राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 17 मई। कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव एवं कृषि विभाग राजनांदगांव के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना एवं प्राकृतिक खेती से संबंधित जागरूकता गतिविधियों के अंतर्गत एक दिवसीय प्राकृतिक खेती जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र में किया गया।
प्रशिक्षण में जिले की कृषि सखियों को केन्द्र की वैज्ञानिक अंजलि घृतलहरे द्वारा रासायनिक खेती के दुष्प्रभाव के बारे में बताया गया और प्राकृतिक खेती से होने वाले स्वास्थ्यगत लाभ के बारे में अवगत कराया गया। उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती में गोबर एवं गौ मूत्र का उपयोग कर बीजामृत, घन जीवामृत एवं जीवामृत तैयार कर बीजोपचार एवं सम्पूर्ण खेती में इसका उपयोग कर मृदा की उपजाऊ क्षमता एवं मृदा में उपस्थित विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव एवं देशी केचुओं की संख्या में वृद्धि होती है।
पोषक तत्वों की उपलब्धता को बढ़ाने में मृदा में उपस्थित जीवों का बहुत महत्व होता है। प्राकृतिक खेती मे कीड़े व बीमारी से बचाव के लिए निमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्नि अस्त्र, दशपर्णी बनाने की सम्पूर्ण विधि एवं उपयोग के बारे में बताया गया। प्रशिक्षण में कृषि सखियों को जीवामृत एवं घनजीवामृत बनाने की विधि का प्रोयोगिक प्रशिक्षण दिया गया।
इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. गुंजन झा, कृषि विभाग से ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी श्री याजवेन्द्र कटरे एवं केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. अतुल डांगे, डॉ. नूतन रामटेके, मनीष कुमार सिंह एवं डॉ. योगेंद्र श्रीवास एवं जीतेंद्र मेश्राम उपस्थित थे।