राजनांदगांव

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 6 नवंबर। पूर्व पार्षद अशोक फडऩवीस ने बताया कि नगर निगम आयुक्त ने जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लिए बिना शहर की अमृत मिशन योजना को अपने आधिपत्य में कैसे शामिल किया, यह जांच का विषय है। आयुक्त ने कई नीतिगत निर्णय को अपने तुगलकी फरमान जारी किया, जो निगम हित में नहीं रहे।
श्री फडऩवीस ने कहा कि आयुक्त केवल अपनी कुर्सी बचाने चंद लोगों का सहारा लेकर पूरे निगम का दोहन किया। निगम के कर्मचारी और जनप्रतिनिधियों के साथ शहर की जनता त्रस्त रही, उनके लिए यह प्रतिक्रिया रही कि 1994 से आज तक ऐसा निगम आयुक्त शहर ने नहीं देखा। 230 करोड़ की राशि से शहर की प्यास बुझने का सपना दिखाने वाले ही खामोशी की चादर ओड लिए हैं। 24 घंटे शुद्ध जल उपलब्ध और टैंकर मुक्त शहर होगा, जैसे नारो के साथ कार्य शुरू किया गया। प्रत्येक घर मीटर लगाकर उपयोग के अनुसार राशि ली जाएगी, ऐसी बातें आम जनता को बताया गया, आज टैंकर मुक्त शहर का नारा और नारा लगाने वाले लोग लापता है, जिसे जनता टार्च लेकर ढूंढ रही है। मैं भी निकल पड़ा ढूंढने, मुझे शहर के वार्डो में पाइप लाइन तीन इंच साइज ए बिछाने की गहराई 6 से 9 इंच के अंदर तक सडक़ों और गलियों की ऊंचाई के हिसाब से बिना इंजीनियर देखरेख से कार्य किया गया, ऐसा प्रतीत हुआ है। घर-घर मोटर पंप लगा हुआ है, मैंने देखा। तीन इंच पाइप लाइन से लोगों को पर्याप्त पानी नहीं दिया जा सकता है। शहरी क्षेत्र घनी बस्ती बड़ी-बड़ी बिल्डिंग रहवासियों को उक्त पाइप लाइन से पानी नहीं पिलाया जा सकता है। वास्तव में अगर जनता के हितैषी हैं, हमारे जिम्मेदार तो विशुद्ध और सही नीयत से जांच कराएं, दोषियों पर कार्रवाई करें, निगम में विशेष सम्मेलन रखना चाहिए। इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह को ज्ञापन दिया जाएगा।