राजपथ - जनपथ

राजपथ-जनपथ : खैरागढ़ फिर बीजेपी की ओर ?
26-Jun-2023 7:08 PM
राजपथ-जनपथ : खैरागढ़ फिर बीजेपी की ओर ?

खैरागढ़ फिर बीजेपी की ओर ?

खैरागढ़ राजपरिवार की एक महिला सदस्य भाजपा का दामन थाम सकती है। चर्चा है कि महिला सदस्य भाजपा के कुछ प्रमुख नेताओं के संपर्क में हैं।

खैरागढ़ राजघराने के मुखिया, और दिवंगत विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद रिक्त सीट पर डेढ़ साल पहले उपचुनाव में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। तब दिवंगत विधायक के परिवार के सदस्य कांग्रेस के साथ थे, और इस वजह से कांग्रेस को फायदा मिला था।

उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी यशोदा वर्मा ने जीत हासिल की थी। मगर अब चर्चा है कि प्रापर्टी से जुड़े विवाद के नहीं सुलझने से राजघराने के सदस्यों में नाराजगी है, और इसी वजह से कांग्रेस से नाता तोडक़र भाजपा से जुडऩे की तैयारी कर रहे हैं। देखना है आगे क्या होता है।

शैलजा से टकराव

छत्तीसगढ़ कांग्रेस की प्रभारी शैलजा को इन दिनों विवादों से दो-चार होना पड़ रहा है। शैलजा ने विवादों की वजह से प्रदेश महामंत्रियों के कार्य विभाजन को निरस्त करने के आदेश दिए थे, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष  मोहन मरकाम के अडऩे की वजह से अमल नहीं हो पाया। अब विवाद को निपटाने के लिए कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है।

दूसरी तरफ, शैलजा के गृह प्रदेश हरियाणा में भी पार्टी के भीतर खूब  झगड़ा है। पिछले दिनों चंडीगढ़ में वो भाषण दे रही थीं, तो कई नेताओं ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के समर्थन में नारेबाजी की। हरियाणा के भीतर शैलजा को हुड्डा के विरोधियों में गिना जाता है। इस नारेबाजी से खफा होकर शैलजा मंच छोडक़र निकल गई। यानी वहां भी उन्हें वर्चस्व की लड़ाई से उलझना पड़ रहा है।

शैलजा कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की करीबी मानी जाती है, और केन्द्र की नरसिम्ह राव और डॉ. मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रही हैं। ऐसे में पार्टी हाईकमान में उनकी पकड़ किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में देखना है कि वो इस तरह के विवादों को किस तरह सुलझाती हैं।

खिंची हुई हैं तलवारें दोनों तरफ

चुनाव आचार संहिता के पहले ईडी की कार्रवाई के जवाब में भूपेश सरकार को विपक्षी भाजपा नेताओं पर इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले पर हमला बोलने का मौका मिल गया है। जिला अदालत के आदेश के बाद घोटाले के मुख्य सूत्रधार उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट की सीडी पुलिस को जांच के लिए सौंपी जा चुकी है।

चर्चा है कि ईडी अब कोल, शराब, और अन्य केस पर अपनी जांच तेज करेगी, और कहा जा रहा है कि सरकार के करीबी लोगों को निशाने पर ले सकती है। इससे परे इंदिरा बैंक घोटाला केस में रायपुर पुलिस भाजपा के ताकतवर बड़े नेताओं से पूछताछ की तैयारी है। कुल मिलाकर तलवारें दोनों तरफ से खींच चुकी हंै। देखना है आगे क्या होता है।

टपरी में सिंहदेव की चाय पर चर्चा

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव आगामी चुनाव में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए मैदान पर उतर गए हैं। बस्तर में उन्होंने मीडिया से बात करने के दौरान कुर्ते का ऊपरी बटन खोलकर गले की चेन दिखाई और पूछा बताओ किस धर्म से हूं मैं? दरअसल भाजपा प्रवक्ता केदार कश्यप ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस का पूरी तरह धर्मांतरण हो चुका है। कश्यप, मंत्री कवासी लखमा की उस चुनौती पर बोल रहे थे जिसमें कहा था कि एक भी धर्मांतरण इस सरकार के कार्यकाल में हुआ हो तो वे पद से इस्तीफा दे देंगे।

