राजनांदगांव

पांडे की खुली किताब और डाकलिया को महज
28-Jan-2025 2:36 PM
 पांडे की खुली किताब और डाकलिया को महज

100 वोटों से मिली जीत आज भी लोगों के जेहन में

प्रदीप मेश्राम

राजनांदगांव, 28 जनवरी (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। राजनांदगांव नगर निगम का चुनावी इतिहास काफी दिलचस्प रहा है। नगर निगम में 1995 से आज पर्यन्त तक हुए चुनावी परिणाम काफी उलटफेर से भरे रहे। अब तक 9 महापौर ने निकाय को सम्हाला है। नगर निगम की राजनीति में कई मंझे हुए खिलाडिय़ों को चुनावी शिकस्त भी झेलनी पड़ी। वहीं कुछ नेताओं ने अप्रत्याशित तरीके से बाजी मारकर विरोधी दल को चारों खाने चित्त कर दिया। 

वैसे तो हर निकाय चुनाव में कांग्रेस-भाजपा के बीच ही सीधा मुकाबला रहा है, लेकिन साल 1999 में हुए  महापौर की कुर्सी काफी ऐतिहासिक रही। कांग्रेस और भाजपा को मात देकर एक निर्दलीय प्रत्याशी विजय पांडे ने जीत हासिल कर इतिहास बना दिया। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने से खफा विजय पांडे ने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर किस्मत आजमाई। उनका चुनाव चिन्ह खुली किताब छाप काफी लोकप्रिय रहा। 

खुली किताब ने कांग्रेस और भाजपा के छक्के छुड़ा दिया। कांग्रेस के कुतबुद्दीन सोलंकी और भाजपा के खूबचंद पारख को उम्मीद से परे हार का सामना करना पड़ा। कुतबुद्दीन सोलंकी दूसरे स्थान पर रहे। जबकि खूबचंद पारख तीसरे नंबर पर खिसक गए। इस चुनाव में निर्दलीय परचम लहराकर पांडे ने अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूत किया। वह 2003 तक महापौर रहे। बाद में पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अजीत जोगी से राजनीतिक अनबन के चलते उन्हें भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया। चुनाव चिन्ह खुली किताब  आज भी लोगों की जुबां पर है। निर्दलीय चुनाव जीतने के बाद पांडे काफी सुर्खियों में रहे। 

इसी तरह साल 2010 में एक रोचक मुकाबले में कांग्रेस के नरेश डाकलिया ने सिर्फ 100 वोटों के अंतर से भाजपा के अशोक चौधरी को मात दी। यह जीत ऐसे वक्त में मिली, जब राज्य में रमन सरकार का दबदबा था। वहीं स्थानीय राजनीति में लालबत्ती धारियों का बोलबाला था। इसके बावजूद भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। यह हार भाजपा के लिए आज भी अप्रत्याशित मानी जाती है। 100 वोटों से जीत हासिल कर डाकलिया ने अपना राजनीतिक लोहा मनवाया।  डाकलिया ने 2010 से 2015 के बीच अपने कार्यकाल को निर्विवाद रूप से संचालित किया। राज्य सरकार से उनके अच्छे रिश्ते रहे। लिहाजा निगम के कर्मियों और शहर विकास के लिए पैसों की तंगी कभी आड़े नहीं आई। डाकलिया को चुनाव रण में घेरने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने भी अपनी ताकत झोंकी थी। इस चुनाव में मिली हार को एक तरह से डॉ. सिंह के व्यक्तिगत हार से जोडक़र भी देखा गया। 100 वोटों के अंतर से मिली हार को भाजपा आज तक भूल नहीं पाई है। ऐसे में राजनांदगांव नगर निगम का चुनावी इतिहास उलटफेर के साथ दिलचस्प रहा है। 

1999 में निर्दलीय चुनाव जीते पांडे ने रचा था इतिहास, 2010 में डाकलिया ने सत्ता के खिलाफ मारी थी बाजी 

राजनांदगांव नगर निगम में अब तक के महापौर
क्र. नाम         पद कार्यकाल
1 शरद वर्मा महापौर 05/01/1999
-14/04/1996
2 अजीत जैन महापौर 15/04/1996
-04/01/2000
3 विजय पांडे महापौर 05/01/2000
-26/06/2003
4 सुदेश देशमुख महापौर 27/06/2023
-03/02/2004
5 मधुसूदन यादव महापौर 04/02/2004
-04/01/2005
6 शोभा सोनी महापौर 05/01/2005
-01/01/2010
7 नरेश डाकलिया महापौर 02/01/2010
-11/01/2015
8 मधुसूदन यादव महापौर 19/01/2015
-03/01/2020
9 हेमा सुदेश महापौर 03/01/2020-
देशमुख 04/01/2025
 


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