राजनांदगांव

बूढ़ासागर में 2 साल से ब्लीचिंग पाउडर डालना भूला निगम
08-Nov-2025 4:22 PM
बूढ़ासागर में 2 साल से ब्लीचिंग पाउडर डालना भूला निगम

सैकड़ों मछलियों की मौत के बाद मत्स्य विभाग ने की सफाई, डाला चूना-पोटाश
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 8 नवंबर।
राजनांदगांव की ऐतिहासिक बूढ़ासागर तालाब में ढ़ेरों मछलियों के मरने की घटना के बाद नगर निगम की एक बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। जिसमें दो साल से नगर निगम ने सरोवर के पानी की शुद्धता को बनाए रखने के लिए ब्लीचिंग पाउडर नहीं डाला। जिसके चलते सिवरेज वॉटर सरोवर के पानी में मिल गया।

गंदगी और अन्य रासायनिक वस्तु के चलते सरोवर का पानी मछलियों के लिए मौत का कारण बन गया। लंबे समय से सिवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का मामला भी अटका पड़ा हुआ है। ऐसे में बूढ़ासागर का पानी मत्स्य पालन के लिहाज से खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। मछुवा समिति को लाखों रुपए का नुकसान भी हुआ है। उधर मत्स्य विभाग ने मछलियों के मरने की घटना के बाद सरोवर में 10 क्विंटल चूना और 12 किलो पोटाश डाला है। मत्स्य विभाग की ओर से सरोवर की साफ-सफाई भी की गई है। हाल ही के वर्षों में मछलियों के मरने की यह दूसरी घटना है। मछली पालन व्यवसाय से जुड़े मछुवारों के लिए यह घटना आर्थिक रूप से परेशानी खड़ी करने वाली साबित हुई है।

मिली जानकारी के मुताबिक सरोवर में सिवरेज प्लांट के स्थापना को लेकर भी लंबे समय से मांग उठती रही है। बूढ़ासागर के सौंदर्यीकरण के लिए अब तक करोड़ों रुपए फूंक गए हैं। इसके बावजूद सरोवर की सुंदरता धरी की धरी रह गई। साथ ही मछलियों के लिए पानी अनुकूल नहीं रह गई है। इसके पीछे वजह बताई जा रही है कि शहर का दूषित पानी सीधे सरोवर में जा रहा है। ऐसे में गंदगी के चपेटे में आने से सरोवर का जल आक्सीजन शोषित करने की स्थिति में नहीं है। जिसका सीधा असर मछलियों के जीवन पर पड़ा है। बताया जा रहा है कि तालाब में लगातार गंदा पानी जा रहा है। जिसके कारण आक्सीजन की मात्रा पानी से लगभग खत्म हो गई। दूषित जल मिलने से पानी गाढ़ा भी हो गया है। ऐसे में तरलता की मात्रा खत्म होने से भी मछलियों की मौते हुई है।

इस संबंध में मत्स्य विभाग के सहायक संचालक एसके साहू ने ‘छत्तीसगढ़’ को बताया कि सरोवर का पानी बेहद ही दूषित हालत में है। इसके चलते मछलियों की मौत हुई है। उन्होंने कहा कि गंदगी के चलते सरोवर का पानी जहरीला हो गया है। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से चूना और पोटाश पानी में डाला गया है, ताकि जल की शुद्धता बढ़े।

उधर नगर निगम आयुक्त अतुल विश्वकर्मा ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि मत्स्य विभाग इस घटना को लेकर सही जानकारी दे सकता है। निगम की इसमें कोई जिम्मेदारी नहीं है। इस बीच नगर निगम की लापरवाही भी सामने है। जिसमें दो साल से ब्लीचिंग पाउडर सरोवर में नहीं डाला गया है। बहरहाल मछलियों की मौत के कारण सरोवर के समीप दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। हालांकि आज साफ-सफाई होने के कारण दुर्गंध में कमी आई है।

प्लास्टिक व पूजन सामग्रियों के कचरे से पानी जहरीला
बूढ़ासागर का एक किनारा प्लास्टिक और पूजन सामग्रियों के कचरे से अटा पड़ा है। धार्मिक कार्यों के बाद पूजन सामग्रियों को सरोवर में विसर्जित किया गया। वहीं प्लास्टिक का भी ढ़ेर लगने से सरोवर का पानी जहरीला हो गया है। इसके चलते भी मछलियों के लिए परिस्थितियां प्रतिकूल बन गई है। दिग्विजय कॉलेज के मुख्य द्वार से सटे सरोवर का किनारा कचरों से अटा पड़ा है। लंबे समय से साफ-सफाई नहीं होने से बूढ़ासागर का पानी गहरे हरे रंग में बदल गया है। ऐसे में मछली पालन के लिए परिस्थिति अनुकूल नहीं रह गई है। बताया जा रहा है कि मछुवा समिति यथासंभव सरोवर की सफाई का प्रयास करती है। जबकि नगर निगम की साफ-सफाई में रूचि नहीं है।

 


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