राजपथ - जनपथ

मिजाज के मुताबिक दूरी
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह दो दिन बस्तर में थे। मगर प्रदेश भाजपा के दिग्गज रमन सिंह, नारायण चंदेल, अरुण साव, और बृजमोहन अग्रवाल स्वागत के लिए जगदलपुर नहीं पहुंचे, तो कानाफूसी शुरू हो गई। जबकि शाह के आगमन के मौके पर सारे नेता राज्य में ही थे। शाह का स्वागत बस्तर के स्थानीय नेताओं ने किया। ये बात अलग है कि अरुण साव दो दिन पहले दिल्ली में अमित शाह से मिलकर आए थे।
सुनते हैं कि मुलाकात के वक्त अमित शाह ने साव को साफ तौर पर बता दिया था कि वो सिर्फ सीआरपीएफ के कार्यक्रम के लिए आ रहे हैं, और पार्टी की कोई बैठक न रखी जाए। संकेत साफ थे कि स्थानीय नेताओं के अलावा कोई और स्वागत के लिए न आए। फिर भी दिग्गज नेता स्वागत के लिए जगदलपुर जाने के लिए तैयार बैठे थे।
आम तौर पर पार्टी के बड़े नेताओं, और केंद्रीय मंत्रियों का प्रवास होता है, तो प्रमुख नेताओं को कार्यक्रम का ब्यौरा भेजा जाता है। साथ ही प्रदेश कार्यालय से दिग्गजों को फोन कर सूचित किया जाता है। मगर शाह का दौरा कार्यक्रम प्रदेश कार्यालय तक तो पहुंचा, लेकिन किसी भी नेता को इसकी सूचना तक नहीं दी गई।
ऐसे में शाह के मिजाज को भांपते हुए दिग्गज नेताओं स्वागत-सत्कार से दूर रहना ही उचित समझा। शाह के जगदलपुर पहुंचने पर केदार कश्यप, और दक्षिण बस्तर के प्रमुख नेताओं ने स्वागत किया, और वापसी में पूर्व मंत्री लता उसेंडी समेत उत्तर बस्तर के नेता विदाई के लिए मौजूद थे। कुल मिलाकर सब कुछ शाह की इच्छा के मुताबिक हुआ।
नवरात्रि का आशीर्वाद आने को है
नवरात्र के बाद प्रशासन, और पुलिस में बड़े फेरबदल हो सकते हैं। इन सबके बीच रेरा चेयरमैन, और सदस्य की नियुक्ति के लिए चयन समिति की बैठक भी तय हो रही है। बैठक की तिथि तय करने के लिए विभाग ने विधि विभाग के प्रमुख सचिव को फाइल भेज दी है। जस्टिस संजय के अग्रवाल चयन समिति के चेयरमैन हैं, और उन्होंने अभी बैठक के लिए समय नियत नहीं किया है। सूचना आयोग में भी दो नियुक्तियों का इंतज़ार है, इसकी क़तार में भी अफ़सर-पत्रकार लगे हुए हैं।
चेयरमैन, और सदस्य के लिए करीब दो दर्जन आवेदन आए हैं। इनमें रिटायर्ड जजों के अलावा आईएएस, और पूर्व आईपीएस व आईएफएस अफसर शामिल हैं। आईएफएस अफसरों में रिटायरमेंट के करीब आ चुके अफसरों ने भी आवेदन दिए हैं। दूसरी तरफ, प्रशासन मे दो-तीन कलेक्टरों के अलावा राजभवन में अमृत खलको की जगह नए सचिव की पदस्थापना की जा सकती है। सचिव स्तर के कुछ अफसरों के प्रभार बदले जा सकते हैं। इसी तरह पुलिस में भी तीन-चार एसपी स्तर के अफसरों को बदला जा सकता है। ईओडब्ल्यू-एसीबी प्रमुख डीएम अवस्थी भी 31 तारीख को रिटायर हो रहे हैं। चर्चा है कि उन्हें संविदा नियुक्ति मिल सकती है। फिर भी ये फेरबदल अंतिम नहीं होगा, इसके बाद भी चुनाव को देखते हुए काफी कुछ होना बाकी है।
मीडिया के सवालों ने किया बेचैन
मिशन 2023 के विधानसभा चुनाव और उसके बाद सन् 2024 में केंद्र में दोबारा मोदी सरकार को लाने के लिए भाजपा दसों दिशाओं से मेहनत कर रही है। कोशिश होती है कि पार्टी के एजेंडा पर लोगों का माइंड सेट किया जा सके। राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा भी हाल में छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों का भ्रमण करके लौटी हैं। इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में लव जेहाद हो रहे है। सरकार के संरक्षण में तथाकथित धर्म के लडक़े हिंदू बनकर हिंदू लडक़ी से शादी कर ली।
आरोप बड़ा था। पत्रकारों के पास ऐसी किसी घटना की जानकारी नहीं थी। उन्होंने पूछ लिया कि यह छत्तीसगढ़ के किस जगह की घटना है और कब की है? आयोग अध्यक्ष ने अपने अगल-बगल देखा तो कोई जवाब नहीं मिला। रेखा शर्मा बोलीं-जगह के बारे में तो मालूम नहीं, पर घटना हुई है। पत्रकारों ने कहा कि घटना के तथ्य ही आपको पता नहीं है तो आरोप कैसे लगा रही हैं, उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
महिला के प्रति अपराध के मामले में उन्होंने गुजरात मॉडल की तारीफ शुरू की। कुछ पत्रकार इस पर भी तैयारी से आए लग रहे थे। उन्होंने कहा कि एनसीआरबी का रिकॉर्ड तो कहता है ऐसे सर्वाधिक अपराध वाले राज्यों में तो दिल्ली, हरियाणा, बिहार, गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं। यानि छत्तीसगढ़ तो शीर्ष राज्यों में है ही नहीं, गुजरात जरूर है।
अब जवाब न देकर भाजपा नेत्री ने पत्रकार की तरफ इशारा करते हुए कहा कि मुझे मालूम है आप किसके कहने पर सवाल कर रही हैं। पर पत्रकारों का सवाल रुका नहीं। उनके हर वक्तव्य पर काउंटर सवाल होने लगे। वे असहज होने लगीं और आखिरकार अचानक प्रेस कॉफं्रेस छोडक़र उठ गईं। बाद में भाजपा के नेता मीडिया के कुछ लोगों से कहते नजर आए, प्लीज, खबर जरा नरमी से बना लेंगे।
मांडणा भित्ति चित्रकला...
भित्ति चित्रकला देश के अलग-अलग भागों में भिन्न-भिन्न रूपों में देखने को मिल जाती है। मिट्टी की दीवार पर की जा रही इस इस चित्रकारी का नाम मांडणा है। राजस्थान और मध्यप्रदेश में बसे मीणा समुदाय के लोग इस कला में पारंगत हैं। देवी देवताओं के स्वागत के लिए और मांगलिक कार्यों के दौरान दीवारों को ऐसी चित्रकारी से सजाया जाता है। राजस्थान से सटे मध्यप्रदेश के जिलों में ऐसी तस्वीरें इन दिनों दिख रही है, जिसे एक सैलानी ने अपने सोशल मीडिया पेज पर शेयर किया है।
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