राजपथ - जनपथ

रंग में भंग
चुनावी साल में छोटे-बड़े नेता अपने जन्मदिन पर शक्ति प्रदर्शन से पीछे नहीं है। कुछ दिन पहले पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और अन्य प्रमुख नेताओं का जन्मदिन समर्थकों ने उत्साहपूर्वक मनाया था। इससे परे सत्ताधारी दल के एक विधायक का जन्मदिन तनाव भरे माहौल में मनाया गया।
बताते हैं कि विधायक महोदय के जन्मदिन के दो दिन पहले ईडी ने समंस जारी कर पूछताछ के लिए बुलावा भेजा। महोदय के उम्मीद थी कि ईडी दो -चार घंटे में पूछताछ कर जाने देंगे। मगर ऐसा नहीं हुआ। ईडी की पूछताछ रूक-रूक कर चलती रही। समर्थकों ने घूम-घूमकर जन्मदिन के लिए जरूरी संसाधन जुटा लिए, लेकिन ईडी के जांच के चलते वैसा तामझाम नहीं हो पाया है। जिसकी तैयारी महीनेभर से चल रही थी।
कुछ इसी तरह बिलासपुर संभाग के एक विधायक ने तो कुछ हफ्ते पहले जन्मदिन के लिए समर्थकों के माध्यम से खूब चंदा एकत्र करवाया, लेकिन अंतिम में उन्होंने किन्हीं कारणों से जन्मदिन को सादगी से मनाने का फैसला लिया। अब कहा जा रहा है कि जो संसाधन जुटाए गए हैं, वो विधानसभा चुनाव के काम आएंगे।
खेल-खेल से पढ़ाने में फर्क
एक बड़े राजा की बेटी, 2 दिन से बीमार पड़ी, 3 संतरी दौड़े आए, 4 दवा की पुडिय़ा लाए, 5 मिनट में घोल बनाए, छह घंटे बाद पिलाई, 7 दिनों में आंखें खुली, 8 दिनों में मां से बोली, नौवें दिन फिर दौड़ लगाई, दसवें दिन पाठशाला आई। छोटे बच्चों को खेल-खेल में गणित जैसे विषय कैसे सिखाया जाए इसके लिए यह तरीका समग्र शिक्षा अभियान के तहत अन्य राज्यों के अलावा छत्तीसगढ़ में भी अपनाया जा रहा है। इसके लिए एफएलएन (फाउंडेशन लिटरेसी एंड चार्ट पेपर) किट की पूरे राज्य के प्रायमरी स्कूलों में सप्लाई होने वाली है। सरकारी स्कूलों में तो सत्र लगभग बीत जाने के बाद यह मार्च तक पहुंची। ग्रामीण क्षेत्रों के कई स्कूलों में तो यह पहुंची ही नहीं। बहुत से बच्चों और अभिभावकों को तो इसके बारे में मालूम भी नहीं है। दूसरी ओर इसी नए प्रयोग ने प्राइवेट स्कूलों के अभिभावकों पर बोझ डाल दिया है। लर्न बाइ फन नाम से किट और बुक उन्हें अपनी पसंद के प्राइवेट प्रकाशकों के थमाये जा रहे हैं। छोटे बच्चों की पढ़ाई का सवाल है। स्कूल प्रबंधन अनिवार्य बताता है इसलिए खरीदना भी पड़ रहा है। सरकारी स्कूलों के किट में गुणवत्ता पर सवाल है, खर्च नहीं करना है। पर प्राइवेट स्कूलों में गुणवत्ता की शिकायत कम लेकिन खर्चीला है।
हसदेव के तट पर रस्साकशी
खेलों के जरिये सामूहिकता, सहयोग और संवाद का कौशल विकसित होता है। नदी की धारा और तट हो तो ऐसे खेल और आकर्षक हो जाते हैं, जो उनके स्वास्थ्य और स्वाभाविक विकास में मदद करता है। कोरबा के समीप झोरघाट पर बच्चे रस्साकशी के खेल में लगे हुए हैं। इस बात से अनजान कि इस नदी को बचाने के लिए सरकार और तट के निवासियों के बीच कितनी रस्साकशी चल रही है। इन दिनों वैसे हर तरफ नदियों में हाईवा ट्रैक्टर उतरे हुए दिखाई दे रहे हैं, पर यहां रेत पर बच्चे खेलते नजर आ रहे हैं।
तिरंगे पर सियासत
राष्ट्रध्वज मे जो तीन रंग हैं, उन्हीं तीन रंगों का कांग्रेस पार्टी के झंडे में इस्तेमाल होता है। राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा की अलग पहचान इसके बीच के हिस्से में बने अशोक चक्र से होती है। कांग्रेस के झंडे में उसका चुनाव चिन्ह होता है। पर यदि सिर्फ तीन रंग हों, न ही अशोक चक्र न ही पंजे का निशान, तब उसे क्या समझा जाएगा? कोरबा में इसी बात को लेकर सियासत हो रही है। यहां पर बुजुर्गों के लिए एक सियान सदन बनाया गया। साज-सज्जा के दौरान इसमें एक पट्टी तिरंगे की भी बनाई गई। आरोप है कि नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने नगर-निगम के कर्मचारियों पर दबाव डाला, पट्टिका मिटा दी गई। प्रतिपक्ष के पार्षदों का कहना है कि सरकारी भवनों का कांग्रेसीकरण किया जा रहा है। भाजपा पार्षदों ने अपर आयुक्त से शिकायत की कि उनके वार्ड में कराए गए निर्माण कार्यों में कांग्रेसी पार्षदों का नाम लिखा जा रहा है। इधर कांग्रेसी पार्षदों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है, तिरंगे के अपमान की। अब पुलिस पेशोपेश में है कि जो तिरंगा मिटाया गया उसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान माना जा सकता है या नहीं।
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