं।
कुलपति भी यात्रा ही कर रहे थे। उन्हें भी तत्काल चिकित्सा की जरूरत थी। मगर मदद के लिए आगे आने वालों को रेलवे ने एंबुलेंस नहीं दी, जीआरपी ने मदद करने की जगह अपराध दर्ज कर लिया। उस समय वहां मौजूद लोगों को लगा होगा, सुप्रीम कोर्ट का आदेश तो सडक़ के लिए है, रेलवे के लिए नहीं।
वीआईपी, वीवीआईपी सुरक्षा के दौरान कई बार अफसर और जवान आम लोगों से बेवजह बुरा बर्ताव करते हैं। हो सकता है अपराध इसी वजह से दर्ज किया गया हो कि वे जज के किसी गुस्से से बच जाएं। हालांकि यह पता नहीं है कि जज की जानकारी में छात्रों पर केस हुआ या उसके बगैर।
हाईकोर्ट से फिर एक पहल हुई..
राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का काम सबसे निचले और आम लोगों तक कानून के अधिकारों का लाभ दिलाना, जागरूक करना है। हर साल लोक अदालतें लगाई जाती हैं, जिनमें हजारों मामले कोर्ट के बाहर ही सुलझ जाते हैं। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के सीनियर जज, जस्टिस गौतम भादुड़ी, जो इसके कार्यपालक अध्यक्ष हैं उन्होंने अपने बिलासपुर मुख्यालय से 400 किलोमीटर दूर कोंडागांव के माकड़ी गांव के पास के एक स्कूल की घटना पर संज्ञान लिया। वहां टीचर्स को जब छात्राओं से पता नहीं चला कि शौचालय को गंदा छोडक़र कौन आया है तो 25 छात्राओं की हथेली पर खौलता तेल छिडक़ दिया गया। इससे उनके हाथों में फफोले पड़ गए। जस्टिस भादुड़ी ने इसे बर्बर बर्ताव बताते हुए कानूनी कार्रवाई के साथ पीडि़त छात्रों के लिए आर्थिक सहायता की व्यवस्था करने अपने जिले के अधिकारियों से कहा है। साथ ही अब प्रदेशभर में स्कूलों, छात्रावासों में बच्चों को उनके कानूनी अधिकार की जानकारी देने के लिए कार्यक्रम किए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जजों की यह तीसरी कार्रवाई है, जब बच्चों के मामलों में उनकी संवेदना सामने आई है। इसके पहले कोंडागांव की एक नदी को बांस की बल्लियों के सहारे पार करते और बिलासपुर के रेलवे ट्रैक को इंजन के सामने से पैदल पार करते बच्चों को देखकर वे याचिकाएं ले चुके हैं।
तेलंगाना में अमल शुरू...
विधानसभा चुनावों में कांग्रेस भाजपा दोनों ही दलों ने घरेलू गैस सिलेंडर रियायत पर देने की घोषणा की थी। तेलंगाना में कांग्रेस सरकार बनने के बाद घोषणा पर अमल हो गया है। अपने राज्य की अब बारी है।
(rajpathjanpath@gmail.com)