राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 24 नवंबर। खराब सडक़ों ने शहर के बाशिंदों की हालत खराब कर रखी है। शहर के भीतरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण वार्डों की सडक़ों से डामर गायब हो गया है। नतीजतन उबड़-खाबड़ रास्तों से लोगों का दम निकल रहा है। आने वाले कुछ महीनों के भीतर निकाय चुनाव प्रस्तावित है। ऐसे में यह एक बड़ा चुनावी मुद्दा होगा।
नगर निगम के अधीन ठेकेदारों ने सडक़ों के दुरूस्तीकरण से मुंह मोड़ लिया है। ठेकेदारों की मनमानी रोकने में निगम के अफसर नाकाम रहे हैं। जिसके चलते खराब सडक़ों में आवाजाही के लिए शहर की एक बड़ी आबादी को तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है।
बताया जा रहा है कि निर्माण कार्यों को पूरा कराने में नगर निगम का प्रशासनिक तंत्र लगभग फेल हो गया है। सडक़ों के पेंचवर्क के लिए टेंडर हासिल करने वाले ठेकेदारों ने काम की शुरूआत नहीं की है।
इस संबंध में नगर निगम आयुक्त अतुल विश्वकर्मा ने ‘छत्तीसगढ़’ से कहा कि वर्कआर्डर नहीं हुआ है। बाकी की जानकारी ऑफिस टाईम में बता पाउंगा।
बताया जा रहा है कि पेंचवर्क का काम लंबे समय से अटका पड़ा हुआ है। पेंचवर्क के लिए राज्य सरकार ने निगम को डेढ़ करोड़ भी दिए हैं। 60 से अधिक सडक़ों का पेंचवर्क के जरिये मरम्मत करना है। कई वार्ड के पार्षदों ने इस मामले को लेकर कई दफे निगम आयुक्त से लिखित तौर पर आवेदन भी दिया है।
एक जानकारी के अनुसार शहर में डामरीकरण का भी प्रस्ताव अटका पड़ा है। डामरीकरण से पूर्व पेंचवर्क से लोगों को राहत दिलाने का प्रयास भी है, लेकिन ठेकेदारों के सामने अधिकारियों की चल नहीं रही है। ठेकेदारों पर सख्ती करने के लिए औपचारिक तौर पर अफसर नोटिस जारी कर रहे हैं। जवाब में ठेकेदार मामले को टालने से परहेज नहीं कर रहे हैं। कुल मिलाकर अफसर बार-बार ठेकेदारों के सामने झुके हुए नजर आ रहे हैं।
निर्माण कार्य कराने में निगम प्रशासन का प्रशासनिक सिस्टम मजबूत नहीं दिख रहा है। जिसका फायदा ठेकेदार उठा रहे हैं। ठेकेदारों का अपना एक राजनीतिक प्रभाव भी है। अपने संपर्कों के जरिये ठेकेदार अफसरों को फोन कराकर अपना वर्चस्व भी जाहिर कर रहे हैं। आने वाले दिनों में डामरीकरण होने के दावे किए जा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि राज्य सरकार ने डामरीकरण के लिए 10 करोड़ रुपए भी स्वीकृत कर दिए हैं। अधिकारियों ने दिवाली के बाद डामरीकरण कराने का दावा किया था। दिवाली पर्व गुजरे लगभग एक माह होने जा रहा है। डामरीकरण तो दूर पेंचवर्क कराने में भी निगम प्रशासन नाकाम रहा है। शहर का अंदरूनी रास्तों में गड्ढे उभर आए हैं। वहीं बाहरी वार्डों की सडक़ें भगवान भरोसे है।