राजनांदगांव

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अत्याधुनिक हथियारों और बिना शस्त्र सरेंडर करने पर मिलेंगे लाखों के इनाम, मकान बनाने और आरक्षक बनने मिलेगी छूट
प्रदीप मेश्राम
राजनांदगांव, 8 दिसंबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। मध्यप्रदेश में बढ़ते नक्सल हिंसा के बीच एक नई नक्सल सरेंडर नीति राज्य में लागू कर दी गई है। नक्सलियों को मुख्यधारा में जोडऩे के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने नई आत्मसमर्पण नीति को लागू कर नक्सलियों को सामान्य जीवन जीने का मौका दिया है।
लंबे समय से मप्र सरकार सरेंडर पॉलिसी को लेकर अध्ययन कर रही थी। इसके लिए छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र की सरेंडर नीति को अफसरों ने काफी समझा। इसके बाद मप्र में सरेंडर नीति लागू कर नक्सलियों को राहत देने की दिशा में सरकार ने कदम बढ़ाया है। मप्र नक्सली आत्मसमर्पण, पुनर्वास सह राहत नीति 2023 के लागू होते ही हिंसा का रास्ता छोडक़र आत्मसमर्पण करने पर नक्सलियों को लाखों रुपए के ईनाम प्रोत्साहन स्वरूप मिलेंगे।
पुलिस महकमे ने नीति में इस बात को स्पष्ट किया है कि सूबे में नक्सल हिंसा को समाप्त करने का इरादा लेकर नक्सलियों को सम्हलने का पूरा मौका दिया है। आत्मसमर्पण करने पर नक्सलियों को कई तरह के लाभ दिए जाएंगे। मसलन अत्याधुनिक हथियार संग सरेंडर करने पर अनुग्रह राशि अलग होगी। वहीं बिना हथियार सरेंडर करने पर भी प्रोत्साहन राशि दिए जाने का नई नीति में प्रावधान किया गया है।
मिली जानकारी के मुताबिक एलएमजी, रॉकेट लॉचर, स्नाईपर राईफल के साथ सरेंडर करने वाले नक्सली को साढ़े 4 लाख रुपए दिए जाएंगे। वहीं एके-47/56 तथा एसएलआर, कार्बाइन व 303 रायफल लेकर सरेंडर करने की स्थिति में 3 लाख 50 हजार रुपए दिए जाएंगे। आत्मसमर्पित नक्सली को गृह निर्माण के लिए कलेक्टर की अगुवाई वाली जिला स्तरीय पुनर्वास एवं राहत समिति की अनुशंसा पर डेढ़ लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा। नक्सल दंपत्ति के समर्पण करने पर भी 50 हजार रुपए की राशि तय की गई है। नई नीति में नक्सलियों के हिंसा के शिकार परिजनों को 15 लाख तथा सुरक्षा जवानों के शहीद होने पर परिवार को 20 लाख रुपए की अनुग्रह राशि दी जाएगी।
नक्सल विरोधी अभियान में शामिल विशेष सहयोग देने वालों को भी सरकार ने प्रोत्साहन राशि तय की है। सरेंडर करने वाले नक्सलियों को आरक्षक बनाए जाने के दौरान विशेष छूट दी जाएगी। हथियार छोडक़र लौटे नक्सलियों की उपयोगिता का अधिकार संबंधित जिले के एसपी के पास होगा। यानी उनकी सिफारिश पर सरेंडर करने वाले नक्सली को गोपनीय सैनिक के पद पर नियुक्त किया जा सकेगा। मप्र में इन दिनों बालाघाट, मंडला और डिंडौरी में नक्सलियों की चहल-कदमी है। विशेषकर बालाघाट सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिला है। पिछले 5 सालों में नक्सलियों को पुलिस के हाथों काफी नुकसान उठाना पड़ा है। इसके बावजूद नक्सली कान्हा किसली के घने जंगलों से लेकर तीनों जिलों में पैठ जमाने पूरा जोर लगा रहे हैं। माना जा रहा है कि सरेंडर पॉलिसी लागू होने से नक्सलियों में मुख्यधारा में लौटने को लेकर आकर्षण बढ़ेगा।