राजपथ - जनपथ

चैलेंज पूरा किया मरकाम ने...
भाजपा के चैलेंज को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने अपने पहले दिन की यात्रा में ही पूरा करके दिखा दिया। भाजपा अध्यक्ष अरुण साव ने उनके इस दावे को झूठा करार दिया था कि वे एक दिन में 50 किलोमीटर पैदल चल सकते हैं। पर, मरकाम ने यात्रा के पहले दिन कोंडागांव से बस्तर तक के 52 किलोमीटर की दूरी तय की। साव को वहां की जिला कांग्रेस कमेटी ने पदयात्रा में साथ चलने का निमंत्रण भी दे दिया था। पर भाजपा ने इस धार्मिक कहे जाने वाली यात्रा के पीछे की राजनीति को समझ लिया। भले ही इसकी शुरूआत उसने खुद की थी। हाल ही में मरकाम राहुल गांधी से पदयात्रा में जाकर मिले थे। उन्हें बताया कि वे पिछले 5 साल से पैदल ही दंतेश्वरी मां का दर्शन करने जाते हैं। मरकाम की कुल यात्रा 170 किलोमीटर की है। शेड्यूल के मुताबिक 27 सितंबर को उन्हें ग्राम बस्तर से निकलकर 50 किलोमीटर मावलीभाठा पहुंचना है। आज दोपहर में वे 22 किलोमीटर चलकर जगदलपुर पहुंच चुके थे। तीसरे दिन 45 किलोमीटर चलकर गीदम और चौथे दिन 15 किलोमीटर चलकर दंतेश्वरी मंदिर पहुंच जाएंगे। पदयात्रा के अभ्यस्त मरकाम राहुल गांधी की 3500 किलोमीटर से अधिक लंबी यात्रा के सबसे भरोसेमंद सहयात्रियों में एक हो सकते हैं। अपने पद की सुरक्षा को लेकर कोई फिक्र न हो तो उन्हें इसमें शामिल होना चाहिए। फिलहाल तो रायपुर में मरकाम के बंगले पर बवाल होने की खबर है। युवा मोर्चा के पदाधिकारी राजनांदगांव से राजधानी पैदल पहुंचकर कह रहे हैं कि उन्होंने मरकाम की चुनौती पूरी कर दी है।
फिर क्यों नौबत आ रही जंगल काटने की..
ऊर्जा की जरूरतों के नाम पर भारी विरोध के बावजूद जंगल नष्ट किए जा रहे हैं पर हाल ही में जारी नवीनकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की एक रिपोर्ट को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है। इसमें बताया गया है कि छत्तीसगढ़ बिना प्रदूषण, विस्थापन और जंगलों के दोहन के 22 हजार 178 मेगावाट बिजली पैदा कर सकता है। इसका अलग-अलग आंकड़ा भी दर्शाया गया है। इसके अनुसार सौर ऊर्जा से सर्वाधिक 18 हजार 270 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता छत्तीसगढ़ में है। इसके बाद बड़ी जल विद्युत परियोजना से 2202 मेगावाट, छोटी जल विद्युत परियोजना से 1098 मेगावाट, पवन विद्युत परियोजना से 348 मेगावाट, जैव विद्युत से 236 मेगावाट तथा अपशिष्ट ऊर्जा से 24 मेगावाट बिजली पैदा की जा सकती है। यह छत्तीसगढ़ की अधिकतम आवश्यकता 5000 मेगावाट से काफी ज्यादा है। अतिरिक्त बिजली अन्य राज्यों में बेची जा सकती है। पर इस पर बहुत धीरे काम हो रहा है। राज्य अक्षय ऊर्जा विभाग क्रेडा का आंकड़ा है कि करीब 436 मेगावट का उत्पादन गैर पारंपरिक स्त्रोतों से हो रहा है। हाल ही में सरकार ने सौर ऊर्जा को प्रोत्साहित करने के लिए लीज पर निजी जमीन लेने और क्रेडा के माध्यम से उत्पादन करने की योजना बनाई है। सरकार शायद इस दिशा में और तेजी से काम करे तो कोयले के विशाल भंडार के कारण प्रदूषण, विस्थापन व पर्यावरण संकट से जूझ रहे छत्तीसगढ़ को बचाने में मदद मिले।
rajpathjanpath@gmail.com