राजनांदगांव

बढ़ते तापमान से रातें भी गर्म, दोपहर से पहले सडक़ों पर सन्नाटे से कर्फ्यू का अहसास
22-Apr-2025 1:09 PM
बढ़ते तापमान से रातें भी गर्म, दोपहर से पहले सडक़ों पर सन्नाटे से कर्फ्यू का अहसास

अप्रैल में 44 डिग्री के करीब पहुंचा पारा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 22 अप्रैल।
अप्रैल के महीने में पड़ रही भीषण गर्मी से लोगों की दिनचर्या पर प्रतिकूल असर पड़ा है। बढ़ते तापमान के साथ रातें भी गर्म होने लगी है। दिन में दोपहर से पहले सडक़ें सूनी नजर आ रही है। सडक़ों में सन्नाटा पसरने से कफ्र्यू जैसी स्थिति  का अहसास हो रहा है। पिछले दो-तीन दिनों से तापमान  अधिकतम 43 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। यानी अगले एक-दो दिन में तापमान 44 से 45 डिग्री तक बढ़ सकता है। 

मौसम के शुष्क होने के कारण सूर्य आग उगल रहा है। चिलचिलाती धूप में मजदूर वर्ग को सेहत के लिहाज से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बीते तीन दिनों में भीषण गर्मी ने लोगों को पस्त कर दिया है। गर्म हवाओं के चलने के कारण दिन में पारा रिकार्डतोड़ स्तर तक पहुंच गया है। जबकि  रातें भी गर्म हवाओं के चपेटे में है। रात को ठंडकता की जगह अब गर्म हवाओं ने जगह ले ली है।

बताया जा रहा है कि जिस तरह से अप्रैल में प्रचंड गर्मी ने लोगों को हलाकान कर रखा है। वहीं मई का पूरा महीना भी तेज गर्मी और लू की चपेट में रहेगा। मई  में भीषण गर्मी पडऩे की आशंका के साथ लोगों की चिंता भी बढ़ गई है।

 

 

गर्म हवाओं के थपेड़ों से बचने के लिए दिन चढऩे से पहले ही दैनिक काम कर घरों में दुबक रहे हैं। दोपहर से शाम करीब 5 बजे तक लोग घरों में रहने के लिए विवश हैं। 
एक जानकारी के मुताबिक अगले एक-दो दिन में स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। भीषण गर्मी की मार से हर तबके के कारोबार को भी झटका लग रहा है। दिन के साथ-साथ रात के तापमान में भी बढ़ोत्तरी हो रही है। बीते कुछ दिनों से रात का तापमान 27 से 28 डिग्री तक बढ़ गया है।

अप्रैल की शुरूआत से लेकर आज पर्यन्त प्रचंड गर्मी बरकरार है। ऐसे में मई में पडऩे वाली गर्मी को लेकर लोग फिक्रमंद हो गए हैं। 
उधर, दोपहर के बाद सडक़ों में आवाजाही भी ठप हो गई है। शहर के बाहरी मार्गों में घंटों सूनापन देखा जा सकता है। सडक़ों में लोगों की गैरमौजूदगी कफ्र्यू का अहसास करा रही है।



स्कूल बंद करने की मांग - फडऩवीस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक फडऩवीस ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि सरकार की मंशा बच्चों को भीषण गर्मी में भी स्कूल जाने मजबूर क्यों कर रही है। कारण की उन पर निजी संस्थाओं के स्कूलों का दबाव इतना रहता है कि वे अपना निर्णय बच्चों के हित को भी नजर अंदाज करना पड़ता है। जिम्मेदार एसी में बैठे रहते हैं। उन्हें गर्मी का अहसास ही नहीं होता, वे क्या बच्चों का दर्द महसूस करेंगे।

स्कूल जाने वाले बच्चों पर इस भीषण गर्मी में उनका क्या हाल हो रहा होगा, क्योंकि जिम्मेदार और पूंजीपतियों के बच्चे एसी मकान, एसी गाड़ी, एसी दफ्तर के साथ उनके बच्चे एसी स्कूल में पढ़ते हैं तो तकलीफ का अहसास कहां से होगा। मुख्य कारण यह है कि जब तक निजी स्कूलों में पढऩे वाले सभी क्लास के बच्चे किताब, ड्रेस, जूते के साथ अन्य सामग्री की खरीदी निर्धारित दुकान से न कर ले, तब तक शिक्षण संस्थानें चालू ही रहेंगे। आपके शहर का वर्तमान में 43 डिग्री तापमान हो या 50 डिग्री क्यों न हो जाए, मर्जी तो निजी स्कूलों की ही चलेगी। जनाब आप छापते रहो या शिकायत करते रहे, हम तो अपनी मर्जी के मालिक हैं।


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