राजनांदगांव
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घर-आंगन में सजी रंगोली, जगह-जगह फूटे पटाखे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 13 नवंबर। छोटी दिवाली पर मंगलवार को घरों में खुशियां बिखरी रही। देवउठनी एकादशी पर्व तुलसी विवाह को लेकर अंचल समेत शहरों में हर्षोल्लास का माहौल रहा। लोगों ने घर-आंगन में रंगोली सजाकर और दीपों की रौशनी की। इस मौके पर घर -परिवार में मांगलिक आयोजनों की कामना भी की गई।
दीपावली पर्व के बाद मंगलवार को देवउठनी एकादशी पर्व अंचल में धूमधाम से मनाया गया। शहर सहित ग्रामीण अंचल में इस पर्व को लेकर लोगों में उत्साह का आलम था। देवउठनी पर्व के चलते बाजार में सुबह से लेकर देर शाम तक लोग पूजा सामग्रियों की खरीदी करने के लिए बाजार में चहल-पहल की स्थिति निर्मित रही। पर्व के इस मौके पर शहर सहित ग्रामीण इलाकों से बड़ी संख्या में लोग पूजन सामग्रियों की बिक्री के लिए भी पहुंचे थे। वहीं लोगों ने पूजन सामग्रियों की खरीदी करने पहुंचने से बाजार क्षेत्र में लोगों की भीड़ भी उमड़ी रही।
वहीं यातायात व्यवस्था को सम्हालने के लिए भी जवान शहर के मानव मंदिर चौक समेत अन्य स्थानों में तैनात दिखाई दिए। ग्रामीण क्षेत्र के व्यवसायी गन्ने समेत अन्य पूजन सामग्रियों की दुकानें सजा रखी थी। शहर के चौक-चौराहों से लेकर बाजार क्षेत्र में पूजन सामग्रियों की दुकानें देर शाम तक सजी रही, जहां लोगों की भीड़ भी उमड़ी रही।
इधर देवउठनी पर्व पर शहर समेत अंचल के घरों के आंगनों व तुलसी चौरा की व्यापक साज-सजावट भी की गई थी। देर शाम घर आंगन में तुलसी चौरा पर गन्ने का मंडप लगाकर विधि-विधान से मां तुलसी का विवाह भगवान विष्णु के स्वरूप सालिकग्राम के साथ किया गया। इस दौरान परिवार के लोगों की उपस्थिति भी रही। पूजा-अर्चना के दौरान घर परिवार में मंगल कामना एवं मांगलिक कार्यक्रमों की कामना की गई।
पर्व के दौरान शहर सहित ग्रामीण इलाकों में लोगों ने जहां घर व तुलसी चौरा में साज-सजावट किया। वहीं पूजा-अर्चना के बाद देर रात तक पटाखे छोडक़र पर्व का आनंद उठाया।
मंडप सजाकर तुलसी का किया विवाह
छोटी दिवाली यानी देवउठनी पर्व पर परंपरागत रूप से तुलसी का विवाह कर पूजा-अर्चना की गई। शाम को घरों में परंपरागत मंडप में तुलसी का वैवाहिक कार्यक्रम करने के बाद पर्व मनाया गया। दिवाली पर्व के 12वें दिन इस पर्व के मौके में तुलसी की खास अहमियत होती है। जिसके चलते वैवाहिक रीति-रिवाज का पूरा पालन किया जाता है। इस बीच बाजार में मंगलवार सुबह से शाम तक पूजन सामग्रियों की बिक्री होती रही। देवउठनी पर्व पर शाम के समय घरों में तुलसी चौरा की साज-सजावट कर गन्ने का मंडप बनाकर विधि-विधान से भगवान शालीग्राम एवं माता तुलसी का विवाह रचाया गया। इस पर्व को छोटी दिवाली के रूप में भी मनाया गया। शहर सहित ग्रामीण इलाकों में इस पर्व की धूम रहती है।