बहरहाल, बस्तर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं को तब अच्छा लगा जब सिंहदेव बारिश के बीच गाड़ी से उतरे और उनके साथ एक टपरी पर बैठकर चुनावी माहौल का जायजा लिया। सिंहदेव कई बार सच मुंह पर बोल देते हैं, चाहे सुनने में अच्छा न लगे। इसका नुकसान भी उठाते हैं। पिछले साल बस्तर दौरे पर थे तो स्थानीय विधायक, वरिष्ठ नेता और कलेक्टर, एसपी मिलने नहीं पहुंचे थे। उन्होंने इस पर नाराजगी जताई थी।

पटरी पर चाय के दौरान जो लोग इक_े हुए उनमें पार्टी के लिए 20-20, 25 साल से काम कर रहे कार्यकर्ता भी थे। इनसे बातचीत के बाद उन्होंने जो निष्कर्ष निकाले, वे कुछ इस तरह से हैं- एक, पिछली बार बस्तर ने कांग्रेस पर जबरदस्त भरोसा जताया था। अभी सभी 12 सीट कांग्रेस के पास है। ऐसा सोचकर चलना ठीक नहीं कि इस बार भी वैसे ही नतीजे आएंगे। हालांकि यह असंभव नहीं है, पर मेहनत करनी होगी। दूसरा- संगठन की प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा और प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के बीच चुनाव से पहले तालमेल में कमी दिखाई देना अच्छी बात नहीं है। हालांकि मरकाम ने साफ कर दिया है कि वे प्रभारी के मार्गदर्शन पर ही काम करेंगे। तीसरा- सर्व आदिवासी समाज चुनाव मैदान में उतरने वाला है, बस्तर की सभी सीटों से लड़ रहा है। हमें भी उसी के मुताबिक तैयार रहना होगा। आदिवासी नेताओं को अपने साथ लेना होगा।

सिंहदेव की बातें कांग्रेस के बाकी नेताओं के उन बयानों से अलग है जो बार-बार कह रहे हैं कि बस्तर में सभी सीट और प्रदेश में पिछली बार से अधिक सीटों पर कांग्रेस जीत रही है। यह भी कहा गया कि मरकाम और कुमारी शैलजा के बीच कोई विवाद नहीं है और सर्व आदिवासी समाज का चुनावी जनाधार नहीं है।

बाइक बनेगी तो यहीं पर ही

रायपुर के एक वर्कशॉप में बुलेट गाड़ी रिपेयरिंग के लिए खड़ी है, भाईजान के पास। हमारा एक दूसरे के बिना काम चलता ही नहीं, फिर कुछ भी लोग पता नहीं किस मकसद से बहिष्कार की शपथ देते-दिलाते रहते हैं।

एनएच के लिए रोड़ा खत्म हुआ?

कोरबा से चांपा आने-जाने वाले जानते हैं कि इस सडक़ की हालत वर्षों से बेहद खराब है। कोयला से भरी गाडिय़ों के चलते प्रदूषण और दुर्घटनाएं भी बहुत ज्यादा हैं। इस सडक़ को फोरलेन करने का काम नेशनल हाईवे एथॉरिटी ने हाथ लिया है लेकिन निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा है। किसानों और ग्रामीणों की शर्त है कि वे अधिग्रहीत जमीन से कब्जा तभी छोड़ेंगे जब उनके हाथ में मुआवजे की रकम आ  जाएगी। इनमें विधायक ननकीराम कंवर भी शामिल थे। प्रस्तावित सडक़ पर कंवर का एक राइस मिल और उनकी कुछ जमीन आ रही है। एनएच के अधिकारियों से वे नई नीति के मुताबिक चार गुना मुआवजा मांग रहे थे। यह मुआवजा तय नहीं हुआ तो उन्हें हाईकोर्ट जाना पड़ा। हाईकोर्ट के आदेश आने के बाद उनके लिए नया मुआवजा 2 करोड़ 34 लाख रुपया निर्धारित हुआ। पता चल रहा है कि उनको यह मुआवजा अभी कुछ दिन पहले मिल गया है और वे अपने मिल व जमीन को खाली करने जा रहे हैं। कंवर को देखकर बाकी किसानों ने भी हिम्मत जुटाई थी और कब्जा नहीं छोड़ रहे थे। अब कंवर जब खाली करने के लिए राजी हो गए हैं तो क्या बाकी किसान भी पीछे हट जाएंगे? एनएच के अफसरों को इसकी उम्मीद तो है, पर कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि प्रभावित किसान दर्जनों की संख्या में है और उनकी शिकायत अभी दूर नहीं हुई है।

 


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