राजनांदगांव

एनएचएम और मितानिनों के अनिश्चितकालीन हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ी
09-Sep-2025 4:20 PM
एनएचएम और मितानिनों के अनिश्चितकालीन हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ी

मैदानी अमले में दिख रहा हड़ताल का प्रतिकूल असर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजनांदगांव, 9 सितंबर। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारियों और मितानिनों के अनिश्चितकालीन हड़ताल ने स्वास्थ्य महकमे की रीढ़ को तोडक़र रख दिया है। मैदानी अमले पर हड़ताल का सीधा प्रतिकूल असर दिख रहा है।

मितानिनों की गैरमौजूदगी से सर्दी-खांसी जैसे मामूली मौसमी बीमारियों के लिए दवाईयां मरीजों के पहुंच से दूर हो गई है। जबकि एनएचएम कर्मी भी अपनी मांगों को लेकर लगभग 20 दिन से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हैं। एनएचएम कर्मियों के जरिये स्वास्थ्य विभाग कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजनाओं का क्रियान्वयन करता है। जिसमें कई गंभीर बीमारियों का इलाज व अन्य सुविधा शामिल है। दोनों  वर्ग के कर्मचारियों के हड़ताल ने स्वास्थ्य विभाग के लिए परेशानी खड़ी कर दी है।

एनएचएम पर केंद्रीय स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन का भार रहता है। गत् 18 अगस्त से कर्मचारी हड़ताल पर बैठे हैं। केंद्र और राज्य सरकार का ध्यान खींचने के लिए एनएचएम के कर्मचारी कभी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का मुखौटा लगाकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इसके अलावा सरकार को सतबुद्धि देने महायज्ञ, रैली और पकोड़े तलकर अपनी  हालत को प्रदर्शित कर रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के कर्मचारी पिछले डेढ़ दशक से संविदा में कार्यरत हैं। उनकी 10 सूत्रीय मांगों में नियमितीकरण, मेडिकल भत्ता व अन्य मांग शामिल हैं। इस बीच स्वास्थ्य विभाग की महत्वपूर्ण कड़ी माने जाने वाली मितानिनों ने भी हड़ताल के माध्यम से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। मितानिन राज्य सरकार पर चुनाव के दौरान किए गए घेाषणाओं के तहत वेतन वृद्धि से लेकर अन्य मुद्दों को लेकर आंदोलनरत हैं। मितानिनों के हड़ताल में चले जाने से ग्रामीणों को मामूली रोगों के लिए दवाईयां नहीं मिल रही है। ऐसे में ग्रामीण छोलाछाप डॉक्टरों के शरण में जाने मजबूर हैं।


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