राजनांदगांव
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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनंादगांव 5 जुलाई। भारत रत्न स्व. श्री अटल बिहारी वाजपेयी मेमोरियल शासकीय मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव में एक ई-पाठशाला के माध्यम से सर्प काटने के बचाव की अहम जानकारी प्रमुख चिकित्सकों द्वारा साझा की गई। पाठशाला में विशेषज्ञ चिकित्सक अपना ज्ञान और अनुभव इंटरनेट के माध्यम से साझा कर रहे हैं।
वैसे तो समय-समय पर इस प्रकार के आयोजन होते रहते हैं। जिसमें नित नई बीमारियों से बचाव, बीमारी के लक्षण के विषय में चर्चा चलते रहती है। इसी कड़ी में शहर के मेडिकल कॉलेज में इस ई-पाठशाला के माध्यम से पाठशाला के तीसरे चरण में मेडिकल कॉलेज मेडिसिन विभाग के सबसे जुझारू और कर्मठ डॉक्टर मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रकाश खूंटे ने कार्यक्रम के माध्यम से जुड़े 150 से अधिक पेशेवर डॉक्टर, मेडिकल के शिक्षक और मेडिकल कॉलेज के अध्यनरत छात्रों को सांप के काटने पर मरीज को कैसे बचाया जाए, अपने ज्ञान और अनुभव को साझा किया।
आमतौर में बरसात के मौसम से धरती के गर्भ में रहने वाले जहरीले कीड़े-मकोड़े, जीव-जंतु बाहर आ जाते हैं और इनके काटने से समय पर उपचार नहीं मिलने से मरीज की मौत हो जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे जीव-जंतु (सांप) के काटने पर ग्रामीण ज्यादा झाड़-फूंक में विश्वास करते हैं और जब मरीज ठीक नहीं हो पाता, तब ग्रामीण हॉस्पिटल का रूख करते हैं, लेकिन तब तक काफी देर हो की होती है और मरीज इलाज के आभाव में दम तोड़ देता है।
इस कार्यशाला में सीएससी, पीएससी, जिला अस्पताल के डॉक्टर और मेडिकल कॉलेज में अध्यनरत छात्रों ने डॉ. प्रकाश खूंटे द्वारा दी गई जानकारी को हासिल किया। आयोजन में डॉ. प्रकाश खूंटे ने इस पाठशाला में सांप के जहर का प्रकार, नैदानिक लक्षण, आपातकालीन हस्तक्षेप, साक्ष्य आधारित उपचार प्रोटोकॉल की जानकारी दी।
इस ई-पाठशाला की अध्यक्षता आईएमए छत्तीसगढ़ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. शरद पाटनकर और राजनांदगांव के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नवरतन नेतराम ने की। आयोजन में मुख्य रूप से मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव के डीन डॉ. पंकज मधुकर लुका, हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. अतुल मनोहर राव देशकर, शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल कॉलेज भिलाई के डीन डॉ. प्रकाश वाकोड़े और अभिषेक मिश्रा मेमोरियल मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च सेंटर के डीन डॉ. अनिल शेरके मौजूद थे।