राजनांदगांव
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‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 14 जनवरी। मकर संक्रांति पर्व पर शहर के शिवनाथ नदी तट पर लोगों की आस्था की डुबकी लगाई। मंदिरों में पूजा-अर्चना के बाद दिनभर दान-पुण्य कर लोगों ने परिवार की खुशहाली की कामना की। संक्रांति के खास मौके पर तिल और गुड की मांग बाजार में बनी रही। तिल से बने लड्डुओं से देवी-देवताओं को भोग लगाया गया।
मकर संक्रांति के दिन स्नान करने से पुण्य मिलने की परंपरा रही है। लोक मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना कर तिल के लड्डु वितरण करने से मनवांछित फल मिलता है।
मकर संक्रांति पर्व पर शहर के शीतला मंदिर, शनिदेव मंदिर समेत अन्य मंदिरों में भक्तों ने पहुंचकर घर-परिवार की खुशहाली कर पूजा-अर्चना की। वहीं मंदिर के बाहर बैठे लोगों को दान-पुण्य किया। ज्ञात हो कि मकर संक्राति पर्व के एक दिन पहले सोमवार को तिल से निर्मित लड्डुओं की मांग बाजार में बनी रही। वहीं मंगलवार को बाजार में तिल और गुड के लड्डुओं की मांग रही और लोग एक-दूसरे को तिल-गुड के लड्डु खिलाकर पर्व की बधाई दी। इस साल 14 जनवरी को मकर संक्राति पर्व को मनाया गया।
शहर के अलग-अलग इलाकों में लोग तिल और गुड से निर्मित लड्डुओं की बिक्री करने के लिए पहुंचते रहे। लोक मान्यता है कि मकर संक्राति पर्व में तिल से निर्मित लड्डुओं का भोग चढ़ाने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। साथ ही इस दिन खुले मन से लड्डुओं के दान-पुण्य करने से भी घरों में खुशहाली आती है। माना जाता है कि मकर संक्राति पर्व के बाद सूर्य उत्तरायण का रूख करते हैं। इसके बाद मौसम के मिजाज में भी बदलाव आता है।
इस बीच मकर संक्रांति पर्व पर मंगलवार को सरोवरों में सुबह बड़े पैमाने पर श्रद्धालुओं डुबकी भी लगाई। साथ ही मंदिरों में आज पूरे दिन विशेष पूजा-अर्चना का दौर चलता रहा। लोगों में उक्त लड्डुओं की खरीदी को लेकर बेहद उत्साह है।
पतंग की खरीदी करने लोगों में उत्साह
मकर संक्रांति पर्व पर बड़े पैमाने पर पतंग की बिक्री हुई। वहीं पतंग की दुकानों में बच्चों से लेकर युवा वर्ग पतंग की खरीदी करने पहुंचते रहे। मकर संक्रांति पर्व पर पतंग की डिमांड को लेकर शहर में इन दिनों पतंगों की दुकानें सजी हुई है, जो इस पर्व को खास बनाई। मकर संक्रांति पर्व पर युवा वर्ग आसमान में पतंगों को उड़ाकर आनंद लिया। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन भगवान श्रीराम ने जो पतंग उड़ाई थी वह इंद्रलोक तक पहुंच गई थी। इसी को दृष्टिगत रखते सुख-समृद्धि और संपन्नता की कामना को लेकर पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू हुई है।